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आज से 6 महीने पहले कमलनाथ के पास सब था.धन था..संसाधन था,सत्ता विरोधी लहर थी, सत्ता जाने की सहानुभूति और गुटबाज़ी से घिरी बीजेपी थी कारोबारीयो के साथ मधुर संबध भी थे फिर भी चुनाव हार गए .
मैं कमलनाथ जी का चुनाव प्रचार बड़ी बारीकी से ऑब्जर्व कर रहा था एक प्रोफेशनल चुनाव रणनीतिकार और डेटा विश्लेषक के तौर पर कह सकता हूँ कि उनका प्रचार बिलकुल गलत दिशा में चल रहा था मुझे लग रहा था कि वो जीती हुई बाजी हार रहे थे.
लाडली बहना का आइडिया कोई यूनिक नही था नारी सम्मान योजना और महतारी योजना इसी आइडिया पर थी पर बीजेपी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ मे इसे घर-घर पहुँचाया और डेबिट कार्ड को ट्रम्प कार्ड बनाया पर कमलनाथ जी की नारी सम्मान योजना केवल कागजों में सीमित रह गई.
कमलनाथ के पास सबकूछ था पर डाटा ड्रिवन कैम्पेन स्ट्रेटजी, मैसेजिंग, कम्युनिकेशन और कंटेट नही था वो चुनाव को बहुत पुराने ढर्रे पर लड़ रहे थे डेटा ड्रिवन स्ट्रेटजी में एक टर्म होती है KYV जिसका मतलब होता है "नो योर वोटर" बिलकुल KYC जैसा होता है अगर आपको अपना वोटर ही नही पता मेसेजिंग कैसे करेंगे ? और फिर वोटर कन्वर्जन कैसे होगा ?
उदाहरण के तौर पर देखिए मुस्लिम, आदिवासी और दलित बाहुल्य सीटों में 80 फीसदी वोटिंग होनी थी जो लगभग 70 फीसदी ही रही निचली और गरीब बस्तीयो में 90 फीसदी पोलिंग होना थी जो 70 से आगे नही बढ़ पाई,
कमलनाथ को हाइली लोकलाइज चुनाव लड़ना था उन्हें यह चुनाव जनता vs बीजेपी कर देना था तो वो इस चुनाव को जीत जाते..आज की चुनावी राजनीति और रणनीति बहुत बदल गई है माना कि कमलनाथ आर्थिक रूप से मजबूत थे लेकिन आज बीजेपी के पास सत्ता, संगठन और संसाधन प्रचुरता में है इसलिए उन्हें हराने के लिए एक कारगर डाटा आधरित रणनीति पर काम करना था
बीजेपी आज एक राजनीतिक पार्टी नही एक प्रोफेशनल कॉरपोरेट स्टाइल कंपनी है उन्हें एक प्रोफेशनल तरीके से ही हराया जा सकता था मुझे लगता है कमलनाथ के टीम में जुझारू नेताओ ,जमीनी पत्रकारों, कांग्रेस के कमिटेड प्रोफेशनल लोगो कमी थी मैं स्वयं यह फीडबैक उनके पोलिटिकल औऱ मीडिया मेँनेजरो को दे चुका था
कमलनाथ यह चुनाव जीत सकते थे क्योकि सब कुछ उनके पक्ष में घट रहा था इन चुनावों में उनसे बहुत बड़ी रणनीतिक चूक हुई है और मुझे पता है इसकी जिम्मेदारी उनके पॉलिटिकल और मीडिया मैंनेजर कभी नही लेंगे और उनकी गलतियों के परिणाम अब पूरा प्रदेश 5 साल तक भोगेगा.
कांग्रेस को अमित शाह चाहिए
चौंकिए मत!!! आपने बिल्कुल सही पढ़ा है तीन राज्यों में मिली शर्मनाक हार से कांग्रेसी निराश हो रहे है पर पल भर की यह निराशा कांग्रेस के लिए 2024 में हमेशा के लिए खुशियां ला सकती है पर कैसे.. थोड़ा दिमाग पर जोर डालिये न
थोड़ी मेमोरी रिफ्रेश कीजिए... 2013 में बीजेपी का दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद राजनाथ सिंह ने क्या किया था !!! उन्होंने अमित शाह को बीजेपी का महासचिव बनाकर यूपी का प्रभार दिया था फिर जो हुआ वो इतिहास है डीके शिवकुमार अमित शाह से बेहतर रणनीतिकार है परसेप्शन, पैसा और पावर को कैसे मेनेज करते है वो कनार्टक में सब देख चुके है
महज 23 साल की उम्र में देवेगौड़ा जैसे दिग्गज को चुनावी पसीने लाने वाले इस हार्डकोर कांग्रेसी को अगर पूरे साउथ के यूपी का प्रभार दे दिया जाए तो वो यूपी में प्रियंका के साथ कमाल दिखा सकते है और साउथ में बीजेपी को शून्य पर ला सकते है
बहुत सालों के बाद कांग्रेस को एक ऐसा जुझारू और दबंग नेता मिला है जो विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित है डीके जेल जा चुके है और बीजेपी ने उनको परेशान करने में कोई कसर नही छोड़ी है बीजेपी उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है आपको कुछ कुछ 2013 जैसा लग रहा है न ..
इतिहास आपको भविष्य के संकेत देता है अगर कांग्रेस ने यह संकेत पकड़ लिये तो वो 2024 में केन्द्र की सत्ता के शिखर पर होगी और गृहमंत्री कौन होगा वो तो आप जान ही गए होंगे