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किसान आंदोलन पर स्पेशल रिपोर्ट: टेढ़ी होती समझौते की डगर
आखिर वही हो गया, जिसकी आशंका थी। ट्रैक्टर मार्च के दौरान एक तरफ किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया, दूसरी ओर पुलिस प्रशासन ने भी किसानों पर जमकर जोर आजमाइश में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इस घटनाक्रम के बाद किसानों व सरकार के बीच खाई और भी गहरा गई है।
ITO से किसान गाजीपुर बॉर्डर के लिए निकले है. डेड बॉडी लेकर किसान गाज़ीपुर के निकलने के बाद ITO को ट्रैफिक के लिए खोला गया।
देश के 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर जब सशस्त्र सेनाओं के जवान अपनी ताकत और पराक्रम का प्रदर्शन कर रहे थे। तभी देश के अन्नदाता दिल्ली से जुड़ी हुई तमाम सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन में जुटे हुए थे। लाखों की संख्या में ट्रैक्टरों पर सवार किसान कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर मार्च कर रहे थे। गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम चल ही रहा था, तभी कुछ स्थानों पर किसानों का प्रदर्शन अपने तय कार्यक्रम से भटक गया।
जिसके चलते पुलिस और किसानों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई। कई जगह पुलिस ने किसानों पर लाठियां भांजी तो कहीं आंसू गैस का प्रयोग भी किया गया। इसको किसी सामान्य घटना की तरह देखने की गलती मत कीजिए, क्योंकि यह टकराव ऐसे नाजुक समय में हुआ है जब पहले से ही सरकार और किसानों के बीच तकरार का माहौल बना हुआ है। निश्चित तौर पर इस घटना के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। जिसका प्रभाव ना सिर्फ किसानों और सरकार पर पड़ेगा बल्कि दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों में भी स्थितियां तनावपूर्ण होने के आसार बढ़ गए हैं।
अब यह सवाल और भी पेचीदा हो चुका है कि इस मुद्दे का क्या हल निकलेगा? कोई भी आंदोलन अंतहीन नहीं होता है लेकिन गणतंत्र दिवस को हुई घटना ने किसानों और सरकार के बीच समझौते की संभावना को एक तगड़ा झटका जरूर दे दिया है। जिस तरह किसानों का हुजूम दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर इकट्ठा हुआ , उसे देख कर सरकार के नुमाइंदों की धड़कनें जरूर बढ़ गई होंगी। अब देखना दिलचस्प होगा सरकार और किसानों के बीच कब और किस माहौल में बातचीत होगी। एक ओर किसान हैं जिन्हें कानून की वापसी से कम कुछ और मंजूर नहीं है, वही सरकार कानून वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। यह दोनों स्थितियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि समझौते की डगर बेहद मुश्किल होने वाली है।
वहीं इस मामले पर ऑल इंडिया किसान सभा महासचिव हन्नान मौला ने कहा कि आज दिल्ली में जिन्होंने तोड़फोड़ की, वे किसान नहीं किसान के दुश्मन हैं, ये साजिश का अंग है। आज की गुंडागर्दी से, साजिश से हमने सबक लिया है। भविष्य में आंदोलन में ऐसे लोगों को घुसने का मौका न मिले, हम शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाएंगे।