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न्यूयॉर्क टाइम्स के आर्टिकल का सच, मोदी क्यों हारे?

Special Coverage News
18 Dec 2018 2:06 AM GMT
न्यूयॉर्क टाइम्स के आर्टिकल का सच, मोदी क्यों हारे?
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सोमवार को जब कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने राज्य की शपथ ग्रहण कर रहे थे. तब कुछ दक्षिणपंथी रुझान वाले फेसबुक पेज और ग्रुप एक लेख बराबर शेयर कर रहे थे. उनका दावा था अमरीकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की विवेचना कर इसकी मुख्य कारणों की एक फेहरिस्त तैयार की है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी और मोदी को इन चुनावों में हार का सामना क्यों करना पड़ा है.

शेयर किए जा रहे आर्टिकल के मुताबिक अमरीकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारतीय वोटर्स के पैटर्न को समझाने की कोशिश की है. बताया गया है कि मौजूदा मोदी सरकार को इन नतीजों से क्या क्या सबक लेने चाहिए. यह आर्टिकल तस्वीर और टेक्स्ट के तौर पर अंग्रेजी समेत हिंदी में भी पोस्ट किया गया है. साथ ही इस व्हाट्सएप पर भी शेयर किया जा रहा है.





वहीं कुछ लोगों ने इस आर्टिकल का लव्वोलुआब लिखा है कि भारतीय वोटर बेहद छोटी मानसिकता के हैं. जो हमेशा शिकायत करते रहते हैं. साथ ही उन्हें अपनी समस्याओं के हल त्वरित चाहिए. वह किसी लंबी योजना में विश्वास नहीं करते हैं. उन्हें आज का परिणाम आज ही चाहिए.

आर्टिकल में और क्या क्या लिखा है

भारतीयों की नजर में हर काम सरकार का काम है और उन्हें अपनी समस्याओं के लांग टर्म हल नहीं चाहिए

भारतीयों की याददाश्त भी कमजोर है और उनका दृष्टिकोण बहुत ही संकीर्ण और छोटा है

वह पुरानी बातें भूल जाते हैं और नेताओं की पिछली गलतियों को भी माफ कर देते हैं

भारतीय ढीठ हो कर जातिवाद पर वोट करते हैं जातिवाद उत्थान का एक मुख्य शत्रु है जो युवाओं को आगे नहीं बढ़ने देता है और उन्हें बांटता रहता है.

चीन और पाकिस्तान में जातिवाद फैलाने की कोशिश करते हैं क्योंकि दोनों ही जीडीपी के लिए भारतीय बाजार पर निर्भर रहते हैं.

लोगों को सस्ता डीजल चाहिए कर्ज माफी चाहिए लेकिन सबका साथ और सबका विकास को नहीं जानते हैं.

वह सिर्फ अपनी पॉकेट में आए धन को जानते हैं.

भारत में जीतने के लिए मोदी को स्टेट्समैनशिप छोड़कर पॉलीटिशियन यानी विशुद्ध राजनीतिक बनना होगा.

इस लिख के अंत में लिखा है नरेंद्र मोदी ने बतौर पीएम बहुत कार्य किया है लेकिन भारत के लोग उनके काम की प्रशंसा नहीं कर रहे हैं जबकि बुराई बहुत तेजी से कर रहे हैं.



इस लेख की अपनी पड़ताल में हमने पाया कि लेख बताकर शेर की जा रही है. पोस्ट फर्जी है. फेसबुक सर्च से पता चला है कि 11 दिसंबर के बाद से इस पोस्ट को न्यूयॉर्क टाइम्स का आर्टिकल बताकर शेयर किया जा रहा है. लेकिन नरेंद्र मोदी और विधानसभा चुनाव 2018 जैसे किसी की वर्ड को सर्च करने पर यह साफ हो जाता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने ऐसा कोई आर्टिकल नहीं लिखा है. जिसमें विधानसभा चुनाव की विवेचना कर भाजपा की हार के कारण बताए गए हो और भारतीय लोगों के लिए ऐसी भाषा में तो कोई लेख अमेरिकी साइट पर कतई नहीं लिखा गया है. भाषाई बारीकी पर उतरे तो इस पोस्ट में लिखी गई अंग्रेजी बहुत गलत है. अंग्रेजी के कास्ट ऑफ प्रमोट जैसे शब्द भी गलत लिखे हुए हैं.

सोशल मीडिया पर इस लेख का कुछ लोगों ने मजाक भी बनाया है लेकिन भाषाई स्टाइल अमेरिकी अखबार की स्टाइल शीट से बिल्कुल मेल नहीं खाता है. और सबसे दिलचस्प बात यह है यह कथित लेख बीजेपी की हार के लिए जनता को ही दोषी ठहरा रहा है. जबकि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी पांचो राज्य में चुनावी जनादेश का आगे बढ़कर स्वागत किया है और कहा है कि कहीं ना कहीं हमसे कोई चूक हुई है जिससे जनता ने हमें नकार दिया है.

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