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आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के आरक्षण का जैसे ही नाम आता है राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस शुरू हो जाती है। यूं तो कहने को EWS को एक बड़ा तबका चिढ़ाने वाले अंदाज में सुदामा कोटा भी बोलता है मगर हकीकत बात तो यही है कि आर्थिक तौर पर कमजोर जनरल कैटेगरी के बच्चों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। अब चाहे वह बच्चे हिंदू हो या मुसलमान हो या किसी और धर्म या जाति से संबंधित हो क्या फर्क पड़ता है।
7 जनवरी 2019 को भाजपा सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी जॉब और शैक्षणिक संस्थानों में 10% EWS आरक्षण का प्रावधान किया था। उसके बाद से ही हर जगह पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सुविधा प्राप्त होती है। ईडब्ल्यूएस कोटे में केवल वही लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है। ऐसे परिवारों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी में शामिल कर उन्हें 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।
EWS आरक्षण का मुस्लिम समुदाय को लाभ
अगर मैं सिर्फ मुस्लिम समुदाय के हिसाब से भी बात करूं तो EWS आरक्षण ने मुस्लिम समुदाय के बच्चों को बड़े पैमाने पर फायदा पहुंचाया है। खास तौर पर शिक्षा और सरकारी जॉब के क्षेत्र में आंकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं।
यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि कोई समुदाय (मुसलमान) अपने फायदे की चीज को दूसरे लोगों के प्रभाव में आने की वजह से जाने अनजाने में सुदामा कोटा बोलकर नकारते हुए विरोध कर रहा है जबकि अगर आप आंकड़ों से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा की यूपीएससी (UPSC) जैसे बड़े एग्जाम में भी लगभग 25% मुस्लिम युवा ईडब्ल्यूएस कोटा की वजह से ही सफल हो रहे हैं। अगर इसकी डिटेल को निकाल कर देखा जाए तो इस बात को फैक्ट के साथ स्थापित भी किया जा सकता है।
EWS आरक्षण कैसे मुसलमानों के लिए संजीवनी साबित हुआ है इसको समझने के लिए आपको UPSC के 2018 और 2019 का रिजल्ट देखना होगा। जहां 2018 में केवल 28 मुस्लिम युवा इस परीक्षा को पास करने में सफल रहे थे वहीं 2019 में ये गिनती 43 पहुँच जाती है।
यहां खास चीज ये देखने को मिली कि इन 43 कामयाब मुस्लिम युवाओं में 9 युवा EWS आरक्षण की वजह से कामयाब हुए थे। जो कुल सफल मुस्लिम युवाओं का 21% होता है।
अब आप खुद तय करिये कि EWS आरक्षण मुसलमानों के लिए लाभदायक है या नहीं!
UPSC 2019 के रिजल्ट में EWS आरक्षण के तहत सफल हुए मुस्लिम युवा:
Sr | Candidate Name | Rank |
1 | Azharuddin Zahiruddin Quazi | 315 |
2 | Md Shabbir Alam | 403 |
3 | Aftab Rasool | 412 |
4 | Maaz Akhter | 529 |
5 | Mohammad Aaquib | 579 |
6 | Saifullah | 623 |
7 | Sabzar Ahmad Ganie | 628 |
8 | Firoz Alam | 645 |
9 | Ruheena Tufail Khan | 718 |
फायदे की चीज को नुकसान बताना
मुस्लिम समुदाय के अधिकतर लोग राजनीतिक और सामाजिक तौर पर ओबीसी और दलित राजनीति के अधिक निकट रहने के चक्कर में EWS आरक्षण को अपने नुकसान की चीज समझते हैं जबकि हकीकत इसके उलट है।
अगर केवल ए और बी श्रेणी की सरकारी जॉब की बात करूं तो उसमें अच्छी खासी गिनती में मुस्लिम युवा केवल ईडब्ल्यूएस आरक्षण की वजह से उत्तीर्ण हो रहे हैं जबकि अभी यहां पर SSC, रेलवे और इस प्रकार के क्लर्क टाइप की जॉब की बात नहीं की जा रही है उसमें लाभार्थियों की संख्या बहुत बड़े पैमाने पर होगी।
