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यूपीए ने बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन कर पेश की मिशाल

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18 Jun 2019 3:44 PM GMT
यूपीए ने बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन कर पेश की मिशाल
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यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी के आवास पर आज यूपीए के घटक दलों की बैठक बुलाई गई जिसमें कुछ विपक्ष के नेता भी बुलाये गये थे। सबने एक साथ मिलकर बीजेपी समर्थित एनडीए के लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ओम बिरला का समर्थन करके एक मिशाल पेश की है। इससे एक देश के विकास में विपक्ष के सराहनीय भूमिका को लेकर पीएम मोदी अपने पहले मिडिया के संबोधन में कह चुके है।

18 जून को राजस्थान के कोटा के सांसद ओम बिड़ला को भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। चूंकि लोकसभा में 542 में से 303 भाजपा के सदस्य हैं, इसलिए बिड़ला के अध्यक्ष चुनने में कोई संशय नहीं है। सर्वसम्मति से चयन के लिए आंध प्रदेश की वाईएसआर और उड़ीसा की बीजेडी ने भाजपा उम्मीदवार को समर्थन दे दिया है। बिड़ला को उम्मीदवार बना कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह ने एक बार फिर सबको चौंका दिया है।

17 जून की रात तक कहा जा रहा था कि आठ बार के सांसद संतोष गंगवार और श्रीमती मेनका गांधी में से किसी एक को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया जाएगा लेकिन मोदी शाह की जोड़ी ने दूसरी बार के सांसद बिड़ला को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इतने जूनियर सांसद को लोकसभा का अध्यक्ष बनाने के पीछे क्या मापदंड रहे, यह तो मोदी-शाह ही बता सकते हैं। लेकिन इतना जरूर है कि अब लोकसभा में हूड़दंग करना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। बिड़ला भले ही दूसरी बार सांसद बने हों, लेकिन बहुत सख्त मिजाज के हैं। जिन लोगों ने कोटा में बिड़ला की राजनीति देखी है उन्हें पता है कि कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले हाड़ौती क्षेत्र में राजनीति करना आसान नहीं है।

कोटा के हाड़ौती क्षेत्र से ही चम्बल नदी गुजरती है। चम्बल के किनारे बीहड़ों के किस्से किसी से छिपे नहीं है। बिड़ला तीन बार विधायक भी रहे हैं और एक बार तो कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराया है। धारीवाल वर्तमान में राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री हैं। यानि लोकसभा में विपक्ष के किसी सांसद ने माहौल खराब करने की कोशिश की तो नियमों के तहत मार्शल का इस्तेमाल करने में कोई देरी नहीं होगी।

यह लिखने की जरुरत नहीं कि बिड़ला की वफादारी किसके प्रति होगी। वैसे भी मौजूदा सत्र बहुत महत्वपूर्ण होगा। तीन तलाक का बिल इसी सत्र में पेश होना है। आने वाले समय में संवैधानिक दृष्टि से लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका देश की राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण होगी। बिड़ला की नियुक्ति के दूरगामी परिणाम होंगे।

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