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राहुल गांधी, तुगलक लेन और दो गांधी, जानिए क्या है रहस्य?
विवेक शुक्ला
राहुल गांधी अपने 12 तुगलक लेन के सरकारी बंगले को 23 अप्रैल तक खाली कर देंगे। उन्होंने इस बारे में लोकसभा के संपदा विभाग को सूचित भी कर दिया है। आमतौर पर लुटियंस दिल्ली क बंगले को छोड़ने से पहले कई नेता बहुत बहाने करते रहे हैं। राहुल गांधी भाग्यशाली हैं कि वे तुगलक लेन का बंगला खाली करने के बाद भी लुटियंस दिल्ली में अपनी मां सोनिया गांधी के 10 जनपथ के बंगले में शिफ्ट कर सकते हैं। वैसे भी वे 12 तुगलक रोड पर खास बैठकें ही करते रहे थे। रहते तो 10 जनपथ में ही थे।
बेशक, लुटियन दिल्ली के बंगले को छोड़कर बाहर किसी अन्य जगह पर जाकर रहना कोई आसान काम नहीं है। असल में, लुटियन बंगलो जोन का बंगला खाली करने के लिए बहुत साहस चाहिए। जन्नत जैसा है लुटियन जोन। दिल्ली की तपिश में जब सूरज देवता आग उगलते हैं, तब भी लुटियन दिल्ली के 26 किलोमीटर में फैले हरे-भरे क्षेत्र में मीठी बयार ही बहती है। इधर की हर सड़क के दोनों तरफ लगे घने दरख्तों की भारी-भरकम टहनियां सड़क के एक बड़े भाग को अपने आगोश में ले लेती हैं। इसके चलते सूरज की किरणें नीचे जाने से पहले ही रोक ली जाती हैं। इनकी मीठी बयार गर्मी में भी खुशनुमा अहसास देती हैं।
लुटियन दिल्ली में मुख्य रूप से इमली, अमलतास, जामुन,बरगद वगैरह के पेड़ लगे हैं। पर शायद सबसे ज्यादा जामुन है। सफदरजंग रोड,सुनहरी बाग, राजाजी मार्ग, कुशक रोड, त्यागराज मार्ग, मोतीलाल नेहरू मार्ग में जामुन हैं। अकबर रोड और तीन मूर्ति मार्ग पर इमली के पेड़ हैं। अकबर रोड के पीछे कुछ अमलतास भी हैं। पृथ्वीराज रोड, औरंगजेब रोड, तीस जनवरी मार्ग, कृष्ण मेनन मार्ग पर नीम हैं। तो बाबा खड़क सिंह मार्ग,तिलक मार्ग, फिरोजशाह रोड, तीन मूर्ति मार्ग इमली के पेड़ों से लबरेज है।
12 तुगलक लेन से 12 तुगलक रोड
बहरहाल,राहुल गांधी के करीब ही है केन्द्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का 12 तुगलक रोड का बंगला। एस.जयशंकर और राहुल गांधी के एड्रेस में 12 का अंक और तुगलक समान हैं। सिर्फ रोड तथा लेन का अंतर है। कहते हैं कि इस कारण से दोनों के खत और मिलने वाले एक-दूसरे के बंगलों में भी कभी-कभी पहुंच जाते हैं। एस.जयशंकर को विदेश मंत्री बनने के बाद यहां बंगला था, जबकि राहुल गांधी को 2005 में 12 तुगलक लेन का बंगला आवंटित हुआ था। वे 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से विजयी हुए थे। शरद यादव 7 तुगलक रोड पर लंबे समय तक रहे। उन्होंने बहुत दुखी मन से छोड़ा था अपना सरकारी आवास। तुगलक रोड में ही अजीत सिंह और लालू यादव भी रहे। 12 तुगलक रोड में चौधरी चरण सिंह रहते थे। उनकी मृत्यु के बाद उनका बंगला उनके पुत्र अजीत सिंह को आवंटित हो गया था। लालू यादव 25 तुगलक रोड पर रहे। लोकसभा का चुनाव 2014 में हारने के बाद अजीत सिंह तुगलक रोड के बंगले में रहना चाहते थे। उनसे सरकार ने सख्ती से बंगल का खाली करवाया था।
दो गांधी और वो थाना
बहरहाल, राहुल गांधी जब भी अपने तुगलक लेन के बंगले से तुगलक रोड थाने के आगे से गुजरते होंगे तो उन्हें अपनी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी अवश्य याद आ जाती होंगी। इस थाने के लिए दो तारीखें बहुत अहम रही हैं। पहली 30 जनवरी,1948 और दूसरी, 31 अक्तूबर,1984। दरअसल इन दो तारीखों को क्रमश: महात्मा गांधी और श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्याएं हुईं। चूंकि तीस जनवरी मार्ग स्थित बिड़ला हाउस और सफदरजंग रोड इसी थाने के अंतर्गत आते हैं, तो बापू और श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्याओं के एफआईआर तुगलक रोड थाने में ही लिखी गई थीं। शायद ही किसी एक थाने में इतनी बड़ी दो शख्सियतों की हत्याओं के एफआईआर लिखे गए हों।
हनुमान मंदिर में शास्त्री जी और जगजीवन राम
तुगलक रोड और लेन में बने शानदार बंगलों में रहने वाले आते-जाते रहते हैं, पर इनका कभी ना कभी यहां के हनुमान मंदिर के आगे स गुजरना तो हो ही जाता है। तुगलक रोड थाने से चंदेक कदमों की दूरी पर एक छोटा सा हनुमान मंदिर है। ये साल 1945 के आसपास स्थापित हुआ था। इसकी स्थापना की थी पंडित सालिग राम शर्मा ने। हनुमान मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भीड़ लगी रहती है। शाम के समय भीड़ बढ़ जाती है। इस हनुमान मंदिर में एक दौर में लाल बहादुर शास्त्री तथा बाबू जगजीवन राम नियमित रूप से पूजा अर्चना के लिए आते थे। इधर हनुमान जी और शिव परिवार की मूर्तियां हैं। हनुमान मंदिर में कई कारें और दूसरे वाहन आकर खड़े होते हैं। हालांकि इस कारण सड़क पर यातायात प्रभावित नहीं होता। चूंकि तुगलक रोड खासी चौड़ी है, इसलिए सामान्य यातायात आम दिनों की तरह से चलता रहता है।लेकिन कई बार हनुमान मंदिर को राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के काफिलों के निकलने के कारण कुछ समय के लिए बंद करने के आदेश मिल जाते हैं।
जैसा कि पहले कहा गया कि कई नेता लुटियंस दिल्ली के बंगलों में रहने के लिए बहानेबाजी करते रहे। राम विलास पासवान 12 जनपथ के बंगले में करीब 30 सालों तक रहे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी 12 जनपथ पर धड़ प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। इसलिए कहा जाने लगा था कि वहां पर उनका स्मारक बनाने की कोशिश हो रही है। पर यह हो नहीं सक क्योंकि केन्द्र सरकार फैसला ले चुकी है कि अब लुटियंस दिल्ली के किसी बंगले को स्मारक में तब्दील नहीं किया जाएगा।
खैर,राहुल गांधी जैसा भाग्य विरले लोगों को ही नसीब होता है। वे तो अभी तक के अपने जीवन में हमेशा लुटियंस दिल्ली में ही रहे हैं।