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अध्यक्ष के नाते झारखंड में हार की जिम्मेदारी ली, लेकिन पश्चिम बंगाल को लेकर शाह ने किया बड़ा दावा
नई दिल्ली। भाजपा की चुनावी रणनीति कहा पर मात खा रही है इसे कोई समझ नही पा रहा है लगभग दो सालों के अंदर कई राज्यों में सरकार बनाने में चूक जा रही है तो कही गठबंधन की गांठ मजबूती से बधी नही है हाल ही महाराष्ट्र मे नाटकीय ढ़ग से भाजपा तो सरकार बना ली लेकिन वो बहुमत साबित नही करने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने झारखंड विधानसभा चुनाव में हार को पार्टी अध्यक्ष होने के नाते अपनी हार बताया। उन्होंने पिछले दिनों कहा कि हम हारे जरूर हैं, लेकिन यह हमारे लिए आत्मचिंतन का विषय है। राज्य में पार्टी के बागी नेता सरयू राय पर उन्होंने कहा कि किसी एक फैसले से पार्टी की हार-जीत चिह्नित नहीं कर सकते।
एक हिंदी चैनल के कार्यक्रम में शाह ने कहा, दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए हमारी तैयारी बहुत अच्छी है। गत चुनाव के बाद तीनों एमसीडी और सातों लोकसभा सीट हम जीते हैं। भाजपा ने दिल्ली में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और राज्य की जनता भाजपा के साथ रहेगी। केजरीवाल ने जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं कर पाए।
दिल्ली में सीएम उम्मीदवार पर उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी निर्णय करेगी और यह फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करता है। वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बारे में उन्होंने दावा किया कि पार्टी राज्य में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगी। राज्य की जनता तृणमूल कांग्रेस के शासन से परेशान हो चुकी है और भाजपा की सरकार वहां बनना निश्चित है।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि एनडीए विधानसभा चुनाव जदयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा। इसमें किसी भी तरह का असमंजस या भ्रम नहीं है।
शाह ने नागरिकता कानून पर बोले
उन्होंने कहा कि इस कानून से किसी भारतीय को नागरिकता नहीं गंवानी पड़ेगी। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनौती दी कि वे कानून की एक भी धारा दिखाएं जिसमें किसी की नागरिकता छीनने की बात कही गई हो। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस कानून को लेकर गुमराह कर रहे हैं, लेकिन हम लोगों को मनाने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
सीएए को समझने के लिए जो भी मुझे मिलना चाहता है, उसके लिए मेरे घर का रास्ता 24 घंटे खुला है। रात के 3 बजे घर की घंटी बजा सकते हैं। किसी को दूरी रखने की जरूरत नहीं है। मैं अच्छे से समझाऊंगा, अगर वो समझना चाहता हैं।
CAA में प्रावधान है कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यक भारत आते हैं तो उनको नागरिकता देंगे। ये बात गांधी जी, नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, मौलाना आजाद सबने कही है
शाह ने एनपीआर और एनआरसी को लेकर साफ किया कि जनगणना 2011 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से कोई लेनादेना है। उन्होंने कहा कि देश में हर 10 साल में जनगणना और एनपीआर होता है और इस बार भी 10 साल बाद ऐसा हो रहा है। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में हर बार इसे किया लेकिन अब इसका विरोध कर रही है।