राष्ट्रीय

क्षेत्रीय दलों में अखिलेश की सपा सबसे अमीर तो नीतीश के जदयू की संपत्ति एक साल में हुई चौगुनी, जानिए सभी पार्टी की संपत्ति

Special Coverage News
9 Oct 2019 10:56 AM IST
क्षेत्रीय दलों में अखिलेश की सपा सबसे अमीर तो नीतीश के जदयू की संपत्ति एक साल में हुई चौगुनी, जानिए सभी पार्टी की संपत्ति
x
सूची में 6 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ दिल्ली के आम आदमी पार्टी 13वें स्थान पर हैं। खास बात है कि जेडीयू की संपत्ति एक साल में करीब चौगुना बढ़कर 3.46 करोड़ से 13.78 करोड़ हो गई।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) ने 2016-17 और 2017-18 में क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा घोषित उनकी देनदारियों और संपत्ति का ब्योरा दिया है। इन क्षेत्रियों पार्टियों (जो क्रमश: 39 और 41 हैं।) ने 2016-17 में 1,267.81 करोड़ रुपए और 2017-18 में 1,320.06 करोड़ रुपए संपत्ति घोषित की है। साल 2016-17 (39 पार्टियां) में जहां देनदारी 40.33 करोड़ रुपए थी वो 2017-18 (41 पार्टियां) में बढ़कर 61.61 करोड़ रुपए हो गई। ब्योरे में समाजवादी पार्टी 588.29 करोड़ रुपए के साथ 41 क्षेत्रीय पार्टियों में सबसे अमीर पार्टी है, 2017-18 में घोषित 41 क्षेत्रीय पार्टियों की संपत्ति का यह 41 फीसदी बैठता है।

लिस्ट में तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टियां डीएमके और एआईएडीएमके क्रमश: 191.64 और 189.54 करोड़ रुपए की संपत्ति की साथ दूसरी और तीसरी पार्टी है। क्षेत्रीय पार्टियों की कुल संपत्ति का यह 15-15 फीसदी बैठता है। इसके अलावा टीडीपी ऐसी अकेली चौथी पार्टी है जिसकी संपत्ति 100 करोड़ रुपए ज्यादा है। इन चार पार्टियों के अलावा आठ और ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति दस करोड़ रुपए से ज्यादा घोषित की है।

लिस्ट में 6 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ दिल्ली के आम आदमी पार्टी 13वें स्थान पर हैं। खास बात है कि जेडीयू की संपत्ति एक साल में करीब चौगुना बढ़कर 3.46 करोड़ से 13.78 करोड़ हो गई। इसके अलावा चोटी के दो क्षेत्रीय दलों की संपत्ति भी बढ़कर दो गुना हो गई। इसमें टीआरएस की संपत्ति 14.49 करोड़ से 29.04 करोड़ और जेडीएस की 7.61 करोड़ से 15.44 करोड़ हो गई।

क्षेत्रीय पार्टियों ने बताया कि उनके संपत्ति में फिक्स डिपॉजिट, लोन एंड एडवांस, एफडी/डिपॉजिट, टीडीएस, निवेश और अन्य परिसंपत्तियां शामिल हैं। FDR / फिक्स्ड डिपॉजिट में दोनों सालों में उनकी कुल संपत्ति का दो-तिहाई हिस्सा शामिल था। साल 2016-17 में ये 809.52 करोड़ (63.85 फीसदी) और साल 2017-18 में ये 859.89 करोड़ (65.14 फीसदी) था।

Next Story