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संजय कुमार सिंह
बेटी 18 साल की हो गई तो कहा कि उसका बैंक खाता खुलवा दिया जाए। बैंक गया तो पता चला खाता खोलने के लिए पैसे के साथ आधार तो जरूरी है ही पहचान के लिए कोई और दस्तावेज जरूरी है। मतलब खाता खोलने के लिए आधार पर्याप्त नहीं है। जो दस्तावेज मान्य हैं उनमें पैन कार्ड के अलावा मतदाता परिचय कार्ड भी है। बैंक खाता खोलने के लिए पैन कार्ड या पैन नंबर की बात तो समझ में आती है पर मतदाता परिचय पत्र - राम जानें। मोदी जी 15 लाख रुपए देने के साथ गरीबों का शून्य बचत वाला जन धन खाता खुलवा रहे थे। स्थिति यह है कि 1000 रुपए पर भी खाता नहीं खुला।
जिसकी कोई आय नहीं है आगे पैन कार्ड बनना ही है और कुछ मामलों में बनना ही नहीं है उसका खाता ही नहीं खुले तो वह काम कैसे करेगा। पकौड़े बेचने के लिए भी अगर किसी को परिचित से पैसे उधार लेने हों, अपने ही पैसे इकट्ठे कर खाते में डालकर कड़ाही-चूल्हा खरीदना हो तो बिना खाते के कैसे करेगा? अगर दुकान किराए पर लेनी हो तो उसमें बिजली का कमर्शियल मीटर लगेगा। ऑनलाइन भुगतान और ईज ऑफ बिजनेस का क्या फायदा अगर खाता ही नहीं खुले। मैं बैंक वालों से उलझ रहा था तो ताली -थाली बजाने वाले ग्राहक बताने लगे कि पैन कार्ड काफी समय से जरूरी है, आराम से बन जाएगा उसके लिए खाते की जरूरत नहीं है (मतलब खाता न हो पर आयकर का स्थायी नंबर ले कर अचार लगाइए) आदि आदि।
यह ठीक है कि सब काम के लिए दलाल हैं और पैसे देकर काम हो सकता है। लेकिन जनता नियम की जरूरत पर सवाल नहीं उठाएगी तो 18 साल की उम्र का होते मतदाता परिचय पत्र बनवाने किए आपसे टेलीफोन का बिल या किराए की रसीद मांगी जाएगी। किसी बच्चे के नाम से ये होना नहीं पर विकल्प के रूप में इनका नाम है और लोग यह कहते नहीं अघाते कि मोदी जी का विकल्प ही नहीं है। दूसरी ओर इन विकल्पों का क्या मतलब यह कोई नहीं पूछेगा। वैसे भी, जब बैंक खातों पर सरकार की नजर है और बड़े लेने देन बिना पैनकार्ड हो ही नहीं सकते तो छोटे लेन-देन वालों के लिए पैन कार्ड जरूरी क्यों। मेरे खाते में छह महीने से ज्यादा हो गए एक एंट्री नहीं है (ब्याज देने और शुल्क काटने को छोड़कर)। क्या सरकार पूछेगी कि पैसे नहीं आ रहे हैं तो खा कहां से रहे हो या खाता किसलिए खोला था?
कुल मिलाकर, मेरा कहना है कि ऐसे नियम क्यों हैं? कहने की जरूरत नहीं है कि इससे सरकारी विभागों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। अगर काम ठीक चल रहा होता तो मैं शिकायत नहीं करता पर सच यह है कि कोबरा पोस्ट के एक खुलासे के मुताबिक देश के 194 नेताओं ने चुनाव आयोग को अपने पैन कार्ड का गलत विवरण दिया है। इनमें छह पूर्व मुख्यमंत्री, 10 कैबिनेट मंत्री, आठ पूर्व मंत्री, 54 मौजूदा (खबर अक्तूबर 2018 की है) विधायक, 102 पूर्व विधायक, एक पूर्व डिप्टी स्पीकर, एक पूर्व स्पीकर, एक पूर्व सांसद और एक उप मुख्यमंत्री शामिल हैं। ये नेता देश की 29 छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हैं। इनमें भाजपा के 41, कांग्रेस के 72, समाजवादी पार्टी के 12, बसपा के आठ, जेडीयू के छह नेता शामिल हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, आम आदमी खाता खोलने के लिए पैन बनवाए।
मैंने कोशिश की। पता चला कि आधार भी अपडेट होना है। वैशाली में आधार अपडेट करने के दो केंद्र हैं। एक जगह बताया गया कि सुबह 10 से सवा दस बजे तक टोकन मिलता है और उसके बाद ही काम हो सकता है। यानी इस ठंड में 10 बजे जाइए तो काम होगा नहीं तो घर बैठिए। दूसरी जगह संबंधित बाबू नहीं थे और दफ्तर में उनके बारे में कोई बताने को तैयार नहीं था या किसी को पता ही नहीं था। वहां लिखा था कि अगली बार टोकन 28 जनवरी को मिलेगा। यह सूचना आज से लेकर 27 जनवरी तक के लिए वैध थी या कुछ और, पता नहीं चला। फिर जाना पड़ेगा। मतदाता सूची के लिए मुझे याद आया कि मतदान केंद्र पर बीएलओ का नंबर लिखा था। उससे बात करूं। पर एक स्कूल के कई मतदान केंद्रों के लिए एक बोर्ड पर कई बीएलओ के नंबर लिखे थे जो पढ़े नहीं जा रहे थे।
घर आकर इंटरनेट पर आवेदन करने की कोशिश की – आवेदन हो गया। अब मतदाता परिचय पत्र का इंतजार है। आगे की जानकारी आगे दूंगा। हालांकि, इससे प्रेरित होकर हमदोनों ने पैन कार्ड के लिए भी आवेदन करने की कोशिश की पर वह नहीं हो पाया। फोन करके समझने की कोशिश की पर हमें जो पूछना था उसका विकल्प ही नहीं मिला। खोज-बीन करने पर पता चला कि मेरे ही मोहल्ले में आयकर विभाग का कोई सुविधा केंद्र है। कल या अगली बार उसे आजमाता हूं फिर बताउंगा। खाता कितने दिन में खोल पाता हूं वह भी बताउंगा। वैसे खाता खोलने की यह कोशिश आज शुरू नहीं हुई है। बिटिया जब 18 की नहीं थी तबके अलग झंझट थे और हमें लगा था कि 18 के बाद मामला आसान हो जाएगा। और आसान होने के बाद यह सब हुआ। इसके बावजूद आप समझते हैं कि देश में कुछ अच्छा हुआ है तो आप धन्य हैं। ताली बजाइए।