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इस नाम पर मची एनडीए में फूट, मंत्री बोली नहीं होने दूंगीं ऐसा

इस नाम पर मची एनडीए में फूट, मंत्री बोली नहीं होने दूंगीं ऐसा
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मंत्री हरसिमरत कौर बोलीं नहीं होगा ऐसा
दिल्ली के दयाल सिंह इनविंग कॉलेज का नाम बदलने पर एनडीए में फूट के बादल मंडराने लगे हैं! केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने धमकी भरे लहजे में कहा है जो व्यक्ति कॉलेज का नाम बदलने में ज्यादा इच्छुक है खुद उसका नाम बदला जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आप किसी और की विरासत को कैसे हटा सकते हैं? ये अस्वीकार्य और चौंकाने वाली बात है क्योंकि पाकिस्तान में उनके योगदान के लिए सरदार दीन दयाल कॉलेजों को चलाया जा रहा है। दरअसल अकाली सांसद कौर का ये बयान ऐसे समय में आया है जब 17 नंवबर को दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज की गवर्निंग बॉडी (जीबी) ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कॉलेज का नाम बदलने का फैसला लिया। प्रस्ताव में कॉलेज को नया नाम वंदे मारतम महाविद्यालय दिया गया।


तब गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अमिताभ सिन्हा ने कहा कि इसके बाद इवनिंग और मॉर्निंग कॉलेज के अलग-अलग नाम होंगे। साल 1958 से ही दयाल सिंह मॉर्निंग और दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज का अपना अस्तित्व रहा है। इसलिए हमें इवनिंग कॉलेज का नाम बदलना ही होगा। दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी का पहला इवनिंग कॉलेज है। इसपर एक भाजपा नेता और एक वकील ने कॉलेज का नाम बदलने पर कहा है, 'मां को सम्मान दे रहे हैं।' सिन्हा ने आगे कहा था कि जीबी ने कॉलेज के नए नाम पर मोहर लगा दी है और डीयू के वाइंस चांसलर को मामले में जानकारी दे दी गई है। वही इसपर अंतिम निर्णय लेंगे और औपचारिक अनुमति देंगे।

गौरतलब है कि इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल पवन शर्मा को 21 सितंबर को मामले में जानकारी दी गई। इसमें आधिकारिक परिषद की मीटिंग में कॉलेज को पूर्ण कॉलेज बनानी की अनुमति दी गई। कॉलेज को सुबह के वक्त शिफ्ट कर दिया गया है। जहां दोनों की क्लास और आधिकारिक कामकाज अलग-अलग होगा। दूसरी तरफ मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एक कमेटी का गठन किया है जो कॉलेज को दो हिस्सों में बांटने का काम करेगी। हालांकि जीबी के इस फैसले पर कुछ छात्रों और शिक्षकों ने अपना विरोध जताया और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

बता दें कि इससे पहले कॉलेज का नाम 'मदन मोहन मालवीय कॉलेज' रखने पर विचार किया गया। इसपर गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अमिताभ सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि बाद में कॉलेज का नाम मदन मोहन मालवीय की जगह वंदे मातरम महाविद्यालय रखने पर सहमति बनी। सिन्हा आगे कहते हैं, 'मालवीय किसके बच्चे थे? हम उन्हीं को प्रणाम कर रहे हैं। मां का दर्जा सबसे ऊपर होता है और उन्हें प्रणाम करना है। वंदे मातरम का मतलब मां को सम्मान देना है। इसलिए नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। चाहे वो आपकी मां हो या भारत माता हो। मां…मां ही होती है। जिन्हें मां को सम्मान देने में परेशानी है तो सवाल उठता है कि वो मानव हैं या नहीं।'
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