राष्ट्रीय

किसान आंदोलन और भगत सिंह

Shiv Kumar Mishra
25 March 2021 4:32 AM GMT
किसान आंदोलन और भगत सिंह
x

प्रबल प्रताप शाही

जब से किसान आंदोलन चल रहा है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ तब से मेरे मन हो बस में एक सवाल हमेशा उठ रहा है. क्या हमारी आजादी की लड़ाई इसीलिए लड़ी गई थी. कि हम ईस्ट इंडिया कंपनी की जगह पर अंबानी और अडानी के साम्राज्य साम्राज्य को स्वीकार करें.

जिसको हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने देश की जनता के ऊपर थोपना चाहते हैं. क्या इसीलिए भगत सिंह ने शहादत दी थी. आज हमारे देश के प्रधानमंत्री पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र से प्रभावित दिखते हैं जैसे पाकिस्तान में कुछ चुनिंदा लोगों के पास लाखो एकड़ कृषि भूमि है और उस पर किसान बंधुआ मजदूर की तरह कार्य करता है.

क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री हमारे देश के किसानों को अंबानी और अडानी के सामंत शाही में ना जिला ना चाहते हैं क्या हमारे देश का किसान अपना मजदूर हो जाएगा. यह सवाल यह सवाल भगत सिंह के जमाने से चला रहा है.

90 वर्ष के के बाद भी यह सवाल आज जीवित भगत सिंह कहा करते थे. असली आज़ादी तभी मिलेगी जब हमारे देश के गांव और किसान आर्थिक रूप से आजाद होंगे. लेकिन आज उसके 70 वर्षों की आजादी के बाद जब हम अगले वर्ष 75 वीं वर्षगांठ अपने आजादी की मनाएंगे तब हम अपने देश के लोगों को नए सामंतों के अधीन पाएंगे.

वर्तमान किसान आंदोलन बस किसानी और खेती को बचाने का कार्य नहीं नहीं कर रहा है. वह इस देश के लोकतंत्र में हो रहे हम लोगों को प्रतिलिपि प्रश्नों को उठा रहा है. इन लोगों को ताकत दे रहा है जो बोलने की हिम्मत नहीं उठा सके वर्तमान सरकार के खिलाफ इस किसान आंदोलन ने लोगों को जुबान दे दी है. अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने की और आवाज उठाने यह इस किसान आंदोलन की यह जीत है.

लेखक समाज सेवक और किसान नेता है. अन्ना आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इस समय गाजीपुर बोर्डर पर आंदोलन किसान हित को लेकर कर रहे है.

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

Next Story