राष्ट्रीय

अपना राज बचाने के लिए दूसरे दलों में फूट डालने की विधि पर चल रहे हैं मोदी

Yusuf Ansari
24 Oct 2018 4:58 AM GMT
अपना राज बचाने के लिए दूसरे दलों में फूट डालने की विधि पर चल रहे हैं मोदी
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शिशिर सोनी

फूट डालो राज करो। सत्ता पाने का ये आसान माध्यम होता है। देखिये पहले यूपी में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच चली रार का फायदा उठाया गया। चाचा जब अपने भतीजे के सामने तन कर खड़े हुए तो राज्य की भाजपा सरकार मुस्काई। महलनुमा बंगला बतौर सरकारी मेहमान बराय तोहफा नवाज़िश पेश की। बिहार में लालू यादव तमाम सियासी उलटबांसियों के बावजूद मजबूत हो रहे हैं। उनके बेटे तेजस्वी बहुत जल्दी राजनितिक गुर में पारंगत होते नज़र आ रहे हैं। लालू की अनुपस्थिति में न केवल उन्होंने संगठन सहेजा बल्कि शालीन आक्रामक शैली से उन्होंने अपनी जगह मजबूत की। अब तेजस्वी से उनके बड़े भाई तेजप्रताप को लड़ाने का उपक्रम चल रहा है।



हर दिन सुशील मोदी यादव परिवार की रस्साकशी की ब्रेकिंग खबर लेकर नमूदार होते हैं। वे प्रदेश के वरिष्ठतम भाजपा नेता हैं। उपमुख्यमंत्री हैं। उन्हें बड़ी बातें विकास की योजनाओं की करनी चाहिए। ध्वस्त होती कानून व्यवस्था पर बोलना चाहिए। मगर वे ले दे कर लालू यादव के परिवार के बीच चल रहे मनमुटाव की बात एक सियासी सास की तरह मसाले के साथ सामने लाते हैं। उन्हें पता है यादव कुनबा कमजोर होगा। फूटेगा। तभी भाजपा को कल्याण होगा। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कभी सबसे विश्वस्त रहे मुकुल रॉय अब भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए भाजपा में रहते हुए विधायकी की अपनी सीट छोड़ने वाले रामदयाल उईके फिर से भाजपा में शामिल करा लिए गए। सबसे बड़ा दंगल जाट लैंड हरियाणा में चल रहा है। चौधरी देवीलाल का कुनबा बिखर रहा है। ओमप्रकाश चौटाला जेल में हैं। इंडियन नेशनल लोकदल के सांसद दुष्यंत चौटाला ने विद्रोही तेवर अख्तियार कर ली है। हरियाणा में चाहे जिसकी सरकार बनती बिगड़ती हो मगर जाट वोट बैंक के बड़े हिस्से पर चौटाला परिवार का वर्चस्व रहा है। चौटाला परिवार बिखरेगा तो हूडा बनाम आल की राजनीति से कराह रही कांग्रेस को इसका लाभ कम राज्य में शासन कर रही भाजपा को ज्यादा लाभ मिलेगा। ऐसी ही फूट जयललिता के जाते ही तामिलनाडु में राज कर रही एआईडीएमके में कराई गई। आज़ादी के बाद भी तामिलनाडु के सत्ता प्रतिष्ठान पर कांग्रेस आजतक कब्ज़ा नहीं कर पायी। वहाँ बारी बारी से स्वर्गीय करूणानिधि की डीएमके और स्वर्गीय जयललिता की एआईडीमके का कब्ज़ा रहा। डीएमके सुप्रीमो के बेटे अलागिरि और स्टालिन के बीच रस्साकशी और एआईडीएमके के बिखराव के बीच कोशिश की जा रही है इसका फायदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले। अभी कई फूट और होंगे। बिसात बिछ चुकी है।

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