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बंगाल की शिकस्त भारी पड़ेगी भाजपा पर, इस बार नहीं चला मोदी का मैजिक
'अबकी बार दो सौ पार, का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है। बंगाल में सरकार बनाने का ख्वाब संजोए बैठी भाजपा 75 सीटों के आसपास जाकर अटक गई। माना जा रहा है कि बंगाल चुनाव के इन परिणामों में भाजपा को मिली शिकस्त का दूरगामी असर देखने को मिलेगा।
अपनी खीज मिटाने के लिए बेशक भाजपा नेता यह कह रहे हो कि बंगाल में उन्होंने 3 सीट से 75 (दोपहर तक) सीट तक का सफर तय किया है, लेकिन शायद वह भी जानते हैं कि उन्होंने बंगाल में पाया कम है जबकि खोया ज्यादा। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगाकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े नेताओं ने बंगाल जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, उसके बाद यह चुनाव भाजपा के लिए नाक का चुनाव बन गया था। तमाम बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी थी।
बंगाल के अलावा केरल, असम, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पांडुचेरी मे भी विधानसभा चुनाव थे लेकिन देश भर की नजर बंगाल के चुनाव पर टिकी थी बंगाल में 200 सीट जीतने का लक्ष्य रखने और सरकार बनाने का दावा जिस तरह से भाजपा के आला नेताओं द्वारा ठोका जा रहा था उससे हर किसी को यही लगने लगा था कि शायद इस बार भाजपा बंगाल में इतिहास रचेगी। लेकिन हुआ ठीक उल्टा, तृणमूल कांग्रेस ने तो 200 सीटों से ज्यादा का आंकड़ा हासिल कर लिया जबकि बीजेपी 75 सीटों के इर्द गिर्द ही सिमट कर रह गई।
अब पार्टी नेता पसोपेश में हैं कि हार का ठीकरा किसके सिर पर फोड़ा जाए। भाजपा को उम्मीद थी कि एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू चलेगा और बंगाल में पार्टी जादुई आंकड़े तक पहुंच जाएगी लेकिन बंगाल की जनता ने साबित कर दिया कि नरेंद्र मोदी का जो असर लोकसभा चुनावों में उनके सिर चढ़कर बोला था अब वह खुमारी उतर चुकी है।
अब यह तय माना जा रहा है कि बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन की गूंज आने वाले चुनावों में भी सुनाई देगी। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में निश्चित रूप से इन परिणामों का काफी असर देखने को मिलेगा। इस चुनाव ने भाजपा को एक संदेश यह भी दिया है कि किसी लहर मे चुनावी नैया पार लगाने के दिन अब बीत चले हैं और आने वाले समय में सत्ता बचाए रखना भी बेहद चुनौतीपूर्ण होगा।