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सादगी और ईमानदारी की मिसाल थे सांसद इसरारुलहक कासमी
माजिद अली खां (राजनीतिक संपादक)
एक बार मैं अपने एक दोस्त धर्मेंद्र त्यागी के साथ साउथ एवेन्यू में एक सांसद से मुलाकात करने गया तभी एक साधारण से कुर्ता पायजामा पहने एक साहब सफेद दाढ़ी में जाते हुए दिखाई दिए, मैंने अपने एक दोस्त से कहा कि चलो एक दूसरे सांसद से मिलते हैं वह आ रहे हैं तभी दोस्त ने कहा कि यह तो कोई साधारण से आदमी हैं सांसद ऐसे कहां रहते हैं। मैंने कहा कि यह किशनगंज के सांसद मौलाना इसरारुलहक कासमी हैं। मेरा दोस्त ताज्जुब में गया और उसने बेसाख्ता कहा कि ऐसे सांसद सब हो जाएं तो देश का भला अवश्य होगा।
सुबह खबर मिली कि सादगी, ईमानदारी और सज्जनता की मिसाल किशनगंज सांसद कासमी साहब अपने हकीकी रब से मिलने के लिए कूच कर गए बड़ा दुख हुआ। स्पेशल कवरेज न्यूज़ समूह कासमी साहब के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। कासमी साहब ने पूरा जीवन मुस्लिम समाज के साथ साथ दूसरे समाजों के कल्याण में लगा दिया।
उन्होंने बिहार के किशनगंज जैसे गरीब मुस्लिम बहुल इलाके में लोगों के कल्याण के लिए अनेकों काम किए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का किशनगंज में कैंपस कायम करवाने की कोशिश उनका एक बहुत बड़ा कारनामा रहा है। कासमी साहब बहुत मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे, जब मिलते थे तो बहुत ही मुहब्बत के साथ मिलते थे। ऐसा लगता था कि जैसे पहचान बरसों पुरानी है।
मौलाना इसरारुलहक कासमी साहब एक मौलवी के साथ साथ कामयाब सांसद के तौर पर भी याद किए जाएंगे। उनका जीवन इस बात का भी प्रमाण है कि ईमानदारी से ही राजनीति की जा सकती है। कासमी साहब के निधन पर ये भी कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति ने एक ईमानदार सिपाही खो दिया है