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समय का डाक्टर, समय का मास्टर, समय का गुरू और समय का प्रधानमंत्री व समय का मुख्यमंत्री हो तो परिणाम आश्चर्यजनक यानि कमाल के होते है। सौभाग्य से हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी उस समय मिले जब लोकतंत्र वंशवाद की तानाशाही के कारण डामाडोल हो रहा था। वह समय ऐसा तथा जब बिना जिम्मेदारी के सत्ता का 10 वर्षो तक बेहिसाब लुफ्त उठाया गया था। तब प्रधानमंत्री की कैबिनेट के निर्णय को वंशवाद के युवराज मीडिया के सामने रद्दी समझ कर फाड़कर फेंक देते थे, यानि कठपुतली कैबिनेट और बेजान प्रधानमंत्री होते थे। हमारे देश की खस्ता हो चुकी हालत पर उस समय दो जून की रोटी को मोहताज पाकिस्तान भी हंसता था।
तभी तो उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिका में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की तुलना गांव की बुढ़िया जैसी स्थिति बता कर मजाक उड़ाए थे। हम भारतीय कितनी पीड़ा सहन करते थे। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते वंशवाद ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को लगभग समाप्त कर दिया था। उस कठिन समय में केवल और केवल तबके गुजरात प्रान्त के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी ही कांग्रेस पार्टी को ललकारते थे उसको उखाड़ फेंकने का खुल्लमखुल्ला ऐलान कर रहे थे। भगवान राम-कृष्ण की जन्मभूमि, महान संतो की भूमि पर यह वंशवाद किसी भयानक श्राप से कम नहीं था। महान समाज सुधारक अन्ना हजारे ने देश की राजधानी नई दिल्ली में वंशवादी हुकुमत के खिलाफ एक निर्णायक जबदस्त विरोध करते हुए बड़ा आन्दोलन किया था जिससे सरकार की चूलें हिल गई थी। देश के युवाओं ने तत्कालीन भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खायी थी जो नरेन्द्र मोदी जी को देश का प्रधानमंत्री बना कर पूरी की। फिंजाओं में नारे गुंज रहे थे जिस और जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है।
कांग्रेसी नेताओं को यह तो लग गया था कि यदि मोदी जी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर चुनाव लड़ा तो वे हार जाएगें। वरना उनको फिर से मिली जुली सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। कांग्रेसी इस बात पर पक्का विश्वास करके आनन्द मगन थे कि भाजपा नेतृत्व के नाम पर एक मत नहीं होगी और उनकी पुनः लाटरी लग जाएगी। लेकिन श्रीरामचरितमानस के रचियता पूज्य गुरूदेव गोस्वामी तुलसीदास जी ने 500 वर्ष पूर्व ही चौपाई लिख कर जनमानस को बता दिया कि होई वही जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढावे शाखा, अस कहि शंकर लगे जपन हरि नामा, गई सती जहां प्रभु कृपानिधाना। परमात्मा सियाराम जी की कृपा से भाजपा ने मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया और मोदी जी ने देशभर में सैंकडों रैलियां कर ऐसा माहौल बनाया जिससे यूपीए 2 की सरकार ताश के पत्तों की तरह ढह गई। प्रभु राम कृष्ण की असीम अनुकम्पा से भाजपा का मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना सही समय पर सही निर्णय साबित हुआ। देश का विकास इतना हुआ कि आज पूरी दुनिया मंे भारत का डंका बज रहा है।
उत्तराखण्ड में मोदी जी ने जब युवा नेता पार्टी के विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया तब कांग्रेस पार्टी को लग रहा था कि कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार हरीश रावत का राजनीतिक अनुभव धामी के सामने बहुत अधिक है अतः भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है। लेकिन हुआ इसके उल्टा। क्योंकि धाकड धामी ने क्रमशः अपनी चुनावी तैयारी कर ऐसी रणनीति बनाई जिससे चुनाव से पहले जीतने जा रही कांग्रेस पार्टी को ऐसी पटखनी दी जो शायद ही कांग्रेस पार्टी कभी भूल पाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अधिक से अधिक उनके ही