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जानिए- आखिर क्या है 1988 का वो मामला जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को हुई जेल
पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। 34 साल पुराने रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल जेल की सजा दी गई है। कारावास सश्रम होगा। सिद्धू को पंजाब पुलिस हिरासत में लेगी।
आइये अब जानते हैं आखिर क्या है 1988 का वो मामला जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को हुई जेल?
दरअसल, यह पूरा मामला दिसंबर 1988 का है। जब सिद्धू एक क्रिकेटर थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था। 25 साल के नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला में 27 दिसंबर 1988 की दोपहर गुरनाम सिंह को मामूली विवाद में सिर पर मुक्का मार दिया था। यह विवाद तब हुआ था जब उस दिन शाम को सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। यह जगह उनके घर से करीब एक किलोमीटर दूर थी। इस मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई थी।
गुस्से में सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मारकर गिरा दिया
इसके बाद यह कहासुनी इतनी आगे बढ़ है कि बात हाथापाई तक जा पहुंची। सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारकर गिरा दिया। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। सेशन कोर्ट में केस चला, इसके बाद 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया।
सितंबर 1999 में निचली अदालत ने नवजोत सिह सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू और एक अन्य पर गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसे दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को पीड़ित के साथ मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। बाद में इसी मामले में पीड़ित की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई थी।
पहले इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनाई थी सजा
उधर इसी बीच साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी और इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई। सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी।
15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने section 323 के तहत दोषी पाया था. लेकिन गैर इरादतन हत्या (304) के तहत दोषी नहीं पाया था. इसमें सिद्धू को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था. Sep 12, 2018 को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ था March 25, 2022 को रिव्यू पिटिशन पर अपना फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था. अब अंत में फैसला सुना दिया गया।