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किसानों की असली अग्नि परीक्षा अब, सरकार की गेंद तुम्हारे पाले में है अब शांति से छक्का लगाना !

Shiv Kumar Mishra
23 Jan 2021 2:26 PM IST
किसानों की असली अग्नि परीक्षा अब, सरकार की गेंद तुम्हारे पाले में है अब शांति से छक्का लगाना !
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दिल्ली- यूपी के गाजीपुर बॉर्डर से किसानों के बीच (फोटो: स्पेशल कवरेज न्यूज़)

सचमुच सरकार की भी गेंद तुम्हारे पाले में है।इस आंदोलन ने तुम्हारे यहां कुछ नये सचिन पैदा किए हैं।शांति से छक्का लगाना।

वीरेंद्र सेंगर

दिल्ली के बाहर आंदोलन का चौतरफा मोर्चा जमाए बैठे किसानों के लिए यूं तो हर दिन अग्नि परीक्षा के रहे हैं। 59दिन आज पूरे हो गये हैं। अपने वाजिब हक के लिए किसानों का इतना विराट अहिंसक सत्ताग्रह दुनियाभर में बेमिसाल हो सकता है।लेकिन इस शांतिपूर्ण आंदोलन की बढ़ती कामयाबी से सत्ता नायकों की नाक में मक्खी बैठने लगी है। सो उनका दंभ और फुंकार केंचुल के बाहर आएगी ही।वो आने को तैयार है।बस, मौके क इंतजार है।

इसीलिए आंदोलनकारियों को हर हाल में अहिंसक ही रहना होगा।.यही ऐसी ताकत है जो निष्ठुर सत्ता को भीआम जन के सामने दंडवत करने के लिए मजबूर करेगी।आज नहीं तो कल। ....... तीन दिन बाद ही गणतंत्र दिवस है।किसानों ने दिल्ली में इस दिन टैक्टर रैली निकालने का संकल्प किया है।वो भी राष्ट्रीय परेड़ के बाद।शांतिपूर्ण रैली का भरोसा भी दिया है।आंदोलन की शुचिता को देखते हुए इस पर भरोसा भी होना चाहिए।

लेकिन सत्ता ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। ये नंगा सच किसी से छिपा नहीं है। शीर्ष नेतृत्व के बगैर इशारे के भी उत्साही चारण कभी कभी भयंकर साजिश कर डालते हैं। इससे किसानों को सावधान रहना होगा।सशस्त्र बल, रैली रोकने की पुरजोर तैयारी में हैं।इसमें शक की गुंजाइश नहीं है। किसान नेतृत्व की असली चुनौती यही है कि वो पुलिस से टकराव टालें।जहां रोका जाए ,वहीं सत्ताग्रह शुरू कर दें।इसे भी विराट बनांए ।इतना कि दुनिया शांतिपूर्ण सैलाब को देख, जानकर चमत्कृत हो जाए।


कृषि के तीन विवादित कानूनों को लेकर सरकार बहादुर और अन्नदाता के बीच वार्ताओं को दौर रोक दिया गया है।सरकार ने कहा है गेंद अब किसानों के पाले में है। ठसक के साथ ठेंगा दिखा दिया गया है। भौकाल इतना कि किसानों का गुस्सा बेकाबू हो जाए।ठहरो!यही साजिश है, जिससे हर हाल में बचना है।सत्ताग्रह की सच्ची ताकत दिखानी है।वे तुम्हें लाठियां मारेंगे।संगीनें तैयार करेंगे।तुम्हें ही अतिवादी करार करने के तमाम वे जतन करेंगे, जिनमें वे अब तक फेल हुए हैं।तुम्हें बार बार इनसे पार होना है।

हे अन्नदाता !तुमने कम बाट नहीं लगाई। अब बात केवल तीन कानूनों की नहीं।असल में मामला इससे कहीं आगे का। तुमने जाति धर्म से ऊपर होकर एकता का राग अलापा।दो महीने में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एकता का जज्बा दिखाया।कितने सालों में पट्टाधारी देश भक्तों ने नयी जमीन तैयार की थी।उस पर टनों मिट्टी डाल रहे हो किसानों।भला ये तेवर देश के स्वघोषित नायक कैसे बर्दाश्त करें?सो वे तुम्हें खालिस्तानी और जोर से कहेंगे।तुम डटे रहना।बगैर गुस्साए!बापू की अहिंसा की लाठी पर ही विश्वास करना।जीत अखण्ड सच की होती है।


ईवीएम के युग में कभी कभार देर लगती है। तुम तो छह महीने का राशन पानी लेकर आए हो। अभी तो बस दो महीने हुए हैं। तुम्हारा भी टाइम आयेगा। सचमुच सरकार की भी गेंद तुम्हारे पाले में है। इस आंदोलन ने तुम्हारे यहां कुछ नये सचिन पैदा किए हैं। शांति से छक्का लगाना।।देखना!ये सरकार भी तुम्हारे हौसले पर मुजरा करते नजर आएगी !गणतंत्र दिवस का यही संदेश भी है।जय हिंद!

लेखक देश के जाने माने पत्रकार और विचारक है

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