- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
राहुल ने कहा उनके कोई पास घर नहीं है,अब सड़कों पर ही रहेंगे !
-श्रवण गर्ग
कांग्रेस के किसी भी अखिल भारतीय अधिवेशन के किसी एक सत्र में इस तरह का सन्नाटा शायद पहले नहीं व्यापा होगा जैसा 26 फ़रवरी 2023 को रायपुर में पसर गया था। देश भर से जमा हुए कोई पंद्रह हज़ार डेलीगेट्स, इनसे कई गुना ज़्यादा वे जो रायपुर नहीं पहुँच पाए होंगे और इन सबके साथ वे करोड़ों देशवासी जो टीवी के पर्दों पर उत्सुकता के साथ नज़रें और कान लगाए उम्मीद कर रहे थे कि बावन-तिरपन साल का दाढ़ी वाला जो शख़्स बिना कोई काग़ज़ देखे मंच से बोल रहा है किसी भी पल कोई बड़ा राजनीतिक तहलका मचा सकता है !
राहुल गांधी बोल रहे थे और लोग चुपचाप सुनते जा रहे थे।ऐसा लग रहा था जैसे राहुल अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान सड़क के दोनों और खड़े लोगों के साथ बतिया रहे हों, उनका दुख-दर्द बाँट रहे हों, बता रहे हों कि देशवासियों ने उन्हें रास्ते में किस तरह अपनी ज़िंदगी से जुड़ी कहानियाँ सुनाईं ।इन मिलने वालों में कैसे वह औरत भी शामिल थी जिसका पति उसे पीटता है और वह उससे बचकर राहुल से मिलने पहुँची थी। कैसे यात्रा के प्रारंभ में ही केरल में नौकायन के दौरान कॉलेज की पढ़ाई के दौरान घुटने में लगी पुरानी चोट का दर्द उभर आया था पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
राहुल जब बोल रहे थे ,माँ सोनिया गांधी उनकी तरफ़ नहीं देख रहीं थीं। वे ऐसा जान-बूझकर कर रहीं थीं।राहुल ने रुककर कहा भी कि माँ उनकी ओर नहीं देख रहीं हैं।सोनिया गांधी ने फिर भी अपना चेहरा बेटे की तरफ़ नहीं किया। वे शायद चेहरे पर लगी मॉस्क के पीछे आंसुओं को समेटे बेटे द्वारा अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर लिखी गई चार हज़ार किलो मीटर लंबी कविता के शब्दों में डूब गईं थीं। वे बेटे के मुँह से उस कश्मीर घाटी की वादियों में मिली हज़ारों लोगों की मोहब्बत का ज़िक्र सुन रहीं थी जहां से निकलकर नेहरू परिवार के वंशज कभी मैदानी इलाक़ों में पहुँचे होंगे।
राहुल गांधी ने अपने पैंतालीस-पचास मिनिट के भाषण में ज़्यादा कुछ नहीं कहा ।कोई ग़ुस्सा नहीं ज़ाहिर किया। प्रधानमंत्री को लेकर कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की। इतने बड़े और ऐतिहासिक अवसर का कोई राजनीतिक अथवा चुनावी लाभ लेने की उन्होंने कोई कोशिश नहीं की।
राहुल गांधी ने सिर्फ़ एक छोटी से बात कही ! वह यह कि 1977 में भी उनके पास कोई मकान नहीं था। तब वे सिर्फ़ छह साल के थे और आज भी कहीं कोई घर नहीं है।इलाहाबाद का पुश्तैनी मकान (आनंद भवन) भी उनका नहीं है। नई दिल्ली में तुग़लक़ लेन स्थित घर भी उनका अपना नहीं है।
राहुल गांधी ने देश की हुकूमत और रायपुर में उपस्थित कांग्रेसजनों के लिए घोषणा की कि अब भारत की सड़कें ही उनका घर बनने वाली हैं। इसी घर के अहातों में वे 'भारत जोड़ो यात्रा' के दिनों की तरह देश के अमीर और ग़रीब गो कि हरेक देशवासी से मुलाक़ातें करेंगे। कांग्रेस के हज़ारों कार्यकर्ताओं के साथ अपनी इस तपस्या को वे तब तक जारी रखेंगे जब तक कि उनके द्वारा संसद में पूछे गए सवालों के जवाब नहीं प्राप्त हो जाते।
राहुल ने कहा कि देश की आज़ादी की लड़ाई भी सिर्फ़ एक (ईस्ट इंडिया) कंपनी द्वारा जारी की गई भारत की लूट के ख़िलाफ़ संघर्ष से प्रारंभ हुई थी।इस समय इतिहास फिर अपने आप को दोहरा रहा है।देश के हितों के ख़िलाफ़ अगर कोई काम होगा, कंग्रेसजन अपना खून-पसीना बहा देंगे। प्रधानमंत्री को बताना ही पड़ेगा कि अदाणी के साथ उनका रिश्ता क्या है ? सचाई जब तक सामने नहीं आ जाती सवाल पूछते रहेंगे।
राहुल ने जब अपना बोलना बंद किया तब सोनिया गांधी का चेहरा बेटे की ओर था और वे गर्व के साथ तालियाँ बजा रहीं थीं।