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राहुल फंसे बुरे, सिंगापुर जाएँ तो मजाक बनाओगे और हाथरस जाएँ तो पीटोगे, आखिर करें तो करें क्या?
तो हुआ यह कि राहुल गांधी पीड़ित के परिवार से मिलने हाथरस जाना चाहते थे । लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें वहां जाने नहीं दिया। अगर वे इस घटना के बाद सिंगापुर चले गए होते तो भक्तों की पार्टी बिलखती कि राहुल गांधी कहाँ है?
जब वो वहां जाना चाहते हैं तो वो राजनीति कर रहे हैं! अगर विपक्ष की भूमिका में रहो तो मुश्किल ना रहो तो भी मुश्किल। वैसे, भाजपा की ढेर सारी महिला नेताओं में से किसी से कुछ सुना क्या? निर्वाचित या वैसे? किसी ने कोई सवाल किया?
यही नहीं, किसी मीडिया संस्थान से किसी ने फोन पर भी उनसे प्रतिक्रिया मांगी क्या?ऐसा क्यों है कि गोदी मीडिया को पहले से ही पता होता है कि सत्ताधारी भाजपा से संबंधित मामलों में क्या करना है? उन्हें पहले से ही कैसे पता चल जाता है कि भाजपा का कोई भी सांसद बयान नहीं देगा। स्मृति, हेमा, मीनाक्षी, उमा या कोई और?
दूसरी ओर, देश की जनता सरकार से सवाल क्यों नहीं करती? और जब यह सब हो रहा है तो देश की जनता देश के सीएम और पीएम से सवाल क्यों नहीं पूछ रही है?
क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं है या वर्तमान और अतीत दोनों के लिए नेहरू को ही दोष देना है?
मोदी जी यूपी में कानून व्यवस्था की हालत खराब होने की जिम्मेदारी कब स्वीकार करेंगे?
और कहां गए उत्तर प्रदेश तथा सुप्रीम कोर्ट के जज? वे कोई न्यूज़ चैनल देखते हैं या कोई अखबार पढ़ते हैं कि नहीं? या इतने व्यस्त हैं कि वे केवल इसी में रुचि रखते हैं कि किस वकील को उनके अधिकार पर सवाल उठाने के लिए सजा मिलनी चाहिए?