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क्या कांग्रेस के सेवादल की तुलना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से की जा सकती है?
14 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा है कि अब हमारे सेवादल को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुकाबले में खड़ा किया जाएगा। इससे पहले सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई भी पिछले कई दिनों से अजमेर में सेवादल को संघ के बराबर बताने की कोशिश कर रहे हैं। 13 व 14 फरवरी को अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली पर सेवादल का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ है। दावा किया गया कि इस अधिवेशन में देशभर से पचास हजार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। देसाई तो अति उत्साह में संघ को गद्दार भी कह रहे हैं।
चूंकि मीडिया में सेवादल के नेताओं के बयान छप रहे हैं इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या सेवादल की तुलना संघ से की जा सकती है? सब जानते हैं कि संघ भाजपा के भरोसे नहीं है, संघ परिवार में भाजपा जैसे सैकड़ों संगठन है। भाजपा संघ की एक राजनीतिक शाखा है। राजनीति की वजह से ही भाजपा की सबसे ज्यादा चर्चा होती है। जो लोग संघ के काम को जानते हैं उन्हें पता है कि संघ के कार्यकर्ता घर-परिवार छोड़ कर विभिन्न क्षेत्रों में संघ परिवार के सदस्य सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अजमेर के अधिवेशन में सेवादल के नेताओं ने स्वयं कहा कि 35 वर्ष बाद सेवादल का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। जब 35 वर्ष बाद अधिवेशन हो रहा है तो फिर संघ से तुलना कैसे की जा सकती है?
क्या सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई को संघ प्रमुख मोहन भागवत के बराबर रखा जा सकता है? सब देखते हैं कि कांग्रेस के कार्यक्रमों में सेवादल के कार्यकर्ता सलामी देने का काम करते है। क्या भाजपा के किसी कार्यक्रम में संघ के स्वयं सेवक को सलामी देते हुए देखा गया है? उल्टे भाजपा के बड़े बडे़ नेता संघ के स्वयं सेवक को सलामी देते हैं। संघ के कार्यक्रम में भाजपा के मंत्रियों एवं विधायकों की हैसीयत भी संघ के एक साधारण कार्यकर्ता की होती है, जबकि कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों के सामने सेवादल के कार्यकर्ताओं की क्या हैसीयत होती है, यह सबको पता है। संघ से निकल कर ही भाजपा में प्रवेश होता है। यदि संघ की अनुमति नहीं हो तो कोई भी स्वयं सेवक भाजपाई नहीं बन सकता।
संघ जब चाहे तब अपने स्वयं सेवक को भाजपा से वापस बुला सकता है। क्या सेवादल की इतनी हैसियत है। सेवादल को अजमेर में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करवाने में पूरी तरह प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निर्भर रहना पड़ा है, जबकि संघ के कार्यक्रम अपने बूते पर होते हैं। संघ के अनुशासन के सभी लोग कायल है। विपक्ष भी संघ के अनुशासन की प्रशंसा करता है। बड़ा कार्यक्रम होने पर भोजन के पैकेट घर घर से मंगाए जाते हैं। इस परंपरा की सभी जगह प्रशंसा होती है। स्वयं के लाखों स्वयं सेवक नियमित शाखाओं में जाते हैं।
क्या सेवादल बता सकता है कि उसके कितने कार्यकर्ता नियमित कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। स्वयं को संघ के बराबर खड़ा कर सेवादल अपना महत्व तो बढ़ा सकता है लेकिन संघ के बराबर होने में सेवादल को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अच्छा हो कि देश में संघ जैसा एक अनुशासित और राष्ट्रभक्त संगठन खड़ा हो। यदि सेवादल संघ की तरह मजबूत होगा तो कांग्रेस की भी दशा सुधर जाएगी। सेवादल के नेताओं को भी चाहिए कि संघ से बराबरी करने से पहले कुछ करके दिखाए।