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खड़गे बने कांग्रेस के मुखिया, वेणुगोपाल और अजय माकन दस जनपथ के बाद अब दस राजाजी मार्ग में रहेंगे
कांग्रेस के इतिहास में आज एक नया पृष्ठ और जुड़ गया जब मल्लिकार्जुन ने बतौर गैर गांधी परिवार कांग्रेस के सर्वोच्च नेतृत्व पर पद ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने से पहले खड़गे ने राज घाट पर बापू की समाधि पर पुष्प अर्पित किए। इसके अलावा शांति वन, विजय घाट, शक्ति स्थल, वीर भूमि सहित कुछ और स्मारक पर गए। सामान्य लेकिन आकर्षक रूप से आयोजित समारोह में सोनिया और राहुल की मौजूदगी में पदभार ग्रहण किया। मल्लिकार्जुन ने पहली बार बतौर कांग्रेस अध्यक्ष नेताओं को संबोधित करते हुए इस पद तक पहुंचाने के लिए अपनी पार्टी को धन्यवाद दिया और कहा कि सोनिया गांधी के ब्लूप्रिंट को ही आगे बढ़ाएंगे। साथ यह भी कहा नफरत को तोडूंगा। पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रमुख भूमिका वेणुगोपाल और अजय माकन की देखने को मिली।
केसी वेणुगोपाल ने कार्यक्रम का संचालन किया वही अजय माकन ने सोनिया गांधी को दिए जाने वाले धन्यवाद प्रस्ताव को पढ़कर सुनाया। जिस से प्रारंभिक तौर पर यह स्पष्ट हो गया है 10 जनपद के बाद अब 10 राजाजी मार्ग पर भी दोनों की जुगल जोड़ी के मुख्य भूमिका रहेगी। इसी को लेकर राजस्थान की राजनीति पर भी और कुछ चौंकाने वाला ही दृश्य सामने आ सकता है। कहने की जरूरत नहीं की राजस्थान की सियासी संकट को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अजय माकन पर आरोपों की बौछार लगा दी थी। लेकिन आज अजय माकन महत्वपूर्ण भूमिका में सामने नजर आए।
यह भी दोहराने की जरूरत नहीं थी खड़गे के ऑब्जर्वर के रूप में जयपुर आने पर उनकी किस तरह से बेकद्री हुई थी। ये सब समीकरण राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में कुछ चौंकाने वाला दृश्य आने का संकेत दे रहे हैं! कार्यक्रम के दौरान सोनिया गांधी ने अपने आप को अध्यक्ष पद से मुक्त होने के बाद सहज होने की बात कही। कहा की काफी राहत महसूस कर रही हूं। कार्यक्रम में भले ही राजस्थान के नेता भी पहुंचे मगर पहले जैसा कुछ देखने को नहीं मिला।
मुख्यमंत्री गहलोत ने आज सुबह दिल्ली पहुंचने पर मीडिया से बात करते हुए सोनिया और राहुल की जम कर तारीफ की। गहलोत ने कहा कि 1998 में सोनिया जी के अध्यक्ष पद संभालने के बाद कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। सोनिया जी के कार्यकाल में ही दो बार यूपी में भी कांग्रेस की सरकार बनी। अध्यक्ष के रूप में सोनिया जी के कार्यकाल को भुलाया नहीं जा सकता। गहलोत ने यह कहा कि हम तो यह चाहते थे कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बने लेकिन अंत तक कोशिश करने के बाद राहुल गांधी की मंशा यही देखने को मिली कि वह गैर गांधी अध्यक्ष ही पसंद करते हैं। राहुल गांधी ने भी काफी संघर्ष किया है उनकी भारत जोड़ो यात्रा भी देश में प्यार और मोहब्बत का संदेश दे रही है।
गहलोत ने तारीफ में यह भी कहा कि राहुल गांधी ही है जो मोदी को चुनौती दे सकते हैं और विपक्ष की भूमिका पर भी वे समय-समय पर अपनी सफलता से भूमिका निभाते रहे हैं। गहलोत ने कहा कि हम सीनियर और जूनियर सभी मिलकर खरगे को अध्यक्ष के रूप में मजबूत करेंगे। कुल मिलाकर खड़गे के कार्य भार संभालने के बाद सब की नजर राजस्थान के सियासी संकट को लेकर जटिल समस्या के समाधान पर की टिकी हुई है। जो खड़गे की कार्यशैली की एक नजीर साबित होगी!
रमेश शर्मा