विधानसभा क्षेत्र में घेरे रखा जाए बेशक तथाकथित विरोधियों को भी कांग्रेस ने अपने साथ लेकर धनबल का भरपूर उपयोग किया। उत्तराखण्ड के लोगों को बताया गया समझाया गया कि यहां सरकार रिपीट नहीं होती है अतः भाजपा को वोट देने से कोई लाभ नहीं मिलेगा। लगभग सभी समाचार पत्रों व चैनलों पर कांग्रेस पक्का जीत रही है ऐसा सर्वें में मैसेज कर अपने मुंह मिया म्टिठू वाली कहावत को सही ठहराया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर ने कम समय में प्रदेश के लोगों का मिजाज जान लिया और उन्हें विश्वास में लेकर जनहितैषी नीतियों को लागू कर दिनों दिन भाजपा को मजबूत बनाने में खुद को खपा दिया। जैसी नीयत वैसी बरकत। बहुमत से भी बहुत ज्यादा सीटें जीत कर मुख्यमंत्री धामी ने इतिहास रच दिया। उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव हो रहे थे दोनों जगह भाजपा की सरकारें चल रही थी। जहां उत्तर प्रदेश में विपक्ष सपा-बसपा-कांग्रेस भाजपा के विरूद्ध अलग-अलग चुनाव लड़ रही थी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा 5 साल का अभूतपूर्व कार्यकाल था। लेकिन पुष्कर सरकार के खिलाफ कांग्रेस की आर-पार की लड़ाई थी। मुख्यमंत्री के रूप में वे 5 वर्ष के दौरान तीसरे मुख्यमंत्री थे उनका कार्यकाल भी 1 वर्ष का ही था, यानि चुनौतियां भिन्न थी लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का साहस मानों सातवें आसमान पर था। राष्ट्रीय नेतृत्व का निर्णय विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे को सही साबित कर दिखाना यह भी पुष्कर के लिए बेहद अहम था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जहां दल को जिताया वहीं प्रदेशवासियों के दिलों को भी जीता। माता-पिता को, परिजनों को, पार्टी को, प्रधानमंत्री को गौरवान्वित कर दिया। उसके हाथ में यश है। बात में रस है। मेहनत ही उसका आभूषण है। सादगी ही श्रृंगार है। सत्य ही राह है। शौर्य व धैर्य उसके जीवन रथ के दो पहिए है स्नेह की डोर है। परमात्मा रामकृष्ण का भजन सारथी है। गुरू का अभेद कवच है। संतो का आशीर्वाद नित् प्राप्त है। जोश और होश दोनों के धनी है। देश के लिए यशस्वी विजन वाले सबसे अधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की थाह पाने में जैसे विपक्ष असफल है ठीक वैसे ही उत्तराखण्ड में विपक्ष युवा लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की थाह पाने में नाकाम रहा है। जो अथाह सागर की भांति राजनीति के अखाडे में अपने पांव अंगद के पाव की भांति गाडे़ है और विपक्षियों को ललकार रहे है कि उनमें दम हो पाव उठा कर दिखाये। विपक्षी दलों ने यह तो मान लिया है कि अकेले उन में दम नहीं है कि वे सीधे भाजपा व उनके सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री मोदी से मुकाबला कर सकने सक्षम है। अतः अब मिलकर मोदी का सामना करने की कोशिश में लगे है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी का जनाधार पूरे देश में अतुलनीय है जबकि क्षेत्रीय दलों का केवल अपने-अपने प्रदेश में कुछ ही जनाधार बचा है। जैसे नीतीश कुमार का बिहार के बाहर कोई मतलब नहीं वैसे ही ममता, केजरीवाल, शरद पवार स्टालिन आदि का हाल है। उत्तराखण्ड में युवा लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उत्तरोत्तर अपनी पकड़ मजबूत की है, उनके सामने विपक्ष की हालत खस्ता है पतली हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अपने राज्य उत्तराखण्ड से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को रसातल में पहुंचाना बीजेपी के आगामी सुखद भविष्य के कई दरवाजे खोल सकता है। हाल फिलहाल तो उन्हें उत्तराखण्ड से लोकसभा में शत प्रतिशत सीटों को जीत कर कांग्रेस को चारो खाने चित करना है और मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना है।
लेखक नरेन्द्र सिंह राणा वरिष्ट स्तम्भकार एवं राजनीतिक विशलेषक है।