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हरसिमरत कौर को वॉलमार्ट की बधाई पर RSS का संगठन स्वदेशी जागरण मंच नाराज क्यों?
बादल परिवार की वंशवादी परम्परा से आने वाली बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल की सांसद और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को वॉलमार्ट के सीईओ ने ट्विटर पर बधाई संदेश दिया है इस बात से आरएसएस के संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) बहुत नाराज हैं
एसजेएम नेता डॉ अश्वनी महाजन ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा है कि चुनाव में जीत के बाद उन्हें पीएम मोदी की तरफ से बधाई संदेश नहीं मिले बल्कि वॉलमार्ट के सीईओ की तरफ से बधाई मिली. इस साफ है कि उनके वॉलमार्ट के साथ खास तरह के रिश्ते हैं। निश्चित तौर पर इसकी जांच की जानी चाहिए.
डॉ महाजन आरोप लगाया कि बादल सरकार ने सबसे पहले पंजाब में वॉलमार्ट के स्टोर को खोलने की अनुमति दी थी. इसके बाद जब हरसिमरत मोदी सरकार में मंत्री बनीं तो उन्होंने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में वॉलमार्ट के लिए एफडीआई का रास्ता आसान किया.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वॉलमार्ट समर्थित फ्लिपकार्ट 'फूड रिटेल' बिजनस में उतरने जा रहा है, जहां 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी है. ऑनलाइन के बढ़ते व्यापार से पहले से ही चिंताग्रस्त खुदरा एवं थोक व्यापारी अमेरिकी दिग्गज वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट द्वारा खाने पीने के सामान की दुकाने खोलने की खबर से सकते में आ गए हैं चूंकि विदेशी निवेशकों को भारत में रिटेल सेक्टर के लिए मंजूरी नहीं है, इसलिए फ्लिपकार्ट 'फूड रिटेल' बिजनस में उतरने जा रहा है, जहां 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी है और फिजिकल स्टोर की स्वीकृति भी.
दरअसल इन कंपनियों का सारा जोर सालाना 42 लाख करोड़ से अधिक के खुदरा बाज़ार ओर लगभग 7 करोड़ देसी रिटेल व्यापारियों के व्यापार पर कब्जा जमाने पर है. इस खेल में तीन चार बड़ी कम्पनियों के बीच मे प्रतियोगिता चल रही है पहली है अमेरिका की वॉलमार्ट जिसने बहुत सोच समझ कर फ्लिपकार्ट को पिछले साल बहुत ज्यादा कीमत देकर खरीदा है, दूसरी कम्पनी है अमेजन जिसने बहुत तेजी के साथ भारत के बड़े ऑनलाईन मार्केट पर कब्जा कर लिया है तीसरी कंपनी है अलीबाबा जो पेटीएम वॉलेट, बैंक और पेटीएम मॉल के जरिए ऑनलाइन मार्केट बहुत महत्वपूर्ण जगह बना चुकी है
चौथी ओर सबसे महत्वपूर्ण कम्पनी की आमद होना अभी बाकी है वो है मुकेश अंबानी की रिलायंस जो तेजी से ऑनलाइन ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर आने वाली है जिसे सबसे बड़ा फायदा जियो के कस्टमर बेस का मिलने वाला है.
इस खेल में तेजी के साथ रिलायंस आगे बढ़ रही है लेकिन कंपनी चाहे देसी हो या विदेशी. इसका असर तो सात करोड़ छोटे बड़े रिटेल व्यापारियों को ही झेलना पड़ेगा. चाकू चाहे चाहे देशी हो या विदेशी . चाकू चाहे खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर. कटना तो तरबूज को ही है . ओर यकीन मानिए नयी मोदी सरकार इस खेल के लिए कृत संकल्पित है.
लेखक गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के जानकर है