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विपक्ष के अकेले महारथी के रूप में उभर रहे हैं जयंत चौधरी, शाहिद सिद्दीकी बने सारथी
माजिद अली खान
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने बाकी रह गए हैं और राजनीतिक पार्टियों की कमान युवा नेता संभाल रहे हैं. इन सभी युवा नेताओं में मुकाबले के लिए यदि मज़बूती से कोई कमर कस चुका है तो वह है राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी. हालांकि समाजवादी पार्टी सूबे की विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है, अखिलेश यादव भी युवा हैं लेकिन पता नहीं क्यों इतना ढीला रवैया अपना रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या अखिलेश यादव मुकाबला करने के मूड में नहीं है. लोगों का कहना है कि उन्हें पूरी ऊर्जा के साथ सड़कों पर उतर कर लड़ने वाले नेता के रूप में सामने आना चाहिए.
दूसरी ओर जयंत चौधरी ने अपने आप को विपक्ष में बहुत मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया है. जब सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निरंकुशता की ओर बढ़ रहे थे तब सिर्फ प्रियंका गांधी और जयंत चौधरी ने ही सड़कों पर आकर योगी को ललकारा था. इसमें कोई शक कि जयंत चौधरी की मेहनत भाजपा के लिए किसी मुसीबत से कम साबित नहीं होगी. स्व. चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद राष्ट्रीय लोकदल की बागडोर जयंत चौधरी ने संभाल कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिस प्रकार संगठन खड़ा करने की कोशिश की है उससे एहसास होता है कि जयंत चौधरी ने खुद को एक परिपक्व नेता के रूप में साबित कर दिया है.
जयंत चौधरी जाट बिरादरी में विशेष महत्व रखने वाले परिवार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह परिवार के वारिस होने के नाते उन्होंने अपनी सियासी जमीन तलाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ प्रशासन की बदसलूकी पर स्व.चौधरी अजीत सिंह ने जब फोन करके राकेश टिकैत का मनोबल बढ़ाया था उससे जाट बिरादरी में संदेश गया था की चौधरी परिवार ही जाट बिरादरी का मान सम्मान लौटा सकता है. यही सोच कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी संख्या में रहने वाली जाट बिरादरी ने लोकदल को अगले विधानसभा चुनाव में बढ़-चढ़कर समर्थन देने का फैसला किया है. ज्यादा से ज्यादा विधायक लोकदल या उसके गठबंधन के साथी दल जिताने के लिए भी कमर कस ली है.
जाटों के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के भी काफी संख्या हैं.मुजफ्फरनगर में हुए जाट मुस्लिम दंगों के बाद जाट और मुसलमानों के बीच एक दरार पैदा हो गई थी जिसकी वजह से लोकदल को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और चौधरी अजीत सिंह व जयंत चौधरी खुद भी लोकसभा में चुनाव हार गए थे. लेकिन इस बार जाटों ने मुसलमानों के साथ अपनी दूरियां भी कम कर दी हैं . अब यह खुले रूप से कहा जा रहा है कि जाट-मुस्लिम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिलकर ही राजनीति करेंगे.
जयंत चौधरी ने पार्टी की कमान संभालने के बाद उत्तर प्रदेश में अहम भूमिका निभाने वाले कुछ मुस्लिम चेहरे पार्टी में शामिल किए हैं इनमें सबसे बड़ा नाम पूर्व सांसद और नई दुनिया उर्दू अखबार के संपादक शाहिद सिद्दीकी का है जो उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाते हैं. शाहिद सिद्दीकी एक कुशल वक्ता हैं और देश के पुराने पत्रकारों में इनकी गिनती होती है. देश के मुसलमानों पर शाहिद सिद्दीकी की बात का खूब प्रभाव होता है और वह बुद्धिजीवी के रूप में स्वीकार किए जाते हैं. इनके अलावा शामली में राव वारिस और मुहम्मद इसलाम, सहारनपुर में इमरान मसूद के बड़े भाई नोमान मसूद को भी लोकदल में शामिल किया है.
जयंत चौधरी ने जाट मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने के लिए भाईचारा सम्मेलन करने की शुरुआत कर दी है इसकी जिम्मेदारी उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता शाहिद सिद्दीकी को सौंपी है. पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जगह जगह पर भाईचारा सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं और धीरे-धीरे लोकदल का कुनबा भी बढ़ रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई अन्य महत्वपूर्ण मुस्लिम घराने लोकदल की ओर आने के लिए तैयार हैं. वेस्ट यूपी के कुछ मुस्लिम नेताओं का मानना है कि जयंत चौधरी एक सेकुलर और सबको साथ लेकर चलने वाले युवा नेता हैं इसलिए इनका साथ देना बहुत जरूरी है. बागपत जिले के असारा गांव के निवासी और कई विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की जिम्मेदारी निभा चुके प्रोफेसर लुकमान का कहना है कि जयंत चौधरी, चौधरी चरण सिंह की धर्मनिरपेक्ष और किसान विचारधारा के वारिस हैं इसलिए इनके समर्थन में खड़ा होना हम सबकी अव्वलीन जिम्मेदारी है.
लोकदल के भाईचारा सम्मेलनों से भारतीय जनता पार्टी काफी चिंतित नजर आती है. इसका कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी को पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की काफी आबादी के चलते ध्रुवीकरण कराने में आसानी हो जाती थी लेकिन लोकदल के भाईचारा सम्मेलनों ने भाजपा की इस ध्रुवीकरण राजनीति में बड़ी रुकावट पैदा कर दी है. रालोद नेताओं का कहना है कि रालोद सर्वसमाज की पार्टी है। किसान आंदोलन में पार्टी प्रमुख स्व. चौधरी अजित सिंह एवं जयंत चौधरी ने आगे बढ़कर किसानों की आवाज को बुलंद किया। केंद्र और प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों से हर वर्ग परेशान है। इसलिए रालोद में जनता का विश्वास बढ़ा है। कुछ नेता जो दूसरे दलों में चले गए थे वे घर वापसी कर रहे हैं। नए लोग भी पार्टी से जुड़ रहे हैं। अभी और भी कई नेता संपर्क में हैं।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के लगभग 18 जिलों में जाट और मुसलमानों का प्रतिशत 45 के करीब बैठता है. इस दशा में भाजपा के लिए चिंता की बात होना लाजमी है. जयंत चौधरी जिस प्रकार मझे हुए राजनीतिज्ञ के तौर पर लोकदल के संगठन को मजबूत कर रहे हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में वह राज्य में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरेंगे.