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ओवैसी-राजभर का गठबंधन की गांठ खुलने के कगार पर, क्या टूट जाएगा गठबंधन?
लखनऊ। आगामी विधानसभा के चुनाव में भाजपा के खिलाफ मोर्चेबंदी में जुटे विपक्षी दलों के बीच गठबंधन की राजनीति जोर पकड़ने लगी है। अन्य पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में करने को लेकर छोटे व जातिगत आधार बने सियासी दलों ने लामबंदी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर और ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच मुलाकात हुई। जिसमें भागीदारी संकल्प मोर्चा के सांगठनिक मामलों लेकर चर्चा हुई।
हालांकि ओपी राजभर के इस गठबंधन की गांठ असदुद्दीन ओवैसी के बहराइच में जाकर गजियों की मजार पर चादरपोशी करने के बाद से ढीली पड़ती हुई नजर आ रही है. दरअसल ओवैसी की चादरपोशी के बाद कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने ओपी राजभर से सवाल किया था कि वो राजनीतिक लाभ के लिए उनके पूर्वजों से जंग करने वाले और उन्हें शहीद करने वाले गजियों की कब्रों पर चादरपोशी करने वालो के साथ क्या अब राजभर उनके पूर्वजों को शहीद करने वालों के साथ गठबंधन करेंगे?
बहरहाल, शुरुआत में तो राजभर ने गठबंधन रखने की बात कही थी, लेकिन 15 जुलाई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एआईएमआईएम के साथ ओपी राजभर के चुनावी बिगुल बजाने के साथ ही संयुक्त रूप से मंच साझा करने वाले कई जिलों के कार्यक्रम से अचानक ओपी राजभर की दूरी अब इस गठबंधन की गांठ की मजबूती पर सवाल खड़े कर रही है.
हालांकि 15 जुलाई से असदुद्दीन ओवैसी के साथ ओपी राजभर का चुनावी यात्रा का गाजियाबाद से आगाज होना था. जहां से दोनों ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर और संभल के पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात के साथ ही मंच साझा करते हुए शाम 4 बजे मुरादाबाद पहुंचते. इसके बाद मुरादाबाद में भी दोनों ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का साझा मंच वाला कार्यक्रम तय था, लेकिन जैसे ही मुरादाबाद में असदुद्दीन ओवैसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नवाब मज्जू खां की मजार पर ओपी राजभर के साथ जाकर चादरपोशी करते, वैसे अचानक सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष के आज से ओवैसी के साथ शुरू हो रही अपनी चुनावी यात्रा से खुद को अलग कर लिया. हालांकि उन्होंने इसका कारण अपनी निजी परेशानी बताई है.
ओपी राजभर के साथ पहले से तय कार्यक्रम में ना आने के बाद भी एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, साहिबाबाद, हापुड़, मेरठ, गढ़मुक्तेश्वर, बुलंदशहर संभल और मुरादाबाद में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करेंगे और कई जगह पार्टी कार्यालय का उद्घाटन करेंगे.
क्या टूट जाएगा गठबंधन?
पहले ये माना जा रहा था कि ओपी राजभर, असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा कर पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना मजबूत और बढ़ता हुआ जनाधार दिखाएंगे, लेकिन गजियों की मजार पर चादर चढ़ाने को लेकर कई पार्टियों के लोगों ने उनसे सवाल जवाब करना शुरू कर दिया था. शुरुआत में तो राजभर ने असदुद्दीन ओवैसी की इस चादरपोशी को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन बाद में जब उनको एहसास होने लगा कि ओवैसी के साथ मंच साझा करने से उनकी पार्टी को उन्हीं के समाज के लोगों की नाराजगी के चलते राजनीतिक नुकसान हो सकता है, तो धीरे धीरे असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने वाले कार्यक्रम से दूरी बनाना शुरू कर दी है. यही वजह है कि आज मुरादाबाद में असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने के पूर्व घोषित कार्यक्रम से ओपी राजभर ने दूर रहे.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है. वही उन्हीं जगह से चुनाव लड़ने के दावे कर रही है जहां समाजवादी पार्टी का गढ़ है. ओवैसी को यकीन है कि वह समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने में सफल रहेंगे. वहीं, मुरादाबाद और संभल भी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है.
आपको बता दें कि सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ भागीदारी संकल्प मोर्चा में सहयोगी दल के रूप में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी जुड़े हैं. साथ ही बहराइच में सैय्यद सालार मसूद गाजी की माजार पर जियारत भी की. इसको लेकर राजभर समाज में नराजगी है. लोगों ने वाराणसी में ओवैसी का पुतला फूंका. वहीं मंत्री अनिल राजभर ने औवैसी के साथ ओम प्रकाश राजभर निशाना साधा है।
अनिल राजभर ने कहा ओम प्रकाश राजभर को अब राजभर समाज के बीच कोई पूछने वाला नहीं है. ये ओवैसी के साथ हैदराबाद चले जाएं और अपना नाम बदल लें. वहीं रोजी-रोटी कमाएं. यहां उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में इनकी दाल गलने वाली नहीं है. इन लोगों ने बड़ा पाप किया है।