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कांग्रेस की चिट्ठी के पीछे क्या है असली राज, बड़ा खुलासा!
कांग्रेस के 23 नेताओं ने पिछले दिनों लेटर बम के जरिए जो तहलका मचाया उसे उन्होंने कांग्रेस बचाने की लड़ाई कहा. लेकिन पार्टी के अंदर से ही इस तरह की खबरें मिली उससे यह पता चलता है कि यह लड़ाई उन्होंने खुद को बचाने के लिए की गई बताया जा रहा है कि पार्टी के अंदर कई बड़े नेता खुद का सिंहासन हिलने के खतरे से बेचैन थे और बेचैन है.
मैडम की आंख कान कहीं जाने वाले एक नेता के बारे में कहा जाता है कि उनके गृह राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए जाने में उनकी कोई राय नहीं ली गई.अभी तक दरबारी अध्यक्ष रखने वाले इस नेता के लिए खतरे की सबसे बड़ी बात यहीं कहीं जा रही है. जिसे प्रदेश कमेटी की कमान सौंपी गई है. उनका दरबारी नहीं है साथ ही खुद भी एक्टिव है और राज्य में अपनी एक अलग पहचान रखता है.
उधर गुलाम नबी आजाद की परेशानी है कि राज्यसभा में पार्टी के नेता हैं लेकिन लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को भी राज्यसभा भेज दिया गया है. जो कभी लोकसभा में पार्टी के नेता हुआ करते थे ऐसे में अब यह संभावना बढ़ गई है कि के राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद का स्थान जल्द ग्रहण कर सकते हैं.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगाते हैं. उनकी विरोधी को दिल्ली से आश्रय मिला हुआ है. तो वहीं पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल कैप्टन 36 का रिश्ता रखने के लिए जानी जाती हैं. कैप्टन 2022 में भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनना चाहते हैं. इस वजह से भी गांधी परिवार की पैरोकार में जुट गई हैं. ऐसे में उनकी विरोधी का विरोध मैं खड़ा होना स्वाभाविक है.
इसी तरह अगर सभी 23 नेताओं को अलग-अलग विश्लेषण किया जाए तो ज्यादातर नेताओं की परेशानी कांग्रेसमें ज्यादा अपनी निजी दिखाई पड़ने लगती है और इसी वजह से यह अपनी निजी परेशानी जाए निजी परेशानी से बचने के लिए यह पत्र लिखकर सामने आए क्योंकि राजनीतिक में जब किसी का सिंहासन मिलता है तो उसे अपने सिंहासन बचाने के लिए कुछ भी करने पर उतारू हो जाता है.
इसी तरह इन नेताओं ने यह चिट्ठी वायरल कर कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए यह काम किया लेकिन जिस तरह से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चिट्ठी को लेकर नाराजगी जाहिर की उससे नेताओं के होश फाख्ता हो गए और उसी दिन शाम को बैठकर इन सभी नेताओं को गुलाम नबी आजाद के घर बैठकर मंत्रणा करनी पड़ी. जबकि मीटिंग में राहुल गांधी ने सीधा-सीधा बीजेपी एजेंट होने का आरोप लगा दिया था.