- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
चुनाव आयोग के द्वारा रैली व रोड शो पर रोक, किसको फायदा - किसको नुकसान
चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में हो रहे चुनाव पर 15 जनवरी तक रैली व रोड शो पर रोक लगा दिया है. कोरोना के बढ़ते हुए केसों को ध्यान में रखते हुए यह रोक लगी है।
जब देश में कोरोना के केस बढ़ रहे है और विशेषज्ञों के द्वारा 15 फरवरी तक कोरोना के पीक की बात की जा रही है, तो इस दौरान दो चरणों के चुनाव का क्या,औचित्य है? चुनाव आयुक्त एव प्रधानमंत्री आफिस की बैठक मे क्या रणनीति बनी, यह देश के सामने अभी तक सामने नहीं आया परंतु भाजपा के लिए सिरदर्द बने पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाकों को दो चरणों मे रखा गया।
जहां तक उम्मीद है कि चुनाव आयोग इन दों चरणों में रैली, पद यात्रा , रोड शो पर रोक लगाकर रखेगी, जिससे भाजपा को जो जमीन पर असंतोष का सामना करना पड़ेगा उससे निजात मिल जाए.
जैसा सर्व विदित है कि सोशल मीडिया और व॔चुयल रैली में भाजपा और उसकी आई टी सेल को महारत हासिल है उनके आक्रमक प्रचार के सामने विपक्षी का प्रचार फीका रहेगा. मुख्यधारा की मीडिया पहले से ही गोदी मे खेल रही है । अब सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग की बंदिशे रहेगी, उदाहरण के लिए अगर कोई यूटयूब चैनल या फेसबुक पेज भाजपा की नीतियों की आलोचना करती पाएगी। भाजपा दवाब मे़ लेकर चुनाव आयोग से उस यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर रोक लगवा सकती है या उनकी रीच कम की जा सकती है। जिससे लोगों तक बात न पहुंच पाए अब चुनाव आयोग की निष्पक्षता की परीक्षा का समय है। अतः इस बार का चुनाव लोकतंत्र को पुनः स्थापित का है जनता खासकर जागरुक नागरिक समिति को सजग रहने की जरूरत है।
प्रबल प्रताप शाही
प्रवक्ता. भाकियू असली व सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा