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गुजरात चुनाव से पहले भगवंत मान सरकार ने पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम यानी (OPS) लागू कर बड़ा संदेश देने की कोशिश करने वाले हैं। दरअसल, कई राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे है, इतना ही नहीं गुजरात में विधानसभा चुनाव भी होने हैं जहां पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।ऐसी खबरें मिल रही है कि कल यानी शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में ओपीएस को मंजूरी दे देगी और इसके बाद कल ही आधिकारिक तौर पर अधूसचना जारी कर देगी।
ओल्ड पेंशन स्कीम से मिलेगी सत्ता !
दरअसल, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सबसे पहले 19 सितंबर को एक ट्वीट करते हुए कहा था कि पंजब में मेरी सरकार पुरानी पेंशन प्रणाली यानी (OPS) को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि मैंने अपने मुख्य सचिव से इसके बारे में प्लान बनाने को कहा है। साथ ही कहा कि हम अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बाद मान ने मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ को योजना के वित्तीय प्रभावों का अध्ययन करने का निर्देश दिया था। इस बीच सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबित सरकार एक तरीका निकालने के लिए कानूनी राय ली है, जिससे सरकार पीएफआरडीए अपना पैसा वापस पाने का दावा कर सकें। कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत अंशदायी पेंशन कोष में देते हैं, और सरकार 14 प्रतिशत का भुगतान करके इसकी बराबरी करती है। इसके बाद राशि पीएफआरडीए के पास जमा करा दी जाती है. यह राशि लगभग 18,000 करोड़ रुपये है जिसे पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए इसे वापस लेना होगा।
विशेषज्ञों की क्या है राय
कई विशेषज्ञों के मुताबित यदि प्राधिकरण सरकार को फंड वापस लेने की अनुमति देता है तो उसे कर्मचारियों के पेंशन फंड के लिए योगदान के रूप में एक बड़ी राशि मिलेगी। इससे सरकारी को खजाने भर सकते हैं लेकिन 2034 के बाद चीजें और खराब हो जाएंगी, जब कर्मचारी 2004 में भर्ती हुए और बाद में सेवानिवृत्त होने लगेंगे। उस समय राज्य को अंतिम आहरित वेतन के 50 प्रतिशत पेंशन का भुगतान करने के लिए अधिक धन की आवश्यकता होगी।