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पंजाब : कांग्रेस का कमजोर होना देश के लिए घातक, लेकिन उससे भी ज्यादा घातक कांग्रेस का वैचारिक रूप से दिवालिया होना..
यदि हम पंजाब में कैप्टन के जाने को सिर्फ कांग्रेस की अंतर्कलह या सिद्धू के दबदबे के तौर पर देखते हैं तो मुझे लगता है कि इस राजनीतिक खतरे से हमारा आंखें चुराना होगा भारत में बहुत वर्षों तक राष्ट्र विरोधी लोगों द्वारा सीधे सत्ता हथियाने की कोशिश की गई लेकिन भारत की जागरूक जनता के द्वारा उस कोशिश को नाकाम किया गया तो एक चासनी में लिपटी हुई पॉलिसी के तहत वामपंथियों ने अर्बन नक्सल विचारधारा को भारत में कुछ लोगों को सेवा के माध्यम से राजनीति में भेजे जाने का काम किया और जिसमें अरविंद केजरीवाल काफी हद तक सफल रहा है।
कांग्रेस का कमजोर होना देश के लिए घातक है लेकिन उससे भी ज्यादा घातक कांग्रेस का वैचारिक रूप से दिवालिया होना है। पंजाब की घटना अमरिंदर और सिद्धू की लड़ाई नहीं है इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का पूरा हस्तक्षेप है।
अगर आप सिद्धू के पिछले 1 वर्ष के बयानों को देखेंगे तो आपको महसूस होगा की वह कांग्रेस के आलाकमान जिसे गांधी परिवार कहा जाता है उसको भी ललकारने से बाज नहीं आ रहे हैं। अभी 8 दिन पहले उन्होने कहा था कि," अगर मेरी बात नहीं मानी गई तो मैं ईंट से ईंट बजा दूंगा"
और आज उस बयान की सच्चाई सामने आ रही है कांग्रेस का आलाकमान आज सिद्धू के सामने चीन और पाकिस्तान के दबाव में झुक गया है और उसने कैप्टन को हटा दिया।
लेकिन पंजाब के लिए या यह कहिए इस देश के लिए यह बहुत घातक स्थिति होने वाली है एक तरफ दिल्ली में अरविंद केजरीवाल है और दूसरी तरफ पंजाब में सिद्धू तीसरी तरफ झारखंड में हेमंत सोरेन है और चौथी तरफ बंगाल में ममता बनर्जी अगर इन लोगों के क्रियाकलाप को आप ध्यान से देखेंगे तो यह हर वह काम कर रहे हैं जिस काम से देश को नुकसान हो सकता है,यह देश के सुरक्षा के सिस्टम को, देश की जनता के कल्याण के सिस्टम को और भारत की संप्रभुता को वेधने का काम कर रहे हैं।