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Sidhu Musewala murder case: सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में पुलिस को बड़ी कामयाबी, फरार आरोपी को पुणे क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार
सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में पुलिस को अब बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस कई दिनों से फरार आरोपी सौरभ उर्फ महाकाल को तलाश कर रही थी।
सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में फरार आरोपी सौरभ उर्फ महाकाल को पुणे ग्रामीण की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया।
पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस ने (कनाडा स्थित गैंगस्टर) गोल्डी बरार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की है। गोल्डी बरार ने गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली है। वह जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह का सक्रिय सदस्य है।
सिद्धू मूसेवाला के भोग पर पिता का दर्द
मानसा की दाना मंडी में पंजाब के चर्चित गायक सिद्धू मूसेवाला का भोग डाला गया। समागम के बाद उनके पिता बलकाैर सिंह ने 10 मिनट तक लोगों को संबोधित किया। उन्होंने अपने दिल का दर्द लोगों के सामने रखा। उन्होंने सिद्धू मूसेवाला के बचपन से लेकर जवानी तक के संघर्ष का भी जिक्र किया। उन्होंने जिस दिन सिद्धू मूसेवाला का कत्ल हुआ, उस 29 मई को मनहूस दिन भी बताया।
बलकौर सिंह ने कहा कि उनको बेटे के जाने के बाद दुख तो बहुत हुआ। मगर लोगों के प्यार ने उनका दुख कम कर दिया है, लेकिन वह अपने बेटे के जाने का दुख सहन नहीं कर पा रहे हैं। कहने को तो बहुत बातें हैं, लेकिन यह सिर्फ परिवार ही समझ सकता है।
उन्होंने गुरु से जोड़ते हुए कहा कि वह अब गुरु के बताए मार्ग पर चलकर अपनी जिंदगी जीने की कोशिश करेंगे, लेकिन गुरु तो बहुत शक्तिशाली थे। मगर वह उनके जैसे तो नहीं है, पर फिर भी जिंदगी को धीरे-धीरे जरूर चलाएंगे।
उन्होंने कहा कि जब सिद्धू मूसेवाला मानसा के विद्या भारती स्कूल में नर्सरी में दाखिल हुआ था तो वहां पर कोई बस भी नहीं जाती थी। वही उसको स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए जाते थे। वह फायर विभाग में नौकरी करते थे। जब सिद्धू दूसरी क्लास में हो गया तो एक दिन कहीं पर आग लग गई और वह अपने बेटे को स्कूल छोड़ने नहीं जा पाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि या तो बेटा पढ़ाई करेगा या फिर वह नौकरी कर पाएंगे।
पिता ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को साइकिल लेकर दिया, जिसके बाद वह 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए हर रोज साइकिल से ही स्कूल जाता। वह तब रोज 24 किलोमीटर साइकिल चलाता था। वह बहुत ही छोटे परिवार के थे। कई बार तो सिद्धू का जेब खर्च भी पूरा नहीं हो पाता था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया और लुधियाना के एक कालेज से बेटे ने ग्रेजुएशन की। इसके बाद आईलेट्स कर बाहर चला गया।
पिता ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को साइकिल लेकर दिया, जिसके बाद वह 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए हर रोज साइकिल से ही स्कूल जाता। वह तब रोज 24 किलोमीटर साइकिल चलाता था। वह बहुत ही छोटे परिवार के थे। कई बार तो सिद्धू का जेब खर्च भी पूरा नहीं हो पाता था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया और लुधियाना के एक कालेज से बेटे ने ग्रेजुएशन की। इसके बाद आईलेट्स कर बाहर चला गया।
पिता बलकौर सिंह ने कहा कि वह अपने जेब के खर्चों को पूरा करने के लिए गाने लिखने लगा। उनके बेटे ने कभी जेब में पर्स नहीं रखा। जब भी पैसों की जरूरत होती थी वह उनसे ही मांगता था। वह घर से निकलने से पहले हर बार अपने माता-पिता के पांव छूता था। गाड़ी में बैठने से पहले भी जब तक उसकी माता उसके कान के नीचे टीका नहीं लगाती थी तो वह घर से नहीं निकलता, जबकि हादसे वाले दिन वह खेत से लौटे थे और उसकी माता गांव में किसी का निधन होने पर शोक के लिए गई थी।