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हिंदी की जंग में 'बिंदी' बनने कूदे कमल हासन, याद दिलाया 1950 का ये वादा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा देश की राष्ट्र भाषा पर दिए गए बयान के बाद राजनीतिक जंग शरु हो गया है. इसके खिलाफ सबसे तेज आवाज दक्षिण से बुलंद हुई है, अब साउथ सुपरस्टार और राजनेता कमल हासन ने इस मसले पर ट्वीट किया है. कमल हासन ने एक वीडियो ट्वीट कर कहा है कि देश में एक भाषा को थोपा नहीं जा सकता है, अगर ऐसा होता है तो इसपर बड़ा आंदोलन होगा.
ट्विटर पर एक वीडियो जारी करते हुए कमल हासन ने कहा कि कोई शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक वादा नहीं तोड़ सकता है. 1950 में जब भारत गणतंत्र बना तो ये वादा किया गया था कि हर क्षेत्र की भाषा और कल्चर का सम्मान किया जाएगा और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा।
Now you are constrained to prove to us that India will continue to be a free country.
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 16, 2019
You must consult the people before you make a new law or a new scheme. pic.twitter.com/u0De38bzk0
साउथ सुपरस्टार बोले कि कई राजाओं ने अपना राजपाठ देश की एकता के लिए न्योछावर कर दिया. लेकिन लोग अपनी भाषा, कल्चर और पहचान को खोना नहीं चाहते हैं. कमल हासन ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां लोग एक साथ बैठकर खाते हैं, किसी पर कुछ थोपा नहीं जा सकता है. उन्होंने वीडियो में कहा कि तमिल को लंबे समय तक जीने दो, देश को समृद्ध होने दो।
कमल हासन ने कहा कि कोई भी नया कानून या स्कीम लाने से पहले आम लोगों से बात करनी चाहिए. जलीकट्टू के लिए जो हुआ वह सिर्फ एक प्रदर्शन था, लेकिन भाषा को बचाने के लिए जो होगा वह इससे बड़ा होगा.
सुब्रमण्यम स्वामी ने दिया करारा जवाब
कमल हासन के इस वीडियो के बाद राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि कमल हासन, एमके स्टालिन हिंदी थोपने की बात कर रहे हैं. तमिलनाडु में हिंदी ना पढ़ाने को लेकर वो क्या कहेंगे? हिंदी को भी तमिलनाडु में ऑप्शनल भाषा बनने देना चाहिए।
Moron Kamalahasan and DMK Chief Stalin are howling about imposition of Hindi. What about their imposition that no Hindi will be taught in TN? Let Hindi be an optional third language and the choice on which language to opt left to the student
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 16, 2019
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि हिंदी हमारी राजभाषा है, हमारे यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं. लेकिन एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो दुनिया में देश का नाम बुलंद करे और पहचान को आगे बढ़ाए और हिंदी में ये सभी खूबियां हैं.
इसी बयान के बाद इसपर विवाद हुआ था, दक्षिण के कई नेता, असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अमित शाह के बयान की निंदा की थी.