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पप्पू के नेता बीवी श्रीनिवास ने बचाई हजारों की जान पर मोदी के राष्ट्र भक्त कहां ?
जिस राहुल गांधी का सरकार में बैठे अहंकार में मदमस्त सरकार 'पप्पू' कहकर हमेशा मजाक उड़ाती हैं, उन्हीं राहुल गांधी के निर्देश पर अमल करके श्रीनिवास बी वी महामारी में मसीहा बन गए.
श्रीनिवास से एनडीटीवी की नगमा ने पूछा कि आप महामारी में मसीहा बनकर उभरे हैं, ये सब कैसे कर पा रहे हैं?
श्रीनिवास ने बताया, मार्च के पहले हफ्ते में हमारे संगठन की बैठक हुई थी. तभी राहुल गांधी ने कहा था कि महामारी के चलते बड़ा संकट आने वाला है. आप लोग तैयारी रखें. तभी इस बारे में एक रिजोलयूशन पास हुआ. इसके बाद हमने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ तैयारी शुरू कर दी थी. हमने वॉट्सएप ग्रुप बनाए. सोशल मीडिया पर नेटवर्क बनाया. जब तक जरूरत की चीजें बाजार में उपलब्ध थीं, तब तक बाजार से खरीदा. जब बाजार में कमी हुई तो नोडल अधिकारियों से मदद ली और जरूरत की चीजें लोगों तक पहुंचाई.
भारत में महामारी आने से पहले राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, मेडिकल एसोसिएशन और तमाम एक्सपर्ट ने समय समय पर अपनी ओर से सही सलाह दी थी और अब भी दे रहे हैं. लेकिन अहंकार में डूबी सरकार ने न तब किसी की सुनी, न अब किसी की सुन रही है. परंपरा रही है कि संकट के समय सभी पार्टियां और सरकारें एकजुट हो जाती हैं, लेकिन इस बार वह परंपरा टूट गई है.
संकट के समय ही नेतृत्व की परीक्षा होती है. 56 इंच का अहंकार त्यागना होता है. कुशल सेनापति वह नहीं होता जो ये प्रचार करे कि वह 18 घंटे काम करता है. कुशल नेतृत्व वह होता है जो अपनी शक्ति को सही ढंग से संगठित करे, सही नेतृत्व करे और कम से कम नुकसान में बाजी जीत ले!
बात राहुल गांधी या किसी दूसरे नेता की नहीं है. बात उस नेतृत्व और जिम्मेदारी की है कि आप सही समय पर सही निर्णय लेते हैं या सत्तालोभ अंधे होकर साल के 365 दिन रैलियां करते रहते हैं?
श्रीनिवास आगे चलकर अच्छे नेता बनेंगे, देश का भला करेंगे या दिन भर झूठ बोल-बोलकर देश को चूना लगाएंगे, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इस समय जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं और सरकार गायब है, जब सत्ताधारी पार्टी सिर्फ सत्ता विस्तार करने में जुटी है, तब बिना किसी अहम पद और सीमित संसाधनों में हजारों लोगों की जान बचाकर श्रीनिवास ने एक उदाहरण पेश किया है.
बाद में इस काम के लिए और भी तमाम लोग सामने आए. मानवता की सेवा कर रहे ये सभी भले लोग सम्मान के पात्र हैं.