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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि मृतक कर्मी की विधवा दोबारा विवाह कर ले तो मृतक के माता-पिता को फैमिली पेंशन से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने साफ कहा कि पंजाब सरकार इस मामले में नियमों की गलत व्याख्या कर माता-पिता को पेंशन देने से इंकार कर रही है।
बता दें कि जालंधर निवासी स्वर्ण कौर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उनका बीटा पंजाब पुलिस में कार्यरत था। 2006 में बेटे की मौत हो गई थी। इसके बाद याची की बहू को फैमिली पेंशन मिलने लगी। 2008 में बहू ने दोबारा विवाह कर लिया और तब से वह अपने दूसरे पति के साथ रह रही है। बहू के दूसरा विवाह करने पर उसकी फैमिली पेंशन को समाप्त कर दिया गया। याची ने बताया कि उसने फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया तो उसके दावे को खारिज कर दिया गया।
पंजाब सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मृतक कर्मी की पत्नी को फैमिली पेंशन दी गई थी। अब पत्नी फैमिली पेंशन के लिए अयोग्य हो चुकी है तो ऐसे में किसी और को यह लाभ नहीं दिया जा सकता। पंजाब सरकार की व्याख्या को गलत बताया हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार इस मामले में नियमों की गलत व्याख्या कर माता-पिता को पेंशन देने से इंकार कर रही है।
बता दें कि हाई कोर्ट (High Court)ने कहा कि यदि मृतक की विधवा दोबारा विवाह कर लेती है और बच्चों समेत अन्य आश्रित पेंशन के लिए अयोग्य हो जाते हैं तो माता-पिता पेंशन के हकदार हैं। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि फैमिली पेंशन का उद्देश्य मृतकों के आश्रितों को आर्थिक सहारा देना होता है। इस मामले में मृतक की मां जिसके पास आय का कोई जरिया नहीं है, उसे पंजाब सरकार ने पेंशन देने से इंकार किया है, जो इस योजना के उद्देश्य केखिलाफ है। हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए मृतक की मां को फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश दिया है।