जातिगत जनगणना की आड़ में अक्सर EWS आरक्षण को खत्म करने की बात की जाती है। ऐसे में मुसलमानों को स्पष्ट तौर पर उसका विरोध करना चाहिए। बुनियादी तौर पर जैसे OBC आरक्षण की वजह से मुस्लिम समुदाय की एक बड़ी गिनती को लाभ प्राप्त हुआ बिलकुल वैसे ही EWS आरक्षण ने भी मुस्लिम युवाओं के लिए एक और नयी राह को खोलने का काम किया है।
एक और उदहारण से आप को बहुत अच्छे से ये बात समझ आ जायेगी कि आखिर EWS आरक्षण ने कैसे मुस्लिम युवाओं को फायदा पहुँचाया है।
प्रशासनिक पदाधिकारियों की सरकारी जॉब में इस आरक्षण की वजह से मुस्लिम युवा अच्छी गिनती में सफलता हासिल कर रहे है। हाल में ही महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा मेडिकल ऑफिसर की ग्रुप बी की जॉब के लिए एग्जाम लिया गया था। जिसमें 7 मुस्लिम युवा EWS आरक्षण की वजह से उत्तीर्ण हुए हैं।
MPSC द्वारा मेडिकल ऑफिसर की ग्रुप बी की जॉब में उत्तीर्ण मुस्लिम युवा (EWS कोटा):
Sr | Candidate Name | Rank |
1 | Shaikh Kauser Mohd Yaseen | 75 |
2 | Mohsin Rafik Patel | 84 |
3 | Shaikh Mohammadi | 177 |
4 | Shaikh Nouman Vajid | 310 |
5 | Sayyad Ashana Jabir | 346 |
6 | Syed Minhaj Ali | 676 |
7 | Patel Shoeb | 710 |
अब आप खुद सोचिये EWS आरक्षण की वजह से मुस्लिम युवाओं के कैसे फायदा मिलता है।
मुस्लिम समाज के मुख्यधारा में शामिल होने का द्वार
देश के सबसे पिछड़े और हाशिये पर मौजूद मुस्लिम समाज, मुख्यधारा में तभी शामिल हो सकता है जब इस समुदाय के युवा व्यापक तौर पर शिक्षित हों और उच्च प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति हों। इसके साथ उचित राजनीतिक भागीदारी मुसलमानों के पिछड़ेपन को खत्म करने के लिए रामबाण साबित होगी।
EWS आरक्षण ने धीमे से ही सही मगर मुस्लिम युवाओं को एक ऐसा मौका दिया है जिसने मुसलमानों को भी मुख्यधारा में शामिल होने के रास्ते खुल गए हैं।
आखिर EWS आरक्षण ने ऐसा क्या कारनामा कर दिया है जो मैं ये बातें बोल रहा हूँ। तो समझ लीजिये के ये आरक्षण मुस्लिम युवाओं को देश के सभी सबसे कठिन एग्जामों में सफलता की कुंजी बन चुका है।
उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक पदाधिकारियों की नियुक्ति में EWS आरक्षण के तहत सफल हुए मुस्लिम युवा:
- UPPSC के रेवेन्यू बोर्ड के लिए हुए 2021 के एग्जाम में एक मुस्लिम युवा वक़ार उद्दीन EWS आरक्षण के तहत सातवीं रैंक के साथ सफलता हासिल करता है।
- UP जूडिशल सर्विस (सिविल जज) के 2022 के नतीजों में एक मुस्लिम युवा मोहम्मद कासिम 135 रैंक के साथ EWS कोटा की वजह से सफलता हासिल करता है।
अब आप खुद सोचिये EWS आरक्षण की वजह से मुस्लिम युवाओं को कैसे फायदा मिलता है।
ऐसे ही दिल्ली जुडिशल सर्विस एग्जाम 2022 में 5 मुस्लिम युवा जनरल कैटागोरी में सफल हुये थे। अब आप खुद तय कर लीजिये अपने बच्चों के भविष्य के लिए आपको क्या करना है। कहीं ऑंखें मूंद कर EWS आरक्षण का विरोध कहीं पहले से पिछड़े हुए मुस्लिम समुदाय के बच्चों के भविष्य को गर्क में न ले जाये।
दिल्ली जुडिशल सर्विस एग्जाम 2022 में सफल हुए युवा :
Sr | Candidate Name | Rank |
1 | Ariba Khan | 68 |
2 | Anum Siddiqui | 110 |
3 | Zulfiqar Zakhar Naved | 158 |
4 | Mohammad Sultan | 226 |
5 | Danish Ali | 255 |
