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अखिलेश की दलित वोट बैंक में सेंधमारी से मायावती बैचेन!
रमेश शर्मा
भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती का साम्राज्य अब बिखर कर चिंदी चिंदी हो गया है . यूपी में काफ़ी शक्तिशाली समझे जाने वाली बहुजन समाज पार्टी जो कभी राष्ट्रीय राजनीति में सिरमौर बनने की आंकाक्षी थी . दलित नेता कांशीराम द्वारा स्थापित बसपा ने अपने वोटबैंक की भुजाओं का विस्तार अन्य राज्यों में भी फैलाना शुरू कर दिया था . राष्ट्रीय राजनीति में बहिन जी दो मुख्य राष्ट्रीय पार्टियों की ज़रूरत बन गई थी . यूपी में दलित ब्राह्मण के अनूठी सोशल इंजीनियरिंग के गठबंधन जोड़ से पूरे यूपी में एक छत्र राज्य स्थापित कर दिया था . बसपा ने विशेष कर यूपी के मज़बूत काँग्रेस के क़िले में सेंधमारी करके बसपा को शक्तिशाली बनाया था .
बसपा के भले ही सुप्रीमो कांशीराम रहे लेकिन पार्टी में एक छत्र राज्य मायावती का ही चलता था . लेकिन अब अपने जनाधार को बचाये रखना भी मुश्किल हो रहा है . पिछले लोकसभा ओर विधानसभा के परिणामों पर नज़र डालें तो बसपा बिल्कुल हासिये पर चली गई है . 2017 विधानसभा चुनाव में मात्र 17 सीटें जीती ओर 2022 में तो बसपा की बहुत शर्मनाक पराजय हुई . मात्र 1 विधायक ही विधानसभा में पहुँच पाया . कुछ राजनैतिक पंडित कहते हैं भाजपा ने बसपा को अघोषित रूप से चुप करा दिया था . भाजपा ने बहिन जी की अपार सम्पत्ति के मामले में अघोषित गठबंधन किया . आज मायावती खुले में साँस ले रही है उसके पीछे भाजपा की आक्सीजन काम कर रही है . रहे सहे बसपा के ढह रहे गढ़ में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने घुसपैठ करना शुरू कर दिया है .
अखिलेश ने अपने जनाधार को मज़बूत करने के लिए कमजोर मायावती की मांद में दलित वोटों को आकर्षित करने के लिए विस्तृत व्यूह रचना तैयार करके पठकथा पर काम शुरू कर दिया है . समाजवादी पार्टी ने अभी बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयन्ती पूरे यूपी में बड़ी धूमधाम से मनायी . कांशीराम की प्रशंसा करते हुए दलित वोटों को रिझाने में कोई कमी कसर नहीं रखी . साथ इस अवसर पर घोषणा भी कर दी कि 14 अप्रेल को समाज वादी पार्टी यूपी के चप्पे चप्पे मे डाक्टर भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनायेगी .
अखिलेश सोशल इंजीनियरिंग प्लेटफ़ॉर्म प्रोग्राम के अनुसार बाबा साहेब के आदर्श ओर सिद्धांतों को वो जन जन तक पहुँचाने का काम करेंगे . समाजवादी कार्यकर्ता अब कांशीराम ओर बाबा साहब की नितियो पर जनता के दुखदर्द में काम आये . अखिलेश की इस सक्रियता से मायावती के बसपा कुनबे में बैचेनी के बादल छा गये है . इसी डेमेज को कन्ट्रोल करने के लिए अब बहिन जी ने मोर्चा सँभाल लिया है . लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में वह अखिलेश पर जमकर बरसी .
मायावती ने कहा सपा का इतिहास दलितों के प्रति प्रतिकूल रहा है सपा के दिल में दलितों के प्रति जो नफ़रत थी वो आज भी है केवल वोटों के लिए दिखावा प्रेम कर रहे है . सपा का इतिहास दलितों के प्रति शत्रुतापूर्ण एवम् दमन का रहा है . सपा ने मान्यवर कांशीराम का फ़ायदा उठाने के लिए राजनैतिक स्टंट शुरू किया है जिसे दलित कभी झाँसे में नहीं आयेंगे . "गेस्ट हाउस" जैसे कांड सपा का इतिहास ओर चरित्र है हमने इसिलिए सपा से गठबंधन तोड़ा . यदि सपा कांशीराम के विचारों को मान लेती तो हमारा गठबंधन टूटता ही नही . लेकिन सपा ने मान्यवर के सिद्धांतों के साथ साथ दलित ओर ओबीसी के साथ भी धोखा किया . अब देखना यह बबुआ ओर भुआ की राजनैतिक गुलबाजी में किसको फ़ायदा होता है . लेकिन यह तय है बबुआ ने जिस ज़ोर शोर दलित प्रेम की बरसात की है उससे बुआ जी की नींद ओर चैन उड़ गया है .