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दिग्विजय सिंह ने राफेल की खरीदारी पर फिर उठाए सवाल, पीएम मोदी पर कसा तंज, बोले- अब तो उसकी क़ीमत बता दें
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राफेल की खरीदारी पर फिर सवाल उठाया है. उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है. उन्होंने लिखा कि अभी तक नहीं बता पाए कितने का राफेल खरीदा गया है. साथ ही 126 राफेल की बजाए 36 राफेल खरीदने का फैसला क्यों लिया गया. उन्होंने कहा कि आख़िर राफेल आ गया. 126 राफेल खरीदने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में UPA ने 2012 में फैसला लिया था. 18 राफ़ेल को छोड़कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था. यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था. एक राफ़ेल की क़ीमत 746 करोड़ तय की गई थी.
एक राफ़ेल की क़ीमत कॉंग्रेस सरकार ने ₹७४६ तय की थी लेकिन "चौकीदार" महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मॉंग करने के बावजूद आज तक एक राफ़ेल कितने में ख़रीदा है, बताने से बच रहे हैं। क्यों? क्योंकि चौकीदार जी की चोरी उजागर हो जायेगी!! "चौकीदार" जी अब तो उसकी क़ीमत बता दें!!
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020
मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ पीएम मोदी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया. राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी कर 126 राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल 36 ख़रीदने का निर्णय ले लिया. एक राफ़ेल की क़ीमत कॉंग्रेस सरकार ने 746 तय की थी लेकिन "चौकीदार" महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मांग करने के बावजूद आज तक एक राफ़ेल कितने में ख़रीदा है, बताने से बच रहे हैं. क्यों? क्योंकि चौकीदार की चोरी उजागर हो जायेगी! "चौकीदार" अब तो उसकी क़ीमत बता दें!
आख़िर राफ़ेल fighter plane आ गया। १२६ राफ़ेल ख़रीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने २०१२ में फैंसला लिया था और १८ राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹७४६ करोड़ तय की गई थी
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020
'चौकीदार'अब तो उसकी क़ीमत बता दें
राष्ट्रीय सुऱक्षा का आंकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 126 राफ़ेल ख़रीदने की सिफ़ारिश की थी, जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी थी. अब पीएम मोदी ने 126 के बजाय 36 राफेल ख़रीदने का फ़ैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं. क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया? उन्होंने कहा कि यदि हम इन प्रश्नों का उत्तर मांगते हैं तो मोदी की ट्रोल आर्मी और उनके "कठपुतली" मीडिया एंकर हमें राष्ट्रद्रोही बताते हैं! क्या प्रजातंत्रीय व्यवस्था में विपक्ष को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है?