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कांग्रेस पार्टी के लिए 'प्रेरक' शब्द खड़ी कर दी मुश्किल, सोनिया गांघी ने कहा इसे अब हटाओं

Sujeet Kumar Gupta
13 Sep 2019 12:43 PM GMT
कांग्रेस पार्टी के लिए प्रेरक शब्द खड़ी कर दी मुश्किल, सोनिया गांघी ने कहा इसे अब हटाओं
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जब सचिन राव ने अपना प्रेजेंटेशन पूरा किया तो कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने 'प्रेरक' शब्द को लेकर आपत्ति जताई।

लोकसभा चुनाव के बाद करारी हार के बाद सोनिया गांधी ने मीटिंग में ललकारते हुए कांग्रेस नेताओं का जोश बढ़ाने की कोशिश तो की ही, बंद वातानुकूलित कमरे की राजनीति से बाहर निकलने की नसीहतें भी लगातार देती रहीं. साथ ही, सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं को पार्टी की दमदार वापसी के लिए एक मास्टर प्लान भी सुझाया, मीटिंग में हर निगाह जिस एक नेता को खोज रही थी वो थे राहुल गांधी जो नहीं पहुंचे थे - लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे वक्त शिद्दत से मौजूद रहीं।

सोनिया गांधी की अगुवाई में तो कांग्रेस लगता है दो कदम और भी आगे बढ़ चुकी है. सोनिया गांधी ने कांग्रेस को फिर खड़ा करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है जिसमें कई कार्यक्रम हैं - और उन्हीं में से एक है - प्रेरकों की नियुक्ति , ये प्रेरक कांग्रेस के नेताओं को प्रशिक्षित करेंगे ताकि वो राजनीतिक विरोधियों से मुकाबले के लिए तैयार हो सकें. ये प्रेरक कांग्रेस के एजेंडे पर ही काम करेंगे. प्रेरकों का कामकाज बिलकुल वैसा ही होगा जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक काम करते हैं.

कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी की बैठक में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का जिक्र भी आया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की उपस्थिति में 'प्रेरक' शब्द का इस्तेमाल पार्टी के ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के प्रभारी सचिन राव ने अपने प्रेजेंटेशन के दौरान किया. ये 'प्रेरक' पार्टी और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच पुल का काम करेंगे। बैठक में एक पेपर भी बांटा गया जिसमें जिक्र था कि 'प्रेरकों' की नियुक्ति जिला और ब्लॉक स्तर पर की जाएगी. ये 'प्रेरक' पार्टी की राज्य इकाइयों के साथ मिलकर कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के साथ उनके लिए कार्यशालाओं का आयोजन करेंगे।

सचिन राव ने बैठक में उस मॉड्यूल का प्रेजेंटेशन भी दिया, जिसे लागू किया जाना है. सचिन राव को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. वो राहुल गांधी के दफ्तर में निर्णय लेने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते आए हैं.

जब सचिन राव ने अपना प्रेजेंटेशन पूरा किया तो कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने 'प्रेरक' शब्द को लेकर आपत्ति जताई. पार्टी से जुड़े सूत्र ने बताया,कि 'वासनिक ने प्रेजेंटेशन की तारीफ की लेकिन साथ ही सुझाव दिया कि 'प्रेरक' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा ऐसा संदेश जाएगा कि कांग्रेस अपने विरोधियों की नकल कर रही है, भगवा संगठन का अनुसरण कर रही है.'

वासनिक ने जो कहा, उससे सोनिया गांधी ने सहमति जताई. हालांकि सचिन ने 'प्रेरक' शब्द का बचाव करते हुए कहा कि 1987 में राजीव गांधी ने एक पेपर लिखा था जिसका नाम था-

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि ये नया भारत है और हमारा संदेश साफ और निर्भीक होना चाहिए. कांग्रेस ऐसी नहीं दिखनी चाहिए कि वो विरोधियों की लाइन लेती दिखे. सोनिया गांधी ने ये भी कहा कि लोगों की यादाश्त छोटी होती है, ये नहीं माना जा सकता कि उन्हें पिछला इतना कुछ याद होगा.

बैठक में मौजूद कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया से लगा कि वो आज की परिस्थितियों की राजनीति से तारतम्य के पक्ष में हैं. जहां उन्होंने सबको गौर से सुना वहीं अपना फीडबैक भी दिया।

ऐसे में 'प्रेरक' की जगह अब को-ऑर्डिनेटर या सहयोगी शब्द का इस्तेमाल होगा. ये ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए बदलाव के वाहक बनेंगे. नाम जो हो लेकिन उनके सामने बीजेपी की भीमकाय मशीनरी से निपटने की बड़ी चुनौती होगी.'अभिप्रेरक'.

हैरानी की बात तो ये रही कि कांग्रेस की जिस मीटिंग में इतना बड़ा फैसला लिया गया, राहुल गांधी मौजूद ही नहीं थे. राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस नेताओं की ओर से विराम देने की कोशिश भी की गयी, 'चूंकि राहुल गांधी के पास कांग्रेस पार्टी में फिलहाल कोई पद नहीं है, इसलिए वो इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं.'

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