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5 मिनटों के अंदर दो करोड़ जमीन, चंदे से ली गई जमीन साढ़े अठारह करोड़ में हो गई कैसे - रणदीप सुरजेवाला
एक प्रश्न पर कि क्या आप चाहते हैं कि कोई समय सीमा तय की जाए जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच हो, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मैंने ये जो मांग उठाई, बड़ी गंभीरता से इस देश की भावनाओं के अनुरूप उठाई है। हम सबको ये मालूम है कि भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय और उनके द्वारा आदेशों के अनुरूप बनाई गई ट्रस्ट द्वारा करवाया जा रहा है। इसलिए ये स्वाभाविक है कि जब इस प्रकार का गड़बड़झाला और घोटाला सामने आया, जिसमें भाजपा के लोग और आरएसएस से जुड़े लोग भी प्रथम दृष्टि से शामिल हैं तो स्वभाविक तौर से सुप्रीम कोर्ट का ये कर्तव्य है, सुप्रीम कोर्ट का ये दायित्व है कि अपने निर्णय के अनुरूप और सुप्रीम कोर्ट निर्णय कर ले समय सीमा, इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड जांच हो, जरुरत हो, अगर कोई अपराध हुआ है तो सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड एसआईटी हो और जो पैसा चंदे के स्वरूप में देश के राम भक्तों ने दिया, वो कहाँ खर्च हुआ, कैसे खर्च हआ और इस प्रकार की कितनी और रजिस्ट्रियाँ हैं, जहाँ 5 मिनटों के अंदर दो करोड़ जमीन, चंदे से ली गई जमीन साढ़े अठारह करोड़ में हो गई, फायदा किसको हुआ आपके सामने है, इन सबकी एक व्यापक जांच, सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड जांच होनी चाहिए।
एक अन्य प्रश्न पर कि जिस प्रकार श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण चल रहा है, क्या आप यह भी मांग करेंगे कि जांच पूरी होने तक मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया जाए, सुरजेवाला ने कहा कि ये तो कोई कल्पना में भी नहीं सोच सकता। भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण जारी रहना चाहिए, पुरजोर स्पीड से जारी रहना चाहिए, उसमें कोई अड़चन और दुविधा आनी ही नहीं चाहिए, परंतु अगर भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण पर करोड़ों-करोड़ों लोगों द्वारा दिए गए चंदे, गरीब से गरीब आम जनमानस द्वारा दिए गए चंदे का सीधे-सीधे दुरुपयोग होगा, जैसे प्रथम दृष्टि से साबित हो रहा है, तो फिर उसकी जांच तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा करवाई जानी चाहिए, ताकि भक्तों की आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शों के अनुरूप और भगवान श्री राम के चरित्र के अनुरूप जो घोटालेबाज हैं, उनको अपने घोर पाप और अधर्म की सजा अवश्य मिल सके।
एक अन्य प्रश्न पर कि जिस तरह की घटना सामने आई है, क्या आपको लगता है कि कांग्रेस पार्टी ये मांग करेगी की ट्रस्ट के जो राजनीतिक पार्टी से या आरएसएस से जुड़े सदस्य हैं, उनको ट्रस्ट से हटाकर निष्पक्ष लोगों को ट्रस्ट में लाना चाहिए, श्री सुरजेवाला ने कहा कि शायद मैं पूरी बात बता नहीं पाया। इस पूरे मामले में कौन-कौन करेक्टर्स हैं। करेक्टर नंबर-1, रवि मोहन तिवारी और उनके साथ हैं, सुल्तान अंसारी। रवि मोहन तिवारी तथाकथित तौर से भाजपा के प्रमुख नेता, उपाध्याय जी, जो विटनेस भी हैं, दोनों रजिस्टर्ड डीड्स पर उनके रिश्तेदार हैं और मुझे बताया है कि उनके घर के बिल्कुल पड़ोस में ही रहते हैं, नजदीक ही रहते हैं।
दूसरे कौन हैं, दो करेक्टर्स, एक करेक्टर का नाम है, जो ट्रस्ट में ट्रस्टी भी हैं, जिन्हें नरेन्द्र मोदी जी ने बनाया था और उनका नाम आपके सामने है और उनका नाम है, अनिल जी। अब अगर आप इनकी तरफ देखें, अगर एक बार इनको देखें ध्यान से, श्री अनिल मिश्रा जी, पूर्व प्रांत कार्यवाहक, आरएसएस के और आरएसएस के आजीवन सदस्य हैं और श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं, मोदी जी ने उन्हें बनाया है और तीसरे व्यक्ति कौन हैं, ऋषिकेश उपाध्याय, जो मोदी जी के ब़ड़े नजदीकी भी हैं औऱ भाजपा के नेता हैं और भाजपा के मेयर भी हैं, इस समय अयोध्या में और चौथे व्यक्ति जिन्होंने ट्रस्ट की ओर से डीड पर दस्तखत किए वो ट्रस्ट के सेक्रेटरी हैं, चंपत राय जी। जिनसे जब आप जैसे पत्रकार मित्रों ने जब सवाल पूछा, तो उन्होंने जवाब क्या दिया, हमारे ऊपर तो महात्मा गांधी जी की हत्या के इल्जाम भी लगते रहते हैं। अरे भईया, महात्मा गांधी को क्यों बदनाम करने पर तुले हो। जिनकी लाइनें ही शुरु होती थी, 'रघुपति राघव राजा राम, ईश्वर अल्लाह तेरे नाम'। जो न भगवान श्री राम को समझते, जानते, न भगवान श्री राम के चरित्र, मूल्यों और आदर्शों के जानते, जो न महात्मा गांधी के राम को जानते, न इस देश के राम को जानते, ऐसे लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए। क्या होना चाहिए, नहीं होना चाहिए, ये सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच में है, वो निर्णय करें। हम केवल ये चाहते हैं कि अगर भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के चंदे में गड़बड़झाला हुआ है, घोटाला हुआ है, किसी ने चंदा चोरी की है, जैसा प्रथम दृष्टि से लगता है, तो ऐसे लोगों को जांच होकर सजा मिलनी चाहिए ।
