NCERT की ‘क्षत-विक्षत’ किताबों से हमारा नाम मिटा दें: योगेंद्र यादव और सुहास पलशीकर ने लिखी चिट्ठी
दिल्ली: एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में हुए फेरबदल (आधिकारिक शब्दावली में रैशनलाइजेशन) के विरोध में योगेंद्र यादव और सुहास पलशीकर ने संस्था को पत्र लिख कर 9 जून को अपना नाम कक्षा नौ से बारह तक की राजनीतिशास्त्र की पुस्तकों से हटाने का अनुरोध किया है। इन किताबों में दोनों का नाम मुख्य सलाहकार के रूप में दर्ज है।
अचरज की बात यह है कि यादव और पलशीकर, जो 2006-2007 के सत्र में एनसीईआरटी के एडवाइजरी बोर्ड में रखे गए थे, आज तक उनका नाम किताबों में जा रहा था। आश्चर्य जताया जा रहा है कि 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बावजूद केंद्र ने उनका नाम किताबों की कमेटी से क्यों नहीं हटाया, बने क्यों रहने दिया।
इस विषय पर मधु किश्वर ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उस पर सवाल खड़ा किया है कि नौ साल बाद भी मोदी सरकार यादव और पलशीकर को क्यों नहीं हटा सकी।
यादव और पलशीकर ने एनसीईआरटी के निदेशक को जो पत्र लिखा है, उसमें वे कहते हैं कि ‘रैशनलाइजेशन’’ के नाम पर किताबों में किए गए बदलाव का कोई शिक्षाशास्त्रीय तर्क नहीं दिखता। उन्होंने लिखा है:
‘’हमने पाया कि पाठ को इस तरह क्षत-विक्षत किया गया है कि वह पहचान में नहीं आ रहा। बड़े पैमाने पर ढेर सारी चीजें काटी गई हैं, मिटाई गई हैं, और उनसे खाली हुई जगहों को भरा भी नहीं गया है।‘’
वे लिखते हैं कि इन बदलावों के संबंध में न तो उन्हें कोई सूचना दी गई और न ही उनसे सलाह ली गई: ‘’अगर एनसीईआरटी ने इन बदलावों के संबंध में दूसरे जानकारों से परामर्श किया भी होगा तो हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हम उनके इस कदम से सहमत नहीं हैं।‘’
यादव और पलशीकर ने कहा है कि हर बदलाव का एक अंतर्निहित तर्क होता है और उनका मानना है कि किताबों में की गई इस काटछांट का सीधा तर्क सत्ता को खुश करना है। वे लिखते हैं:
इन किताबों को तैयार करने वाले शुरुआती अकादमिक होने के चलते हम शर्मिंदा हैं कि इन क्षत-विक्षत और अकादमिक रूप से निष्प्राण इन किताबों में मुख्य सलाहकार के रूप में हमारा नाम दर्ज रहे। इसलिए हम दोनों इन किताबों से खुद को अलग करते हुए एनसीईआरटी से अनुरोध करते हैं कि वह कक्षा नौ से बारह तक की राजनीति विज्ञान की सभी किताबों में दर्ज ‘लेटर टु द स्टूडेंट्स’ और हर किताब की शुरुआत में दर्ज पाठ्यपुस्तक विकास टीम की सूची में से हमारे नाम हटा दे।
पत्र में किताबों की सॉफ्ट प्रति और भविष्य की मुद्रित प्रतियों में से भी नाम तत्काल हटाने की मांग की गई है।
इस मसले पर योगेंद्र यादव ने अपनी बात सार्वजनिक तौर पर वीडियो के माध्यम से कही है।
VIDEO | "For the past two years, chapters on mass movements and even the Emergency, which was the biggest threat to the country's democracy, have been removed from (NCERT) textbooks. Now, we are ashamed to even look at these books," says political scientist Yogendra Yadav. pic.twitter.com/LX6nIKD2Df
— Press Trust of India (@PTI_News) June 10, 2023
उक्त पत्र पर एनसीईआरटी का आधिकारिक पक्ष भी आ गया है। एनसीईआरटी का कहना है कि उसने योगेंद्र यादव और पलशीकर के अकादमिक योगदान का सम्मान करते हुए किताबों में उनका नाम बरकरार रखा था।
पिछले कई दिनों से एनसीईआरटी की नौवीं से बारहवीं की किताबों के पाठ्यक्रम परिवर्तन को लेकर बुद्धिजीवियों में विरोध के स्वर उमड़ रहे थे। न केवल इतिहास और राजनीतिशास्त्र, बल्कि गणित और विज्ञान की किताबों में भी बदलाव करते हुए नौवीं के कुछ अध्यायों को ग्यारहवीं और दसवीं के कुछ अध्यायों को बारहवीं की पुस्तक में डाला गया है।
इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इधर बीच काफी संज्ञान लिया है। खासकर, नौवीं के विज्ञान की किताब में इवॉल्यूशन और पीरियॉडिक टेबल को हटाए जाने पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की पत्रिका ‘नेचर’ ने संपादकीय तक लिखा है।
साभार फालोअप स्टोरीज