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बड़ा खुलासा, तो मुसलमानों को बीजेपी से इसलिए नहीं मिलता टिकट : आरिफ मोहम्मद खान
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि दारुल उलूम देवबंद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ चुनावों के दौरान फतवा जारी होता है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय कैसे उम्मीद कर सकता है कि बीजेपी मुसलमानों को चुनावी टिकट देगी.
जनसत्ता वेबसाइट की एक खबर के मुताबिक, राजीव गांधी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में यह कैसे हो सकता है कि हम कुछ कहें या करें और फिर उसके रिजल्ट से डर जाएं. उन्होंने कहा कि हम ऐसे हालात के लिए सिर्फ बीजेपी को कैसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं?
5 सालों में देश में कोई भी बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ
इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज प्रोग्राम में एक सवाल के जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवे जारी किए गए थे, जिसमें रमजान के महीने में सेहरी से पहले लोगों को जागने और बीजेपी को चुनावों में हारने के लिए वजीफा पढ़ने को कहा गया था.
शाहबानो केस पर अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'मैं आशावादी हूं क्योंकि पिछले पांच सालों में देश में कोई भी बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ.' उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में मुस्लिम युवाओं ने प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश किया है.
ट्रिपल तलाक का जबरदस्त विरोध कर देश में चर्चित हुए थे आरिफ मोहम्मद
ट्रिपल तलाक को अवैध करार देने वाला बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया. पहली बार ट्रिपल तलाक का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आया था, जब 80 के दशक में शाह बानो मुकदमा सुर्खियों में था. तीन तलाक प्रथा को खत्म करने की ज़बरदस्त पैरवी करते हुए एक केंद्रीय मंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधे लोहा लिया था. यहां तक कि मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. ये थे आरिफ मोहम्मद खान. उन्होंने मुसलमानों की प्रगतिशीलता की वकालत की थी.