EWS आरक्षण का एक फायदा और देखिये। जहां गिनती के मुसलमान ही UPSC के कठिन एग्जाम को पास कर पाते है वहीं सफलता के बाद कम रैंक की वजह से मनचाहा कैडर और पोस्ट अलॉटमेंट में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
जहां जनरल कैटोगरी में 77 रैंक तक के ही सफल युवा को ही आईएएस के तौर पर लिया जाता है वहीं EWS के तहत ये रैंक 320 हो जाती है। इसके साथ ही आईपीएस में भी जनरल कैटोगरी के लिए 229 हैं वहीं EWS के लिए ये रैंक 513 है।
अब आप खुद सोचिये EWS आरक्षण की वजह से मुस्लिम युवाओं के कैसे फायदा मिलता है।
(नोट: ऊपर दिए आंकड़ें 2021 के UPSC कैडर के रैंक के हिसाब से है.)
अगर EWS आरक्षण का मुस्लिम युवाओं को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है तो फिर भी मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसका विरोध क्यों करता है ?
इस सवाल के जवाब को ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे तो कई जवाब मिलेंगे। पहली बात तो ये है कि मुस्लिम समाज खुद नहीं जनता है कि आखिर इस EWS आरक्षण ने कैसे मुस्लिम समाज को फायदा पहुंचाया है। दूसरी बात कि मुस्लिम जनता को EWS आरक्षण के बारे में बुनियादी जानकारी ही नहीं मालूम है। तीसरी और अहम बात कि देश के राजनीतिक माहौल की वजह से मुस्लिम अभी जिस खेमे में है वहां इस आरक्षण को सुदामा कोटा कह कर चिढ़ाया जाता है और उसका मुस्लिम समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
जैसे ही मुस्लिम समाज को इस EWS आरक्षण के तहत समाज के बच्चों को हो रहे फायदे के बारें में पता चलेगा वो खुद ही इसका लाभ लेने की होड़ में शामिल हो जायेगा। एक तरफ तो मुस्लिम समाज भाजपा नेताओं द्वारा मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात को बहुत जल्दी समझ लेता है मगर जो देशव्यापी तौर पर एक आरक्षण EWS मुसलमानों को फायदा पहुंचा रहा है उसके बारे में बिलकुल ही अनजान है।
मुसलमानों की अधिकतर आबादी OBC के अंतर्गत ?
एक भ्रम समाज में और व्यापक तौर पर फैलाया जाता है कि मुसलमानों की अधिकतर आबादी OBC के अंतर्गत आती है। ये वो झूठ है जिसने मुसलमानों का जितना नुकसान किया है उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।
इसका सीधा जवाब ये है कि मुसलमानों की जनरल आबादी का पैमाना राज्य के OBC लिस्ट के हिसाब से तय होता है। जितनी मुस्लिम बिरादरी अथवा जाति को OBC लिस्ट में शामिल किया जायेगा उसके बाद बचने वाली सभी बिरादरियां जनरल कैटागोरी में ही आती है। सोचिये जिस बिहार में मुसलमानों की अधिकतर आबादी को OBC की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है वहां पर भी 27% मुस्लिम आबादी जनरल श्रेणी में आती है। बाकि राज्यों में तो मुसलमानों की 50% से भी ज्यादा आबादी जनरल श्रेणी में ही शामिल है।
एक बड़ा तबका ये भी मांग करता है कि 10% EWS आरक्षण को कम कर के 3 से 4 फीसदी कर देना चाहिए। जबकि इसको उदहारण के साथ समझे तो बिहार की हालिया जातिगत जनगणना के हिसाब से 15% हिंदू स्वर्ण के साथ मुसलमानों की लगभग 18% में से 5 फीसदी जनरल आबादी को जोड़ लो तो 20 पर्सेंट आबादी के लिए 10% EWS आरक्षण कोई बड़ी बात नहीं है। तो यह भ्रम फैलाना बंद हो जाना चाहिए बहुत कम गिनती के लिए बहुत ज्यादा ईडब्ल्यूएस का आरक्षण दिया जाता है। अभी दूसरे राज्यों में ये गिनती बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।
आखिर कैसे हासिल करें EWS आरक्षण ?
