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मोदी सरकार के कार्यकाल में कितना बदला देश का राजनीतिक नक्शा?

Shiv Kumar Mishra
26 May 2020 9:01 AM GMT
मोदी सरकार के कार्यकाल में कितना बदला देश का राजनीतिक नक्शा?
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अब इस साल एक और चुनाव होना है, बिहार के चुनाव में इस बार भाजपा के सामने सरकार बचाने की चुनौती है.

गुजरात में करीब 13 साल तक शासन चलाने वाले नरेंद्र मोदी को अब देश के प्रधानमंत्री के तौर पर 6 साल से अधिक का वक्त हो गया है. 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसके बाद से ही पार्टी का मुकद्दर पूरी तरह से बदल गया. चुनाव दर चुनाव, साल दर साल भाजपा का ग्राफ बढ़ता गया और कांग्रेस घटती चली गई.

लेकिन, अब जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को भी एक साल पूरा हो रहा है. ऐसे में देश का राजनीतिक नक्शा फिर बदलता हुआ नज़र आ रहा है, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र-झारखंड में हार के बाद बीजेपी का ग्राफ गिरता हुआ नज़र आ रहा है.

एक वक्त में बीजेपी देश के 21 राज्यों में सरकार में शामिल थी, लेकिन अब संख्या घटकर 18 हो गई है. जहां वह या तो अपने दम पर सरकार चला रही है, या हिस्सेदार है.

ऐसे में एक बार नज़र डाल लेते हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश का राजनीतिक नक्शा कैसे रंग बदलता चला गया...

साल दर साल कैसा रहा चुनावों में भाजपा का हाल…

1. 2014

2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और 30 साल बाद किसी पार्टी ने अपने दम पर केंद्र में सत्ता हासिल की. नरेंद्र मोदी लोकप्रियता के शिखर पर थे, जिसका फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनावों में भी मिलता रहा.

2014 में भाजपा ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक जीत हासिल की. महाराष्ट्र में तो बीजेपी ने अकेले दम पर 122 सीटें हासिल की, जिसके बाद शिवसेना को छोटे भाई का रोल निभाना पड़ा. वहीं, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.


2. 2015

भाजपा के चुनावी रथ को साल 2015 में थोड़ा झटका भी लगा, क्योंकि पहले राजधानी दिल्ली और फिर बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नाम पर AAP को ऐतिहासिक वोट मिला, तो बिहार में नीतीश-लालू की जोड़ी ने एक साथ आकर BJP का गेम बिगाड़ दिया.

3. 2016

साल 2016 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पुड्डुचेरी और असम में विधानसभा चुनाव हुए. भाजपा को इनमें से सिर्फ दो ही राज्यों में जीत मिली, लेकिन वो भी ऐतिहासिक ही रही. इस साल भाजपा ने असम में अपने दम पर सरकार बनाई, जिसके बाद तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वोत्तर पर ज़ोर देना तय किया.

हालांकि, काफी ज़ोर लगाने के बाद भी भाजपा पश्चिम बंगाल और केरल में कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाई. दोनों ही राज्यों में भाजपा सिंगल डिजिट तक ही पहुंच पाई.

4. 2017

साल 2017 की शुरुआत के साथ ही 2019 के विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी और हर किसी की नज़र में उत्तर प्रदेश में होने वाला चुनाव सेमीफाइनल था. नोटबंदी के बाद 2017 में चुनाव होने थे, इस साल कुल 7 विधानसभा चुनाव हुए.

शुरुआत में भाजपा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. उत्तर प्रदेश में अपने दम पर भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ के सिर पर राज्य का ताज आया. उसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा में भी भाजपा जीत हासिल कर पाई. हालांकि, पंजाब में अकाली-भाजपा के गठबंधन को हार मिली.

साल के दूसरे हिस्से में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए. नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने के बाद राज्य में पहला विधानसभा चुनाव था, राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने पूरी जान लगाई लेकिन अंतत: भाजपा दो दशक से जारी सत्ता को बचाने में कामयाब रही.

2017 साल के अंत तक देश लगभग भगवामय हो चुका था और देश के 19 राज्यों में भाजपा सरकार चला रही थी. इसी साल नीतीश कुमार एक बार फिर राजद का साथ छोड़कर भाजपा के साथ वापस आ गए थे.


5. 2018

साल 2018 तक देश पूरी तरह से लोकसभा चुनाव के मोड में आ चुका था. गुजरात में भाजपा को हिला देने वाली टक्कर देने के बाद कांग्रेस फुल एक्शन में थी. ये साल भाजपा के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ और लोकसभा चुनाव से पहले कई झटके दे गया.

बीजेपी ने अपने गढ़ राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी भाजपा के लिए इसे बड़ा झटका माना गया.

इस साल हुए चुनावों में बीजेपी ने त्रिपुरा में लेफ्ट के गढ़ को साफ कर सत्ता हासिल की. कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन सत्ता हासिल नहीं कर पाई. मेघालय में बीजेपी ने सरकार में हिस्सेदारी हासिल की, लेकिन मिजोरम-नगालैंड में कोई खास सफलता नहीं मिली.


6. 2019

ये साल लोकसभा चुनाव का साल था, हर किसी की नज़र इसपर थी क्या नरेंद्र मोदी फिर देश का दिल जीत पाएंगे. चुनाव नतीजे आए थे तो हर कोई हैरान रहा, क्योंकि बीजेपी पिछली बार से अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आई. लेकिन विधानसभा चुनाव में कुछ झटके लगे.

लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में चुनाव हुए, जहां सिर्फ अरुणाचल में ही बीजेपी अपने दम पर सरकार बना पाई.

लेकिन इसके बाद जब हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हुआ तो बीजेपी के लिए बड़े झटके लगे. महाराष्ट्र में शिवसेना अलग हो गई, चुनाव नतीजों के कई दिनों बाद तक राजनीतिक ड्रामा चला. बीजेपी की सरकार भी बनी, लेकिन दो दिन में गिर गई. अंतत: शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी ने सरकार बना ली.

वहीं, झारखंड में बीजेपी की करारी हार हुई और हरियाणा में किसी तरह गठबंधन के साथ सरकार बन पाई. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद भाजपा के लिए ये बड़े झटके साबित हुए.


7. 2020

नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ जारी आंदोलन के साये में जब दिल्ली में चुनाव हुए तो नतीजे पहले के जैसे ही रहे. बीजेपी के एड़ी चोटी का ज़ोर लगाने के बाद भी वह कुछ खास नहीं कर पाई और AAP ने 60 से अधिक सीटें जीत कर इतिहास रच दिया. इसके अलावा बीजेपी ने इसी साल मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता वापस भी ली है. वहीं, कर्नाटक में भी बीजेपी सत्ता को वापस ले चुकी है.

अब इस साल एक और चुनाव होना है, बिहार के चुनाव में इस बार भाजपा के सामने सरकार बचाने की चुनौती है.

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