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तेलंगाना में कांग्रेस कहीं 'कर्नाटक रिपीट' न कर दे, जानिए पूरी बात कैसे
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अपने आखिरी पड़ाव में आ चुके हैं। एमपी, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में वोटिंग हो चुकी है। राजस्थान वोट डाल रहा है। अब बाकी है सिर्फ तेलंगाना की चुनावी जंग। 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा के लिए 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। 3 दिसंबर को सभी 5 राज्यों के एक साथ नतीजे आएंगे। आंध्र प्रदेश से कटकर अलग राज्य के तौर पर वजूद में आने के बाद से ही तेलंगाना पर भारत राष्ट्र समिति (पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति) का एकछत्र राज चला आ रहा है। बीआरएस चीफ और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की नजर अपने किले को अभेद्य बचाए रखने पर है। दूसरी तरफ कांग्रेस की नजर यहां कर्नाटक वाला करिश्मा दोहराने पर है। बीजेपी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। चुनाव में 'एम' फैक्टर की गूंज है। बीजेपी सत्ता में आने पर मुस्लिम आरक्षण खत्म करने का वादा कर रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस और बीआरएस में मुस्लिम वोटों को लुभाने की होड़ मची है। कांग्रेस 'एम' फैक्टर के बदौलत ही तेलंगाना में कर्नाटक वाली स्क्रिप्ट लिखना चाहती है तो दूसरी ओर केसीआर ने मुस्लिमों के लिए अलग से आईटी पार्ट बनाने के वादे का ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया है।
बीआरएस, कांग्रेस में खुद को मुस्लिमों का बड़ा हितैषी दिखाने की होड़
महेश्वरम में शुक्रवार को चुनावी रैली में केसीआर ने मुस्लिम समुदाय के लिए अपनी सरकार के किए कामों का जमकर बखान किया। इस सीट से तेलंगाना के शिक्षा मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी उम्मीदवार हैं। केसीआर ने कहा कि अगर फिर से उनकी सरकार आती है तो वह हैदराबाद के पास पाहड़ीशरीफ में मुस्लिमों के लिए अलग से आईटी पार्क बनाएंगे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए उस पर मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक समझने और उनके विकास के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप लगाया। बीआरएस चीफ ने दावा किया कि उनकी सरकार ने 10 साल के दौरान अल्पसंख्यकों के विकास के लिए 12000 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि कांग्रेस ने अपने 10 साल के शासनकाल में सिर्फ 2000 करोड़ रुपये ही खर्च किए। दिलचस्प बात ये है कि मुस्लिमों के लिए अलग से आईटी पार्क बनाने का वादा करने वाले केसीआर उसी सांस में यह कहना भी नहीं भूलते कि जबतक वह जिंदा रहेंगे, तेलंगाना एक सेक्युलर स्टेट बना रहेगा।
केसीआर के इस दांव के सियासी मायने
केसीआर मुस्लिमों को यूं ही लुभाने में नहीं जुटे हैं। तेलंगाना में मुस्लिम वोट करीब 13 प्रतिशत माना जाता है। तमाम सीटों पर मुस्लिम वोट जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 119 विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में कम से कम 45 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस और बीआरएस दोनों ही उन्हें लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहीं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में ज्यादातर मुस्लिमों ने बीआरएस के पक्ष में वोट दिया था। लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार तेलंगाना में भी कर्नाटक वाला 'खेला' होगा। कर्नाटक में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुकाबला था। वहां कांग्रेस को मुस्लिमों का एकतरफा समर्थन मिला। जेडीएस भी मुस्लिम वोटों का बंटवारा करने में कामयाब नहीं हो पाई और नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस ने बीजेपी को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया। अब कांग्रेस तेलंगाना में भी ऐसी उम्मीद कर रही है। दूसरी तरफ, केसीआर मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ बरकरार रखने या और ज्यादा मजबूत करने के लिए खुद को उनका सबसे बड़ा हितैषी साबित करने की कोशिश में लगे हैं।
मुस्लिमों का विकास vs तुष्टीकरण
मुस्लिम वोट छिटकने के डर से केसीआर अपनी हर सभाओं में अपनी सरकार के दौरान मुस्लिमों के विकास के लिए किए गए कामों की फेहरिस्त गिना रहे हैं। केसीआर सरकार सिर्फ मुस्लिमों के लिए कई वेल्फेयर स्कीम ला चुकी है। मसलन शादी खाना का निर्माण और शादी मुबारक योजना जिसके तहत गरीब मुस्लिम परिवार को शादी में हुए खर्च के एवज में 1 लाख रुपये की मदद मिलती है। इतना ही नहीं, केसीआर ने सिर्फ मुस्लिमों के लिए 296 आवासीय स्कूल और कॉलेज खोले हैं। 2014 में केसीआर ने राज्य में मुस्लिमों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था। 2017 में उनकी सरकार ने मुस्लिमों का आरक्षण बढ़ाने का बिल भी पास किया लेकिन वह लागू नहीं हो पाया। फिलहाल सूबे में मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण हासिल है।
मुस्लिमों के लिए अपनी सरकार में कई एक्सक्लूसिव स्कीम लाने वाले केसीआर कहते हैं कि जबतक वह जिंदा हैं तबतक तेलंगाना सेक्युलर राज्य बना रहेगा। दूसरी तरफ, बीजेपी उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपनी रैलियों में जनता से अपील कर रहे हैं कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों को हटाए। वह केसीआर पर मुस्लिमों के लिए आरक्षण को 4 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की कोशिश करने और मंदिरों की जमीन पर कब्जे की कोशिश करने का आरोप लगा रहे हैं। मुस्लिमों के लिए अलग से आईटी पार्क बनाने के केसीआर के वादे पर तेलंगाना बीजेपी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक चर्चित बयान की ओर इशारा करते हुए एक्स पर पोस्ट किया है, 'एक पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था- भारत के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। उस पूर्व पीएम की पार्टी तब से ही सत्ता से बाहर है। सीएम केसीआर का भी वैसा ही हाल होगा। 3 दिसंबर को बीआरएस धुंधली हो जाएगी।'