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सरकार और उसके संकट मोचक को जानिए, रविशंकर जी, अपने जवाबों से लूजर तो आप लगते हैं
संजय कुमार सिंह
केंद्र सरकार के संकटमोचक रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी (और कांग्रेस को) लूजर्स कहा है। आइए आपको विनर्स के बारे में बताऊं।
रवि शंकर प्रसाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक पेशेवर वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्होंने 1980 में पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की थी। पटना उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा उन्हें वर्ष 1999 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। 2000 में उनका नामांकन सर्वोच्च न्ययायालय में हुआ। बिहार के पूर्व मुख्य मन्त्री और पूर्व केंद्रीय रेल मन्त्री लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध कुख्यात चारा घोटाले और कोलतार घोटाले में जनहित याचिका पर बहस करने वाले वे प्रमुख वकील थे। वे पटना उच्च न्यायालय में कई मामलों में पूर्व उप प्रधान मन्त्री लालकृष्ण आडवाणी के वकील भी रहे। (विकीपीडिया से)
इसके साथ तथ्य यह है कि अटल बिहारी वाजपेयी 13 अक्तूबर 1999 को प्रधानमंत्री बने। रविशंकर प्रसाद 2000 में बिहार से राज्य सभा के लिए सदस्य बने। 2001 में राज्यमंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। 2006 में फिर बिहार से राज्य सभा के सदस्य बने। लोकसभा चुनाव 2009 में पहली बार लड़े और जीते तथा अब तक जीत रहे हैं। इसके साथ यह भी कि उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकील थे तथा तत्कालीन जनसंघ (वर्तमान में भाजपा) के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। (विकीपीडिया से) कहने की जरूरत नहीं है कि रविशंकर प्रसाद का भाजपा में होना वंशवाद नहीं है।
जहां तक आरोपों का जवाब देने की बात है वे कभी सीधा जवाब नहीं देते। सच पूछिए तो मुद्दे की चर्चा ही नहीं करते। वे पूरी तरह अलग राग अलापते हैं। अभी फेसबुक मामले में आरोप बहुत साफ और गंभीर है। वे जवाब देने की बजाय पुराने मामले की चर्चा कर रहे हैं। ऐसा ही उन्होंने तब किया था जब लोगों की जासूसी कराने और इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस का मुद्दा आया था। उन्होंने नहीं बताया कि सरकार ने इजराइल का महंगा सॉफ्टवेयर खरीदा है कि नहीं। जब यह कहा जा चुका है कि सॉफ्टवेयर सरकार को ही बेचा जाता है और भारत में उस सॉफ्टवेयर का उपयोग हुआ है तो जवाब हां या ना में हो सकता है। सरकार अगर नागरिकों की जासूसी जायज उद्देश्य से करवा रही है तो बताने और स्वीकार करने में क्या दिक्कत है। पर लूजर्स राहुल गांधी हैं और कांग्रेस लूजर्स की जमात !!
मामला इतना ही नहीं है। अगर भारत में जनता की जासूसी हो रही है, सरकार नहीं करवा रही है तो कौन करवा रहा है इसकी चिन्ता सरकार को भी होनी चाहिए। जनता से ज्यादा क्योंकि अगर जासूसी हो रही है तो मंत्रियों और अधिकारियों की भी हो सकती है। पेगासस किसके पास है उसके उपयोग के लिए कौन अधिकृत है आदि जानकारी क्यों नहीं दी जानी चाहिए। और न दी जाए तो सरकार यह आश्वासन दे कि उसका दुरुपयोग नहीं होगा। पर वही भी नहीं। क्या आपको सरकार इस मामले में चिन्तित लगी? यह राहुल गांधी या कांग्रेस की चिन्ता नहीं है। देश की चिन्ता है। पर पूछने वाला लूजर। रविशंकर प्रसाद के जवाबों में आपको ऐसा कुछ लगा कि वे बहुत काबिल हैं? पर आत्मविश्वास देखिए। वे कांग्रेस को लूजर्स कहेंगे खुद को विनर समझते हैं और तब जब जनता जानती है कि चुनाव कैसे जीतते हैं। हालांकि उसपर भी कई सवाल है जिसका जवाब नहीं है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है