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जीत के लालच में मोदी से हुई बड़ी भूल, भूल का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा
देश में इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और देश के सबसे बड़े राज्य में पंचायत चुनाव हो रहे है. इस दौरान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी एक बड़ी चूक कर बैठे है जिसका खामियाजा पूरा देश भुगतेगा. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि अजेय मोदी को जीत का लालच छोड़ना पड़ेगा तभी देश बचेगा.
भारत के पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, केरल, पंडूचेरी और असम में विधानसभा चुनाव हो रहे है. जबकि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हो रहा है. इस दौरान भीड़ को लेकर बड़े बड़े दावे किये जा रहे है. कोई रैली में हजारों तो कोई लाखों का आंकड़ा पेश कर रहा है. जबकि बीजेपी का हर बड़ा चेहरा रोड शो करके एक बड़ी भीड़ जुटा कर जीत का लक्ष्य तय करता नजर आ रहा है. इस दौरान बड़े बड़े हार जीत की दावे हो रहे है. लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी खुद को विश्व गुरु का खिताब लेने के लिए एक नया आयाम गढ़ रहे है उस दौरान उनसे अब तक की सबसे बड़ी भूल हो गई है. जिसका खामियाजा हम सबको भुगतना पड़ेगा.
पीएम मोदी इस समय चुनाव आयोग को एक बड़ी सलाह देकर एक बड़ा रिकार्ड कायम कर सकते थे. जिस समय देश कोरोना जैसी महामारी की चपेट में बुरी तरह प्रभावित था उस समय देश में हो रहे चुनाव को भीड़ एकत्रित होने से बचाया जा सकता था. तो कोरोना मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज नहीं होती. चुनाव आयोग को सलाह अगर केंद्र सरकार देती तो चुनाव आयोग भी इस सलाह को मानता जरूर.
मोदी की सलाह ये होती कि आप चुनाव के दौरान ब्रचुअल रैली करें, टीवी और अखबार के माध्यम से विज्ञापन दें. अपनी अपनी राय टीवी चैनलों पर रखें . अपनी सरकार की उपलब्धियां बताएं आम जनता का जीवन खतरे में न डाले तो शायद मोदी को महात्मा गांधी,जवाहर लाल नेहरु और सरदार पटेल की तरह पीढियां याद रखती. लेकिन जिस तरह पीएम मोदी लगातार मास्क लगाये जाने की अपील और अनुरोध करते हों वही मोदी अपनी रैली में लाखों की भीड़ के लिए नेताओं से बात करते हों तो क्या ये बड़ी चूक या गलती नहीं मानी जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में पीएम से बड़ी चुक मानी जाएगी.
जिस तरह बंगाल , केरल , तमिलनाडू , यूपी ,असम और पंडूचेरी में चुनाव के दौरान भीड़ में कोरोना से क्या हाल होगा. जिस तरह से कोरोना के मरीजों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है उसमें केरल और बंगाल में पहले सबसे पहले मरीज ज्यादा आये थे. लेकिन अब कितने मरीज है और क्या हाल है किसी को नहीं मालुम है. बीजेपी के कई नेता जरुर अपने को कोरोना संक्रमित होने की बात ट्विटर पर शेयर कर रहे है. यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल ने खुद बंगाल से वापसी करके कहा कि मुझे कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इसके अलावा भी कई नेता कोरोना से पीड़ित है. तो क्या ये कोरोना वाले नेता किसी से मिले नहीं है. इसका जबाब कौन देगा.
अब इस गलती का खामियाजा पूरे देश को भुगतना होगा. क्योंकि न तो मास्क जरूरी है न ही दो गज की जरूरी है. क्योंकि भीड़ जरूरी है. जबकि कोर्ट भी कह रहा है कि गाडी में अकेले ड्राइवर को भी मास्क लगाना जरूरी है लेकिन जहाँ वोट के खातिर भीड़ जा रही हो तो मास्क जरूरी नहीं क्यों? क्या कोरोना चुनाव से डरता है तो मोदी को सभी राज्यों को चुनावी मोड़ में डाल देना चाहिए. जैसे हर राज्य में पंचायत चुनाव , नगर पालिका चुनाव , विधानसभा चुनाव , लोकसभा चुनाव , विधान परिषद चुनाव प्रमुख रूप से है जो पांच वर्ष के लिए काफी है अगर सुके बाद भी समय बचता है तो अगडम चुनाव बगडम चुनाव भी कराए जा सकते है ताकि देश की जनता सुरक्षित रहे और देश बचा रहे?