एक अन्य प्रश्न पर कि आप इस मुद्दे पर मंदिर के ट्रस्ट की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं और क्या इस मुद्दे पर समूचा विपक्ष सामूहिक रुप से अदालत के दरवाजे खटखटाएगा, सुरजेवाला ने कहा कि पहली बात तो ये राजनीति का विषय नहीं है। ठीक है मैं राजनीतिक कार्यकर्ता हूँ, पर मैं एक भारतीय हूँ और मुझे लगता है कि मैं आज यहाँ एक भारतीय की भूमिका में अधिक हूँ, एक राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका में शायद नहीं हूँ। इसलिए ये आस्था का विषय है। ये कर्तव्य का विषय है। भगवान श्री राम का नाम जब आएगा, तो कर्तव्यबोध साथ-साथ आएगा।
The righteous duty is synonymous with the name of Lord Ram. आदर्श और मूल्य भगवान श्री राम के नाम के साथ जुड़े हैं। जब कर्वत्यबोध, आदर्श और मूल्यों, इन तीनों का सार्वजनिक तौर से हनन हो रहा हो तो उसमें राजनीति का प्रश्न ही कहाँ पैदा होता है। आस्था का सौदा करना, इससे बड़ा महापाप हमारे शास्त्रों मे, हमारी संस्कृति में कहीं नहीं है। जो आस्था का सौदा करेगा, जो मंदिर निर्माण के लिए करोड़ों लोगों द्वारा दिए गए पैसे में गड़बड़ करेगा, जो भाजपाई नेता दो करोड़ की जमीन साढ़े अठारह करोड़ रुपए में यानि राम मंदिर निर्माण के लिए गए चंदे से उनको बेच डालेंगे, तो एक देशवासी के तौर पर, एक भारतीय के तौर पर ये अनिवार्य है, राजनीति से ऊपर उठकर, परे होकर, राजनीतिक दलों को एक तरफ रखकर कि सुप्रीम कोर्ट, जिन्होंने निर्णय दिया था राम मंदिर निर्माण का, और जिन्होंने ट्रस्ट का गठन किया था, आज सुप्रीम कोर्ट उनके ऊपर भी, उनका भी ये कर्तव्य है, उनकी जिम्मेदारी है, उनको अपने कर्तव्य बोध का एहसास होना चाहिए कि वो करोड़ो रुपया अगर कहीं गड़बड़ हुई तो इसकी सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड जांच हो, हर चीज का ऑडिट हो और जो दोषी मिले, जांच के बाद, सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड उसके खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कर सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही करे।
इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हमने सदैव कहा है, राजनीति का धर्म होना चाहिए। धर्म यानि कर्तव्य। राजनीति का धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं और जब धर्म और राजनीति दोनों की आस्था की बोली लगे, तो एक राजनीतिक कार्यकर्ता से ऊपर उठकर एक देशवासी के तौर पर हम सबका ये परम कर्तव्य है कि इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निष्पक्ष जांच हो और यही मैंने कहा। इसे आप कांग्रेस, सपा, बसपा, माकपा, इन संकीर्ण दीवारों में बांधकर न देखें, मेरा ये आपसे भी अनुरोध है। राम धुन और राम की आस्था को राजनीतिक दीवारों में बांधकर नहीं देखा जा सकता, पर शाश्वत सत्य ये भी है कि प्रथम दृष्टि से गड़बड़झाला हुआ, ये साफ है कि उसमें भाजपा-आरएसएस के लोग शामिल हैं। उसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्हें नरेन्द्र मोदी जी ने ट्रस्टी बनाया था। क्या भगवान राम के मंदिर निर्माण की ट्रस्ट के ट्रस्टी से ऊपर भी कोई सम्मान हो सकता है? अमानत में खयानत न करना ही इस देश की परिपाटी है और यहाँ तो अमानत में खयानत प्रथम दृष्टि से बिल्कुल स्पष्ट है, तो हम केवल ये कह रहे हैं कि राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर भारत के नागरिक के तौर पर इस मामले की सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए। ये आम मामला नहीं, आज ये सुप्रीम कोर्ट का भी प्रथम कर्तव्य है कि वो ऐसा करे और उम्मीद है कि मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट और जो माननीय न्यायाधीश हैं, वो इसका संज्ञान लेंगे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि आज मेरी आपसे प्रार्थना है, आपको ये मालूम है, पिछले 7 वर्षों में एक बार भी ऐसा समय नहीं आया, जब मैंने किसी विषय पर सवाल लेने से गुरेज किया हो, पर आज मेरी हाथजोड़कर सारे मित्रों से प्रार्थना है और गुस्ताखी अगर आप समझें, तो वो मान लें कि आज ये इतना बड़ा विषय है, ये इस देश की आस्था, इस देश के विश्वास, इस देश के कर्तव्यपरायणता, इस देश के आदर्श, इस देश में चरित्र और मूल्य उन सबका इम्तिहान है और जो लोग, सत्ताधारी हैं, वो मुंह पर पट्टी और आंख पर पट्टी बांधे बैठे हैं। जब सीधे-सीधे करोड़ों लोगों के द्वारा जो चंदा दिया गया मंदिर निर्माण का, उस अमानत में खयानत हो रही है।