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मनमोहन सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म, कांग्रेस की बढ़ी मुश्किल
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शुक्रवार को राज्यसभा में कार्यकाल खत्म हो गया। वे 28 साल तक राज्यसभा सांसद रहे। वे पहली बार 1991 में असम से राज्यसभा सांसद चुने गए थे। 1991 के बाद से यह पहला मौका है जब मनमोहन संसद से बाहर रहेंगे। मनमोहन पिछली बार असम से 2013 में राज्यसभा के सदस्य बने थे।कांग्रेस भी अब अपने वरिष्ठ नेता की फिलहाल राज्यसभा में तत्काल वापसी नहीं करा सकती है।क्योकि असम में बीजेपी सत्ता में है और कांग्रेस के पास इतनी संख्या नहीं है कि वह फिर से सिंह को राज्यसभा में भेज सके।
आपको बतादें कि डॉ. मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा के लिए चुनकर आते थे और उनका स्थाई पता भी गुवाहाटी कामरूप जिले का है। वे राज्यसभा सांसद के तौर पर 1995, 2001, 2007 और 2013 में लगातार चुनकर आते रहे। भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह देश के पहले ऐसे नेता थे जो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। प्रधानमंत्री को राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य होना जरुरी है। साथ ही ड़ा सिंह राज्यसभा में 1998 और 2004 में विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभाई। वर्तमान सदन में ऐसा कोई सदस्य नहीं है जो लगातार पांचवीं बार राज्यसभा के लिए चुनकर आया हो।
हालांकि राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं। जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, इनमें से एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल प्रत्येक दो साल में पूरा हो जाता है. इसका मतलब है कि प्रत्येक दो साल पर राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य बदलते हैं