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- शहीद मेजर विभूति की...
शहीद मेजर विभूति की पत्नी ने पति को चूमा, I Love You बोल दी अंतिम विदाई - VIDEO देखकर आंसू नहीं रोक पाएंगे
देहरादून : वह फूलों से सजे ताबूत में रखे अपने शहीद पति को देर तक निहारती रहीं। आंखों के आंसू सूख चुके थे। अभी पिछले साल ही तो शादी हुई थी। क्या-क्या सपने संजोए थे। पर पति की कुर्बानी पर गर्व हो रहा था। हाथ से पति को छू भी रही थीं। बार-बार ताबूत को छू रही थीं। शायद दिल ही दिल में कुछ कह रही थीं। उन्हें पता था कि उनके पति देश पर अपना सर्वस्व कुर्बान कर अंतिम सफर पर जा चुके हैं। पर उनके कान में वह I Love You बोल पति-पत्नी के प्यार को भी जता रही थीं। यह मंजर बड़ा ही हृदय विदारक था। पत्नी ने अपने शहीद पति को उसी तरह से विदाई दी जैसे एक वीर को दी जाती है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल का पार्थिव शरीर सोमवार शाम को देहरादून लाया गया था। मंगलवार को उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। 'भारत माता की जय' और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाती भीड़ के बीच परिवारवालों ने अपने लाडले का अंतिम दर्शन किया।
#WATCH Wife of Major VS Dhoundiyal (who lost his life in an encounter in Pulwama yesterday) by his mortal remains. #Dehradun #Uttarakhand pic.twitter.com/5HWD6RXwnO
— ANI (@ANI) February 19, 2019
आई लव यू विभू... बोल पति को दी सलामी
शहीद मेजर विभूति का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह उनके निवास डंगवाल मार्ग पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। शहीद की पत्नी निकिता, जो आठ माह की गर्भवती भी हैं, सुध-बुध खोए पति के शव के पा खड़ी थीं। इस दौरान मां, दादी और बहनों का रो-रो कर बुरा हाल था। निकिता ने जयहिंद कहा और साथ ही पार्थिव शरीर को सैल्यूट किया। उन्होंने आई 'लव यू विभू' बोल कफन को चूमा और एकटक पति के पार्थिव शरीर को निहारने लगीं। निकिता ने खुद को संभालते हुए स्वयं ही शवयात्रा की अगुआई की। उन्होंने कहा कि जो चले गए उनसे कुछ सीखें, दुनिया में जो शहादत देते हैं, उनसे सीखना चाहिए। देश के लिए काम करने के बहुत सारे फील्ड हैं, ईमानदारी से काम करें।
विभूति के शहीद होने की जब खबर आई, तो घर पर सिर्फ दादी व मां सरोज ढौंडियाल ही थीं। ऐसे में उन्हें देर शाम तक भी यही जानकारी दी जाती रही कि विभूति घायल हैं और जल्द ठीक हो जाएंगे। सिर्फ शहीद की छोटी बहन वैष्णवी को ही इस बात की जानकारी थी और वह दादी व मां को ढाढस बंधा रही थी। शहीद तीन बहनों के इकलौते भाई थे और उनके पिता ओमप्रकाश ढौंडियाल का 2012 में देहांत हो चुका है।वह कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (सीडीए) में सेवारत रहे हैं। जबकि बड़ी बहन पूजा के पति सेना में कर्नल हैं और दूसरी बहन अपने परिवार के साथ अमेरिका में रहती हैं। शहीद की छोटी बहन वैष्णवी दून इंटरनैशनल स्कूल में पढ़ाती हैं और सुबह वह स्कूल गई थीं। मगर, जब उन्हें यह जानकारी दी गई कि उनका भाई घायल हो गया है तो वह घर आ गईं। घर पहुंचने पर ही आसपास के लोगों ने उन्हें तो शहादत के बारे में बताया, लेकिन दादी व मां को इस बारे में अभी कुछ भी जानकारी नहीं देने को कहा। क्योंकि उनकी माँ हार्ट पेशंट होने के कारण उन्हें भय था। जब यह तय हो गया कि पार्थिव शरीर को रात में ही घर लाया जाना है, तभी परिजनों ने विभूति की शहादत की जानकारी देर शाम तक उनकी दादी और मां सरोज ढौंडियाल को दी । हालांकि पार्थिव शरीर निवास पर लाने से पहले ही बीमार मां अपने लाल की शहादत की खबर पाकर मूर्छित अवस्था में चली गईं। जब होश आया तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ यही स्थिति उनकी दादी की भी थी।
Dehradun: Wife (pic 1) of Major VS Dhoundiyal salutes as people pay tribute to him. He lost his life in an encounter in Pulwama yesterday #Uttarakhand pic.twitter.com/GEL36EMU3e
— ANI (@ANI) February 19, 2019
मेजर विभूति (34) ने एक साल पहले ही फरीदाबाद की निकिता कौल से शादी की थी, जो कश्मीर के विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मेजर विभूति और निकिता में प्रेम था और दोनों ने लव मैरिज की थी। पहले परिवार का विस्थापन और फिर अब पति की शहादत से कश्मीर निकिता को दोहरा जख्म दे गया। निकिता इस समय गहरे सदमे में हैं और उनकी आंखों के आंसू सूख चुके हैं। उन्होंने देर तक पति के शव को देखते रहने के बाद माथा चूमा और करीब जाकर आई लव यू बोल अंतिम सफर के लिए रवाना कर दिया।
शहीद मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल ने आठ साल पहले 2011 में आर्मी जॉइन की थी। पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ मेजर ऑपरेशन में वह आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए। सीआरपीएफ जवानों पर हमले के मास्टरमाइंड जैश के टॉप कमांडर कामरान के पिंगलिना में छिपे होने की सूचना पर वह 55 राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिट के साथ आतंकियों का सामना करने निकल पड़े, लेकिन आतंकियों की गोली ने देश का सपूत छीन लिया। सोमवार की देर शाम विशेष सैन्य विमान से शहीद का पार्थिव शरीर देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर लाया गया। इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। सेना ने जवानों ने एयरपोर्ट पर शहीद को सलामी दी। उनके पार्थिव शरीर को मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया। मंगलवार को अंतिम संस्कार के लिए शहीद के पार्थिव शरीर को उनके घर ले आया गया है।