- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
गुलाम नबी आजाद ने क्यों कहा- 'ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठती रहेगी'
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद अपने स्टैंड पर कायम हैं। उन्होंने साफ कहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति समेत संगठन के प्रमुख पदों के लिए चुनाव होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग चुनाव का विरोध कर रहे हैं, वे अपना पद जाने से डर रहे हैं। आजाद ने यहां तक कहा कि चुनाव होना चाहिए क्योंकि नियुक्त किए गए कांग्रेस अध्यक्ष के पास शायद एक प्रतिशत सपोर्ट भी न हो। आजाद ने कहा कि अगर पार्टी को कोई चुनी हुई इकाई लीड करती है तो ही उसकी स्थिति बेहतर होगी, 'नहीं तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठती रहेगी।'
'वापसी के लिए पार्टी में चुनाव जरूरी'
गुलाम नबी आजाद ने कहा, "पिछले कई दशकों से, पार्टी में चुनी हुई इकाइयां नहीं हैं। शायद हमें 10-15 साल पहले ही ऐसा कर देना चाहिए था। अब हम एक के बाद एक चुनाव हार रहे हैं और अगर हमें वापसी करनी है तो चुनाव करवा कर पार्टी को मजबूत करना होगा। अगर मेरी पार्टी अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना चाहती है तो पार्टी के भीतर चुनावों की कोई जरूरत नहीं है।"
'मुझे नहीं बनना पार्टी अध्यक्ष'
आजाद ने कहा कि उनकी कोई निजी महत्वाकांक्षा नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं एक बार सीएम रहा हूं, केंद्रीय मंत्री रहा हूं, पार्टी में सीडब्ल्यूसी सदस्य और महासचिव रहा हूं। मैं अपने लिए कुछ नहीं चाहता। मैं अगले 5 से 7 साल सक्रिय राजनीति में रहूंगा। मैं पार्टी अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। एक सच्चे कांग्रेसी की तरह, मैं पार्टी के भले के लिए चुनाव चाहता हूं।"
'चुनाव जीतकर आए पार्टी का अगला अध्यक्ष'
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में गुलाम नबी आजाद ने कहा, "जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत आपके साथ होते हैं। बाकी उम्मीदवारों को 10 या 15 फीसदी वोट मिलेंगे। जो जीतेगा और पार्टी अध्यक्ष का पद संभालेगा, इसका मतलब उसके साथ 51 प्रतिशत लोग हैं। इस वक्त जो भी कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा, उसके पास 1 प्रतिशत लोगों का समर्थन भी नहीं होगा। अगर CWC के सदस्य चुने जाते हैं तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। इसमें समस्या कहां है?"
आजाद ने कहा कि चुनाव से पार्टी का आधार मजबूत होता है। उन्होंने कहा, "जो लोग दूसरे, तीसरे या चौथे नंबर पर रहेंगे वो सोचेंगे कि अब हमें पार्टी को और मजबूत करते हुए अगला चुनाव जीतना है। लेकिन अध्यक्ष जो कि अभी नियुक्त होता है, उसके पास 1 प्रतिशत पार्टी कार्यकर्ताओं का साथ भी नहीं है।"
पार्टी के भीतर चुनाव न कराने से हो रहा नुकसान
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इंटरनली चुनाव न होने का खामियाजा देश और राज्य के चुनावों में भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कुछ नेताओं की सिफारिश पर 'किसी को भी राज्य में पार्टी का अध्यक्ष' बना रही है। आजाद का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब सीडब्ल्यूसी की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया कि सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी रहें।
चुनाव हुए तो गायब हो जाएंगे कई नेता: आजाद
चुनावों का विरोध कर रहे नेताओं को आजाद ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जो वफादार होने का दावा कर रहे हैं, असल में वे ओछी राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और देश के हितों के लिए खतरा हैं। राज्यसभा में पार्टी के नेता ने कहा, "जो पदाधिकारी या राज्य इकाइयों के अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होगा तो वे कहीं नहीं होंगे। कांग्रेस में जो भी मन से जुड़ा है वो पत्र का स्वागत करेगा। मैंने कहा है कि राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर अध्यक्षों का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं को करना चाहिए।"