अब आप भी सोचते होंगे कि आखिर इस EWS आरक्षण के लिए क्या योग्यता और पात्रता चाहिए ताकि इससे ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जा सके। इसकी जानकारी निम्नलिखत प्रकार से है।
क्या होता है EWS :
EWS यानी कि Economically Weaker Section, जिसको हिंदी में आर्थिक कमजोर वर्ग कहते हैं। यह सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए बनाया गया था, जिसके तहत आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण दिया जाता है।
कौन हो सकता है ईडब्ल्यूएस में शामिल :
EWS कोटे में केवल वही लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है। ऐसे परिवारों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी में शामिल कर उन्हें 10% आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।
ईडब्ल्यूएस के लिए जरूरी दस्तावेज :
ईडब्ल्यूएस का लाभ प्राप्त करने लिए आवेदकों के पास वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम और संपत्ति का का सुबूत होना चाहिए। इसके लिए आवेदकों को आय और संपत्ति प्रमाण पत्र बनवाना होता है।
कैसे बनता है ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट :
अगर आप EWS सर्टिफिकेट बनवाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको नेशनल गर्वनमेंट सर्विस पोर्टल से ईडब्ल्यूएस का फॉर्म डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आवेदन में मांगी गई जानकारी को भरें और फोटो लगाने के साथ हस्ताक्षर करें।
इसके बाद आप अपने फॉर्म को लोकल ऑथोरिटी या फिर तहसील के पटवारी या लेखपाल के पास जमा कर सकते हैं। विभाग आपके द्वारा भरी गई जानकारी की जांच करेगा और सब कुछ सही मिलने पर आपका ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट 21 दिनों के भीतर तैयार हो जाएगा। ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट का नवीनीकरण भी कराना होता है।
इन शर्तों का पूरा होना जरूरी :
ईडब्ल्यूएस के लिए आवेदक के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी चाहिए। साथ ही आवासीय प्लॉट भी 200 वर्ग मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है, तो प्लॉट नगर पालिक के क्षेत्र में नहीं आना चाहिए। इन सभी शर्तों को पूरा करने पर ही आप ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ ले सकते हैं।
निष्कर्ष :
यह जो मुसलमान बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह राजनीतिक प्रभाव की वजह से EWS आरक्षण कोटा को कम करने की वकालत कर रहे हैं वह पहले जाकर इस EWS आरक्षण की वजह से मुस्लिम समुदाय के युवाओं को कितना फायदा हो रहा है उस पर गहन विचार कर लें। तब उनको समझ में आएगा कि असल में वो लोग समुदाय का फायदा नहीं नुकसान कर रहे हैं।
पहले से ही राजनीतिक और सामाजिक तौर पर हाशिये पर मौजूद मुस्लिम समाज के लिए EWS आरक्षण एक वरदान है। वो अलग बात है कि खुद मुस्लिम समाज इस बात से अभी पूरी तरीके से अनजान है। आगामी दिनों में इसकी जागरूकता बढ़ने पर मुस्लिम समाज के युवा इसका और भी व्यापक स्तर पर फायदा उठा सकते है।
किसी भी समाज को पिछड़ेपन के चंगुल से निकल कर मुख्यधारा में लाने का काम केवल 3 चीजें ही कर सकती हैं। शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी वो कुंजी है जो मुस्लिम समाज को दुबारा से हाशिये से निकाल सत्ता के शिखर पर पहुंचाने का काम करेगी।