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देवरिया। चुनावी रंगत में हर उम्मीदवार जीत का भरोसा कर रहा है। वही देवरिया लोकसभा सीट पर इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। और यहां पर चुनाव त्रिकोणीय भंवर में फंस गया है। और 23 मई को जब परिणाम आयेगा तो तभी पता चलेगा । हालांकि यहां भाजपा के सांसद कलराज मिश्र ने भले ही विकास का कार्य किया हो, लेकिन सपा-बसपा ने गठबंधन के जरिए और कांग्रेस ने जातीय समीकरण सेट कर भाजपा की राह में रोड़ा अटकाने का काम किया है। वही, भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बदलकर जूता कांड में प्रसिद्धि पाने वाले सांसद शरद त्रिपाठी के पिता और वरिष्ठ भाजपाई रामरमापति त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा-बसपा ने विनोद जायसवाल को गठबंधन प्रत्याशी बनाया है। तो कांग्रेस ने नियाज अहमद पर अपना भरोसा जताया है। जो कि नियाज पिछले चुनाव में बसपा से प्रत्याशी थे। इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
धर्म के आधार पर देखा जाए तो 88.1% लोग हिंदू धर्म हैं तो 11.6% लोग मुस्लिम समाज से आते हैं. अन्य धर्म के मानने वालों की संख्या महज 0.3% है। देवरिया का लिॆंगानुपात प्रति हजार पुरुषों पर 1,017 महिलाएं हैं। साक्षरता दर का स्तर देखा जाए तो यहां की साक्षरता 71% है, जिसमें पुरुषों की 83% और महिलाओं की 59% आबादी साक्षर है। वही 2014 में मोदी लहर में ढाई लाख वोटों से चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र ने यहां पर बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी इतनी बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को बाहरी प्रत्याशी भारी पड़ सकता है। कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों नाखुश है। इधर बसपा ने जायसवाल को उम्मीदवार बनाकर भाजपा के वोटों को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी किया है। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा को कुछ वोटों के नुकसान की भी चर्चा हो रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव दत्त पांडेय की मानें तो लड़ाई भाजपा और गठबंधन के बीच है। लेकिन कांग्रेस अपने परंपरागत वोटों की लड़ाई लड़ रही है। यहां पर बाहरी होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लोग विकास को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। लोगों को लगता है कि अभी तीन साल योगी की सरकार रहनी है। उन्होंने कहा, "योगी ने यहां पर विकास किया है। कई बंद चीनी मिलें चलवाई हैं, जिससे लोगों में उनके प्रति एक आस जगी है। ऐसे में अगर केंद्र में फिर मोदी की सरकार बनती है तो काम में आसानी रहेगी। क्षेत्र का विकास हो सकेगा। लेकिन सातवें चरण में पूर्वाचल में धर्म-जाति का मुद्दा तेजी से उभार मार रहा है।"
देवरिया लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले ५ विधानसभा क्षेत्रों में से ४ पर भाजपा के विधायक हैं। केवल एक तमकुहीराज क्षेत्र पर कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू काबिज हैं।गठबंधन के साथ दलित, यादव मजबूती से लामबंद हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ने मुस्लिम वोटों में अच्छी सेंध लगा रखी है तो गठबंधन प्रत्याशी ने स्वजातीय वोटरों की अच्छी तादाद को लुभाया है। ऐसे में हालात कांटे की टक्कर के हैं।
देवरिया के अहरौली गांव के रमेश का कहना है कि यहां पर उज्ज्वला योजना और प्रधानमंत्री आवास बहुत संख्या में मिले हैं, जिस कारण यहां के लोगों का विश्वास मोदी के प्रति बढ़ा है।रामपुर कारखाना के धनपत का कहना है कि सरकार ने बहुत सारी याजनाएं चलाईं, लेकिन उनका लाभ नहीं मिला है। यहां के दीनानाथ ने कहा कि शौचालय बनने से गंदगी कम हुई है।बजरहा टोला के रफीक का कहना है कि इस सरकार ने केवल 'बांटो और राज करो' के आधार पर काम किया है। राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ हवाहवाई बातें हो रही है।यहीं के रहने वाले आकाश ने कहा कि इस सरकार ने शौचालय और गांवों में बिजली दी। किसानों का निधि देकर सम्मान बढ़ाया है। इसीलिए यह सरकार आना जरूरी है। लेकिन 19 मई को उत्तर प्रदेश के 13 सीटों पर मतदान होगा। जबकि 23 मई को मतगणना होगी।