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सुषमा की बर्खास्तगी पर देवीलाल से बोले थे चंद्रशेखर, फैसला वापस नहीं हुआ तो आप CM नहीं रह सकते
साल 1977 की सर्दियों में हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हार चुकी थी और जनता पार्टी का राजनीतिक अभ्युदय हुआ था. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बन चुके थे. इसके कुछ ही महीने बाद हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हुए. चंद्रशेखर जनता पार्टी के सांगठनिक कर्ता-धर्ता थे.
तब जनता पार्टी ने अंबाला कैंट सीट से सुषमा स्वराज को टिकट दिया और महज़ 25 साल की उम्र में चुनाव जीतकर वे पहली बार विधायक बन गईं. उनकी पार्टी के 75 विधायक चुनाव जीते. मंत्री पद की लाॉबिंग होने लगी. तब मुख्यमंत्री बने देवीलाल ने अपने मंत्रिमंडल में सिर्फ़ नौ मंत्रियों को शामिल किया. चंद्रशेखर की क़रीबी होने के कारण सुषमा स्वराज को उन नौ लोगों में स्थान मिला और वे हरियाणा सरकार की मंत्री बना दी गईं. वह उनकी पहली बड़ी राजनीतिक उपलब्धि थी.
चंद्रशेखर के दबाव के चलते न चाहते हुए भी देवीलाल ने सुषमा को श्रम और रोजगार मंत्री बनाया। लेकिन तीन महीने के बाद ही देवीलाल ने सुषमा को निकालने की तैयारी कर ली। तीन महीने के बाद वो फिर मधु लिमये के साथ चंद्रशेखर से मिलने आईं। उन्होंने चंद्रशेखर से कहा कि मुख्यमंत्री मुझे बर्खास्त करने वाले हैं। मेरा इस्तीफा ले लीजिए, नहीं तो बेइज्जती होगी। चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसा कैसे होगा?
चंद्रशेखर देवीलाल के इस अभद्र व्यवहार से हैरान थे। उन्होंने देवीलाल से बात की और कहा कि खबर आई है आपने सुषमा स्वराज को बर्खास्त कर दिया। जिस पर देवीलाल ने जवाब दिया कि वह किसी काम की नहीं हैं। कोई काम नहीं करतीं, परेशानी पैदा करती हैं। जवाब में चंद्रशेखर बोले आप उन्हें वापस लीजिए। लेकिन देवीलाल नहीं माने। चंद्रशेखर ने कहा चौधरी साहब, अगर आपने सुषमा स्वराज को वापस नहीं लिया तो आप चीफ मिनिस्टर नहीं रह सकते। मुझे पार्टी अध्यक्ष होने के नाते जरूरत पड़ने पर इस बात का अधिकार है कि आपको पार्टी से निकाल दूं। नोटिस पीरियड 15 दिन का होगा। उस दौरान मैं नए नेता के चुनाव का ऑर्डर कर दूंगा और आपका ही कोई आदमी आपके खिलाफ खड़ा हो जाएगा। चौधरी देवीलाल इस तरह के संवाद के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे वे दिल्ली की ओर दौरे और चौधरी चरण सिंह से मुलाकात की। चौधरी चरण सिंह ने देवीलाल को बर्खास्त करने की धमकी के बारे में चंद्रशेखर से पूछा। जवाब में चंद्रशेखर ने सारा माजरा चौधरी चरण सिंह को बताया। सब सुनकर चौधरी चरण सिंह ने देवीलाल को फटकार लगाई। बाद में सुषमा मंत्रिमंडल में बनीं रहीं।
राजनीती दबंगई से चलती है ,कोमलता से भरपूर कमल की पत्तिया झड़ जाती है !!
साभार