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मायावती की मांग दोनों सरकारें मिलकर मंदिर बनावाये

Sujeet Kumar Gupta
14 Aug 2019 12:19 PM IST
मायावती की मांग दोनों सरकारें मिलकर मंदिर बनावाये
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तुग़लकाबाद में 10 अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने संत रविदास मंदिर ढहा दिया,

नई दिल्ली। दिल्ली में संत रविदास मंदिर को गिराए जाने के बाद दलित समुदाय गुस्से में है। पंजाब के चार जिलों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस बीच बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार की मिलीभगत से तुगलकाबाद क्षेत्र में बना संत रविदास मंदिर गिरवाया गया है. हम इसका विरोध करते हैं. मायावती ने कहा कि मंदिर गिराने से इनकी आज भी हमारे सन्तों के प्रति हीन व जातिवादी मानसिकता साफ झलकती है. बसपा की मांग है कि इस मामले में ये दोनों सरकारें कोई बीच का रास्ता निकाल कर अब अपने खर्चे से ही मन्दिर का पुनः निर्माण करवाएं।

बतादें कि दिल्ली के तुग़लकाबाद में 10 अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने संत रविदास मंदिर ढहा दिया, जिसको लेकर दिल्ली से लेकर पंजाब उत्तरप्रदेश तक अब राजनीति गर्मा गई है। दिल्ली से पधारे आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को लेकर केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ''डीडीए दुनिया भर में जमीन बांट रहा है अपने नेताओं को जमीन दे रहा है, लेकिन डीडीए को संत रविदास जी के लिए 100 गज जमीन देनी भी मुश्किल हो रही है. आज सारे बीजेपी के नेता चुप बैठे हैं. वह ऐसे चुप बैठे हैं जैसे डीडीए उनके पास है ही नहीं. तो आज हम बीजेपी और केंद्र सरकार से सवाल करना चाहते हैं कि क्या 100 गज जमीन भी उनके पास संत रविदास जी के लिए नहीं है?''

दिल्ली विकास प्राधिकरण का कहना है कि

गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने जंगल की जमीन पर निर्माण किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी जगह को खाली नहीं किया गया। इसलिए 9 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को आदेश दिया कि वो पुलिस की मदद से इस जगह को खाली कराए और ढांचे को हटाये। दिल्ली पुलिस और दिल्ली के मुख्य सचिव सुनिश्चित करें कि ढांचा हटाया गया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली सरकार से एसडीएम, डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी और गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के सदस्य 10 अगस्त सुबह 10 बजे जहांपनाह फॉरेस्ट्स में मौजूद थे. वहां मौजूद सेमी-परमानेंट ढांचे को शांति पूर्वक हटाया गया।


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