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माजिद अली खान
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से जितने भी चुनाव हुए हैं उसमें मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा का होता रहा है. कांग्रेसी और भाजपाई सरकारें बनाती रही हैं लेकिन इस बार राज्य के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतरेगी जिससे मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प बन जाएगा. दिल्ली में कब्जा कर चुकी आम आदमी पार्टी दिल्ली जैसे छोटे राज्यों पर काबिज होने की योजना बनाकर चल रही है. आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड के किले को फतेह करने के लिए जो तरीका चुना है वह है भाजपा की भांति हिंदुत्व का रास्ता.
अरविंद केजरीवाल भलीभांति जानते हैं की वर्तमान की राजनीति हिंदूवादी राजनीति है और भाजपा से टक्कर लेने के लिए वैसे ही हिंदूवादी नारे और बयानों की आवश्यकता है. अभी 17 अगस्त को देहरादून में रोड शो करते हुए केजरीवाल ने उत्तराखंड चुनाव में कदम रखने तथा राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया. साथ ही अपने मुख्यमंत्री पद चेहरे को भी जनता के सामने पेश कर दिया. देहरादून में हुए रोड शो में जिस प्रकार जनसैलाब उमड़ा था उससे कांग्रेस और भाजपा की नींद उड़ गई है और लग रहा है कि केजरीवाल कुछ ना कुछ बड़ा करने वाले हैं. केजरीवाल ने उत्तराखंड यात्रा को देवभूमि संकल्प यात्रा करार दिया.
अपने रोड शो में केजरीवाल ने दो घोषणाएं कर लोगों के सवालों पर विराम लगा दिया. पहली घोषणा की मुख्यमंत्री पद के लिए सेवानिवृत्त कर्नल अजय कोठियाल की और दूसरी घोषणा उत्तराखंड देव भूमि को अंतरराष्ट्रीय स्तर की आध्यात्मिक राजधानी बनाने की. दूसरी घोषणा से लोगों को यह अनुमान हो गया कि केजरीवाल जनता की नब्ज टटोलते हुए हिंदूवादी राजनीति पर सवार होकर राज्य की कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं. केजरीवाल की इस घोषणा से भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ गई है. अब तक भारतीय जनता पार्टी खुद को हिंदुत्व का अकेला महारथी समझती रही है जबकि केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी को पटखनी देने के लिए खुद को हिंदू धर्म का बड़ा सेवक बनाने की कोशिश की.
केजरीवाल ने देहरादून में जो कहा वह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड को हम देवभूमि कहते हैं इसलिए हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की आध्यात्मिक राजधानी के तौर पर विकसित करेंगे. यह इतनी बड़ी घोषणा है कि इसके सामने भारतीय जनता पार्टी का हिंदुत्व बौना पड़ जाएगा. हालांकि केजरीवाल की इस घोषणा से कांग्रेस पर बहुत ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है क्योंकि कांग्रेस को वही वोट मिलते रहे हैं जो धर्मनिरपेक्ष राजनीति के पक्षधर रहे हैं. उत्तराखंड राजनीति के माहिरीन का कहना है कि केजरीवाल ने जिस घोषणा से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की है वह भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकती है. भारतीय जनता पार्टी को बनियों की पार्टी कहा जाता है लेकिन केजरीवाल खुद बनिए हैं इसका भी नुकसान दिल्ली की भांति भाजपा को उत्तराखंड में उठाना पड़ेगा.
हालांकि सेवानिवृत फौजी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर केजरीवाल ने अपने विकासवादी एजेंडे को भी मजबूती के साथ पेश किया है. केजरीवाल का कहना है कि कुछ दिन पहले मनीष सिसोदिया देहरादून आए थे. उन्होंने कहा था कि इस पर हम जनता की राय जानेंगे. हमनें प्रदेश की जनता से सुझाव लिए हैं. AAP से सीएम कैंडिडेट किसे बनाना चाहिए इस पर लोगों ने कहा कि जब से उत्तराखंड बना है सिर्फ लोगों ने इसे लूटा है. ऐसे में अब हमें पार्टियां नहीं बल्कि देशभक्त फौजी चाहिए. ऐसे में कर्नल अजय कोठियाल ही चाहिए. यह निर्णय आप पार्टी ने नहीं बल्कि यहां की जनता ने लिया है. अपने दिल्ली वाले विकासवादी एजेंडे के साथ हिंदूवादी एजेंडे के तड़के ने केजरीवाल को भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती के तौर पर पेश कर दिया है.
अरविंद केजरीवाल राजनीति में चुनावी स्टंट करने के माहिर माने जाते हैंं. अब देखना यह है की वह चुनावी स्टंट में पीएचडी करने वाली भारतीय जनता पार्टी को कैसे सत्ता से दूर कर सकते हैं. रही बात कांग्रेस की तो फिलहाल यही लगता है कि अरविंद केजरीवाल की उत्तराखंड चुनाव में एंट्री से उसे कोई खास नुकसान नहीं पहुंचने वाला है. कांग्रेस यही चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी को राज्यों की सरकारों से जितनी जल्दी हो दूर कर दिया जाए.
कुछ लोग अरविंद केजरीवाल को हिंदूवादी राजनीति में भाजपा का विकल्प मानते हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा की बजाय आम आदमी पार्टी को ज्यादा आगे किया जा रहा है. पंजाब में भी जहां भारतीय जनता पार्टी बहुत कमजोर है आम आदमी पार्टी को मजबूत करने में आरएसएस का बड़ा रोल बताया जाता है. अब आने वाला समय ही बताएगा कि उत्तराखंड चुनाव में आम आदमी पार्टी की कोशिशें है क्या गुल खिलाती हैं?