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कमलनाथ को बीजेपी ने नहीं लिया। क्यों? राजनीतिक विसात में बीजेपी ने 370 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य बहुत बड़ा लक्ष्य रखा है। इसके लिए हर राज्य की हर सीट के हर बूथ पर हर वोट क़ीमती होगा।
कमलनाथ के आने से मध्यप्रदेश में हो सकता है कि बीजेपी को कुछ सीटों के कुछ बूथों पर कुछ वोटों का फ़ायदा होगा (ये अलग सत्य है कि बीजेपी कमलनाथ के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस धूल चटा चुकी है जबकि जीतने के पूरे आसार बताए जा रहे थे) लेकिन उसके मुक़ाबले बीजेपी को परसेप्शन का बहुत बड़ा नुक़सान होगा। न सिर्फ़ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी।
जिस कमलनाथ पर पर सिख विरोधी दंगों में शामिल होने के आरोप लगे और जिसके ख़िलाफ़ बीजेपी के कई नेता, ख़ासतौर पर सिख नेता, आज भी मुखर हैं, उसे पार्टी में लेने से पंजाब में बीजेपी को खुद खड़ा करने में मुश्किल हो जाती जहां वह आम आदमी पार्टी से मैदान छीनने की कोशिश में है। कांग्रेस से आयातित सुनील जाखड़ और अमरिन्दर सिंह जैसे नेताओं के ज़रिए वो अपनी ज़मीन बनाने की कोशिश में है और जहां किसान आंदोलन पहले से ही एक बड़ी चुनौती पैदा कर चुकी है।
ऐसे में कमलनाथ का चेहरा कमल को खिलने से पहले ही मुरझा देने की सूरतेहाल पैदा कर सकता है। और न सिर्फ़ पंजाब बल्कि दिल्ली में भी पंजाबी बहुल सीटों पर बीजेपी को ख़ासा नुक़सान उठाना पड़ता। वो वोट जो कमलनाथ की वजह से कांग्रेस से छिटकी है, उसके बीजेपी से छिटकने का ख़तरा पैदा हो सकता है। दिल्ली बीजेपी के तेजंदिर सिंह बग्गा ने अपने ट्वीट के ज़रिए बहुत कुछ कह दिया।
और तो और कमलनाथ को बीजेपी में लेने से उन देशों में भी अनुगूँज होती जहां बड़ी तादाद में सिख रहते हैं जैसे कि कनाडा जहां पन्नू जैसा खालिस्तानी आतंकवादी पहले से ही सिख समुदाय को बरगलाने में लगा है। याद रहे कि बीजेपी अभी सिर्फ़ एक पार्टी नहीं, पीएम नेकां के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल है।
कमलनाथ की दो नावों की सवारी मंजूर नहीं
कांग्रेस नेतृत्व ने कमलनाथ को एक चीज साफ कर दी है। कमलनाथ चेहरा बचाने के लिए कांग्रेस में रुके रहें और बेटा नकुल भाजपा में शामिल हो जाएं, ये स्वीकार नहीं है। हालांकि कांग्रेस अंदर ही अंदर ये नहीं चाहती है कि कमलनाथ को बीजेपी में जाने दिया जाए जिससे लोकसभा चुनाव से पहले जमीन पर गलत मैसेज जाए। कांग्रेस ये जानती है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे और गांधी परिवार के करीबी दिग्गज नेता कमलनाथ के जाने से डैमेज होगा।
राहुल और कमलनाथ के बीच हुई फोन पर बात
कमलनाथ के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं के बीजेपी में जाने की आशंका के बीच आनन फानन में दिग्विजय सिंह ने मोर्चा संभाला। दिग्विजय सिंह ने फिर कमलनाथ से बात की और उनकी नाराजगी दूर की। और फिर राहुल गांधी से बात की। इस बातचीत में कमलनाथ को जो संदेश दिया है इससे साफ है कि पिता कांग्रेस में रहें और बेटा समर्थकों के साथ बीजेपी में ये पार्टी को स्वीकार नहीं होगा। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व को इस बात की स्पष्टता है कि कमलनाथ परिवार को बीजेपी में शामिल कराने के लिए बीजेपी की तरफ से कोशिश नहीं की गई है।
राज्यसभा ना भेजे जाने से नाराज हैं कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश में जीती बाजी हारने वाले कमलनाथ राज्यसभा सांसद जाकर रिटायरमेंट प्लान लेना चाहते थे। सोनिया गांधी से बात करने के बाद भी राज्यसभा की सीट नहीं मिलने से कमलनाथ परिवार नाराज हो गया।जानकारी के मुताबिक कमलनाथ ने सोनिया से कहा था कि राज्यसभा की सीट वो आखिरी चीज है जो वो मांग रहे हैं। इसके 6 साल बाद वो 85 साल के हो जाएंगे और रिटायर हो जाएंगे।
वरिष्ठ नेता कमलनाथ को अपने बेटे नकुलनाथ के भविष्य के लेकर चिंता है। उन्हे लगता है कि वो खुद तो लोकसभा लड़कर छिंदवाड़ा जीत लेंगे, लेकिन क्या बेटा भी अपनी नैया पार लगा पाएगा? यही वजह है कि कमलनाथ राज्यसभा की सीट उसी तर्ज पर चाहते थे जैसे सोनिया गांधी ने ली है। राजसभा सांसद के रूप में सक्रिय रहकर वो अपने बेटे नकुलनाथ का प्रचार करते रहना चाहते थे।